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हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के सेनापति रहे हकीम खां सूरी की मजार पर तोड़फोड़ की गई

आरोपी अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं.

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हाक़िम खां सूरी की क्षतिग्रस्त मजार
हकीम खां सूरी. हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना के सेनापति थे. राजस्थान के राजसमंद जिले के खमनोर थाना क्षेत्र में उनकी मजार है. खबर है कि इस मजार पर सोमवार 26 जुलाई को देर रात कुछ असामाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ कर दी. पुलिस ने करवाई मजार कि मरम्मत आजतक से जुड़े शरत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, तोड़फोड़ होने की सूचना मिलने पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. तब तक तोड़फोड़ करने वाले बदमाश फरार हो चुके थे. रात भर पुलिस ने संदिग्धों की तलाश की. लेकिन मंगलवार दोपहर तक भी वे हिरासत में नहीं लिए जा सके. इसके बाद राजसमंद डीएसपी बेनी प्रसाद मीणा और नाथद्वारा डीएसपी जितेंद्र आंचलिया सहित भारी पुलिस बल को घटनास्थल पर तैनात किया गया.
न्यूज18 कि रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस और प्रशासन की ओर से मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति में क्षतिग्रस्त मजार की मरम्मत भी करवाई गई है. वहीं, कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए एसपी सुधीर चौधरी के निर्देश पर खमनोर थाना अधिकारी कैलाश सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया. उनकी जगह उपनिरीक्षक नवलकिशोर को खमनोर थाने की कमान सौंपी गई है.
Hakin Khan suri
हकीम खां सूरी की मजार पर तोड़फोड़ की गई. (तस्वीर- शरत कुमार/आजतक)
कौन हैं हकीम खां सूरी? हकीम खां सूरी, सूर साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी के वंशज थे. कहते हैं हकीम खां एक अनुभवी सूर थे, जो मुगलों के इरादों को भली-भांति समझते थे और उन्हें खत्म करने की हिम्मत रखते थे. हकीम खां ने महाराणा प्रताप को मुगलों के खिलाफ एक साहसी योद्धा के तौर पर पाया. इन दोनों के दुश्मन मुगल थे. इसलिए हकीम, महाराणा प्रताप से जा मिले थे. महाराणा प्रताप के दरबार में कोषाध्यक्ष के रूप में उन्होंने शानदार काम किया था, जिसके बाद महाराणा ने खुश होकर हकीम खां को अपनी सेना का नेतृत्व करने के लिए कहा. उन्होंने उसे सेनापति नियुक्त कर दिया.
कुछ लोग हल्दीघाटी की लड़ाई को 'हिंदू-मुस्लिम के युद्ध' के रूप में देखते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. दोनों सेनाओं में हिंदुओं और मुसलमानों की मिली-जुली संख्या थी. एक तरफ हकीम खां सूरी ने राणा प्रताप की सेना का नेतृत्व किया तो वहीं दूसरी तरफ अकबर की सेना की कमान जयपुर के राजपूत मानसिंह प्रथम ने संभाल रखी थी. जानकार बताते हैं कि हकीम खां अपने पूर्वज सिकंदर शाह सूरी की हार का बदला लेने के लिए मुगलों से लड़ रहे थे.

(ये स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे रौनक भैड़ा ने लिखी है.)

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