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सबसे महंगा, ईरानी रडार को दी मात... यूएस के बी2 बॉम्बर जेट में ऐसा क्या है कि इसे चीन-रूस भी न बना सके

B2 stealth bomber Jet से अमेरिका ने ईरान पर अटैक किया है. ये अब तक का सबसे महंगा युद्धक विमान है. इसकी एक यूनिट बनाने की लागत लगभग 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 9,000 करोड़ रुपये) है. क्या है इसकी खासियत?

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अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर साइटों पर हमला किया. (फाइल फोटो: AP)

21 जून 2025 की रात दुनिया ने फिर अमेरिकी सैन्य ताकत का एक खौफनाक नमूना देखा, जब अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइटों पर एक के बाद एक अत्यंत सटीक और घातक हमले किए. यह हमला इजरायल-ईरान युद्ध में अमेरिका की खुली सैन्य एंट्री का एलान था. इस हमले की खास बात थी- अमेरिका के अत्याधुनिक ‘B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर’ (B2 stealth bomber Jet) विमानों की भागीदारी.

इन परमाणु ठिकानों पर हुए इन हमलों में B-2 बॉम्बर विमानों का प्रयोग यह साबित करता है कि अमेरिका आज भी दुश्मन देश में भीतर तक जाकर विनाशकारी हमला करने की ताकत रखता है, वो भी बिना रडार पर आए. आइए जानें इस रहस्यमय लेकिन घातक बॉम्बर विमान की पूरी कहानी.

बी-2 बॉम्बर की शुरुआत कैसे हुई?

B-2 बॉम्बर का जन्म शीत युद्ध के दौर में हुआ. 1970 के दशक के उत्तरार्ध में अमेरिका ने "एडवांस्ड टेक्नोलॉजी बॉम्बर" (ATB) प्रोग्राम लॉन्च किया, ताकि सोवियत संघ की वायु सुरक्षा प्रणाली को पार कर गहराई तक हमला किया जा सके. इसका विकास नॉर्थ्रॉप (अब नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन) कंपनी ने किया.

1988 में पहली बार इसकी तस्वीरें सार्वजनिक की गईं और 1989 में पहली उड़ान हुई. लेकिन इसका पहला ऑपरेशनल उपयोग 1999 में कोसोवो युद्ध में हुआ.

लागत: सबसे महंगा युद्धक विमान

B-2 अब तक का सबसे महंगा युद्धक विमान है. इसकी एक यूनिट बनाने की लागत लगभग 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 9,000 करोड़ रुपये) है. अगर पूरा प्रोग्राम शामिल किया जाए, जिसमें R&D, मेंटेनेंस और अपग्रेडिंग शामिल है, तो प्रति विमान लागत 2 बिलियन डॉलर से भी ऊपर जाती है.

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लगभग 9,000 करोड़ रुपये का खर्चा है इसे बनाने में | फोटो: इंडिया टुडे
इसकी खासियतें

स्टील्थ तकनीक: B-2 की सबसे बड़ी ताकत इसका 'stealth' डिज़ाइन है, जो इसे रडार से लगभग अदृश्य बना देता है.

फ्लाइंग विंग डिज़ाइन: यह बिना पूंछ या पारंपरिक बॉडी के एक विशाल उड़ती हुई पंख जैसी संरचना है, जो रडार पर रिफ्लेक्शन को न्यूनतम करती है.

रडार-अवशोषक कोटिंग: इसकी पूरी बॉडी विशेष सामग्री से ढकी होती है जो रडार तरंगों को सोख लेती है.

साइलेंट ऑपरेशन: इसके इंजन भी विशेष तरीके से बने हैं ताकि ध्वनि व गर्मी का उत्सर्जन कम हो.

हथियार क्षमता: परमाणु और पारंपरिक दोनों

B-2 बॉम्बर की हथियार उठाने की क्षमता करीब 18 टन (40,000 पाउंड) है. यह दोनों तरह के हथियार ले जा सकता है. 

  • परमाणु बम: B61 और B83 जैसे टैक्टिकल और स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर बम.
  • पारंपरिक बम: GPS गाइडेड JDAMs (Joint Direct Attack Munitions).
  • GBU-57 "Massive Ordnance Penetrator"- यह 13 टन वजनी बम भूमिगत बंकर नष्ट करने में सक्षम है
कितने B-2 हैं अमेरिका के पास?

कुल 21 B-2 बॉम्बर बनाए गए थे, जिनमें से 20 ऑपरेशनल हैं और एक क्रैश में नष्ट हो गया था. वर्तमान में ये विमान 509th Bomb Wing, Whiteman Air Force Base, मिसूरी में तैनात हैं.

प्रमुख युद्धों में उपयोग:
  • 1999- कोसोवो युद्ध: पहली बार उपयोग, सफलतापूर्वक सर्ब ठिकानों पर प्रहार
  • 2001- अफगानिस्तान: तालिबान कमांड-सेंटर्स पर हमले
  • 2003- इराक युद्ध: 'शॉक एंड ऑ' अभियान में निर्णायक भूमिका
  • 2011- लीबिया: भूमिगत मिसाइल साइट्स पर बमबारी
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कुल 21 B-2 बॉम्बर बनाए गए थे, जिनमें से 20 ऑपरेशनल हैं | फोटो: आजतक
कमियां और विवाद

ज्यादा मेंटेनेंस: इसकी स्टील्थ कोटिंग को बनाए रखने के लिए अत्यधिक और नियमित रख-रखाव चाहिए.

मौसम संवेदनशीलता: बारिश और नमी से इसका कोटिंग प्रभावित हो सकता है.

उच्च लागत: इसके संचालन, स्टोरेज, और उड़ान की लागत भी अत्यधिक है, जिससे सीमित संख्या में ही इसे बनाए रखना संभव है.

राजनीतिक विवाद: B-2 की अरबों डॉलर की लागत अमेरिकी संसद और मीडिया में वर्षों से बहस का विषय रही है.

भविष्य की योजना: B-21 रडरा की एंट्री

B-2 अब बूढ़ा हो चला है, और उसका उत्तराधिकारी ‘B-21 रडरा’ तैयार हो रहा है- एक और स्टील्थ बॉम्बर जो 2030 के दशक की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया है.

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आधुनिक युद्ध में अदृश्य शक्ति

21 जून को ईरान पर हुए हमले ने यह साबित कर दिया कि B-2 स्पिरिट अभी भी अमेरिकी वायुशक्ति का सबसे भरोसेमंद और प्रभावशाली औजार है. भले ही इसकी संख्या कम हो, लेकिन इसकी पहुंच, चुपचाप हमले की क्षमता और विनाशक शक्ति इसे 21वीं सदी के युद्धों में 'गेमचेंजर' बनाती है.
B-2 सिर्फ एक बॉम्बर नहीं, बल्कि अमेरिका की रणनीतिक मंशा का उड़ता हुआ बयान है.

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