टाटा समूह एक बार फिर गलत वजहों से खबरों का हिस्सा बन गया है. CBI ने टाटा ग्रुप, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) और कुछ अन्य निजी कंपनियों के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है. आरोप है कि इन लोगों ने लगभग 800 करोड़ रुपये के ठेकों में ‘आर्थिक गड़बड़ियां’ की हैं, जिसकी वजह से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा है.
800 करोड़ के प्रोजेक्ट में 'घपला', सरकारी अधिकारियों समेत टाटा ग्रुप के इंजीनियर्स पर CBI केस दर्ज
शिकायत में आरोप लगाया गया कि JNPT के पोर्ट अधिकारियों और निजी कंपनियों की मिलीभगत से जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर खर्च का अनुमान तैयार किया गया.

CBI ने एक प्रारंभिक जांच के बाद यह शिकायत दर्ज की. इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि JNPT के पोर्ट अधिकारियों और निजी कंपनियों की मिलीभगत से जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर खर्च का अनुमान तैयार किया गया. अंतरराष्ट्रीय बोली लगाने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रतिस्पर्धा को सीमित किया गया, ठेकेदार को अनुचित लाभ दिया गया और स्वतंत्र विशेषज्ञों व संस्थाओं की रिपोर्ट को दबा दिया गया.
CBI ने बताया कि JNPT अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करके निजी कंपनियों को आर्थिक लाभ पहुंचाया. और इस वजह से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ. ड्रेजिंग का काम दो चरणों में किया गया- कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट फेज-I और कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट फेज-II. पहले चरण में 2003 से 2014 के बीच काम दिया गया और दूसरे चरण में 2012 से 2019 के बीच.
जांच के दौरान यह सामने आया कि JNPT के अधिकारियों और अन्य लोगों के के बीच आपराधिक साजिश हुई, जिसके कारण-
- पहले चरण में ₹365.90 करोड़ का नुकसान हुआ.
- दूसरे चरण में ₹438 करोड़ का नुकसान हुआ.
यह नुकसान मुख्यतः ओवर ड्रेजिंग यानी समुद्र की तय गहराई से ज़्यादा खुदाई के कारण हुआ.
CBI ने जिन लोगों के नाम मुकदमा दर्ज किया है उनमें सुनील कुमार मडभवी और देवदत्त बोस शामिल हैं. सुनील उस समय JNPT के चीफ मैनेजर (PP&D) थे, जबकि देवदत्त कथित गड़बड़ियों के दौरान टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड में सीनियर जनरल मैनेजर थे. इसके अलावा टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स का मुंबई हेड ऑफिस, BoskalisSmit India LLP, Jan De Nul Dredging India Private Limited के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
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