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"न्यूज देख रहा था, तभी टीवी पर मां की तस्वीर.." हाथरस हादसे के पीड़ितों और चश्मदीदों का दर्द सामने आया

Hathras Stampede: 'भोले बाबा' की गाड़ी निकली तो भीड़ कार के पीछे भागने लगी. और भगदड़ मच गई.

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अस्पताल में पीड़ितों के परिवार. (तस्वीर साभार: PTI)
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सिमर चावला

राजेश टीवी पर एक न्यूज चैनल देख रहे थे. और तभी उन्हें टीवी पर अपनी मां की तस्वीर दिखी. उनकी मां गांव के 24 लोगों के साथ उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras Stampede) में एक धार्मिक आयोजन में गई थीं. इस आयोजन के दौरान वहां भगदड़ मची और कम-से-कम 121 लोग मारे गए. दर्जनों लोग घायल हो गए हैं. हादसा हाथरस जिले की सिकंदरा राव तहसील के रतिभानपुर गांव में हुआ है. भगदड़ के बाद का माहौल डरावना और दयनीय था. एक महिला एक ट्रक में 5 से 6 शवों के बीच बैठकर रो रही थी. और लोगों से अपनी बेटी का शव ट्रक से बाहर निकालने के लिए मदद मांग रही थी.

एक और पीड़िता के रिश्तेदार अंशु ने बताया कि उनके चाचा इस कार्यक्रम में गए थे. लेकिन वो अब घर नहीं लौटे हैं. और उनके पास फोन भी नहीं है. मीना देवी ने कहा है कि वो भी अपनी मां के साथ इस आयोजन में जाने वाली थीं. लेकिन उनके इलाके सादिकपुर में बूंदाबांदी हो रही थी. इस कारण वो हाथरस नहीं जा पाईं. उनकी मां के साथ उनके भाई, भाभी और बच्चे गए थे. भगदड़ के दौरान भीड़ में मीना की मां पीछे छूट गईं. और वो भीड़ में कुचली गईं.

'अस्पताल में ना डॉक्टर ना ऑक्सीजन'

घटना के बाद अस्पताल के बाहर एक उत्तेजित युवक ने कहा कि लगभग 100 से 200 लोग घायल हुए हैं. और अस्पताल में केवल एक डॉक्टर था. ऑक्सीजन की भी कोई सुविधा नहीं थी. युवक ने बताया कि कुछ लोग सांस ले रहे थे लेकिन उचित इलाज की कोई सुविधा नहीं है.

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चश्मदीद ने क्या बताया?

संतोष अपनी बहन के साथ यहां पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि दोपहर के 1:30 बजे समारोह का समापन हुआ. इसके बाद वो अपनी बहन के साथ पंडाल में प्रसाद के लिए पहुंचे. बाहर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भगदड़ मची हुई है. लोग दौड़ रहे हैं. पास में ही एक नाला था. संतोष ने देखा कुछ लोग इस नाले में गिर गए.

एक अन्य चश्मदीद शकुंतला देवी ने कहा कि भगदड़ उस वक्त हुई जब लोग कार्यक्रम खत्म होने के बाद कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल रहे थे. बाहर नाले के ऊपर काफी ऊंचाई पर सड़क बनी हुई थी. और यहां लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरे हुए थे.

इंडिया टुडे से जुड़े सिमर चावला की रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस हादसे के बाद कुछ चश्मदीद बस से अपने घर वापस जा रहे थे. चावला ने उनसे बात की. उन्होंने बताया कि उनके सामने दो लोगों की मौत हो चुकी थी. उन्होंने कहा कि वो खुशकिस्मत हैं कि बच गए और घर वापस जा रहे हैं. लोगों ने बताया कि जितनी भीड़ थी, उसके हिसाब से बहुत कम पुलिसवालों को तैनात किया गया था. गर्मी भी बहुत ज्यादा थी. लोग जल्दी निकलने के चक्कर में तेजी से भागे. मिट्टी गीली थी, कीचड़ के कारण कई लोग फिसल गए.

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