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हादिया : जिसे लोगों ने लव जिहाद का केस बताया उसपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है

फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, वो जानने लायक है.

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हादिया और शफ़ीन की शादी 19 दिसंबर, 2016 को हुई थी.
हादिया उर्फ़ अखिला. केरल के एक हिंदू परिवार में पैदा हुई लड़की. वो हिंदू से मुस्लिम बनी और शफीन के साथ शादी कर ली. इसके धर्मपरिवर्तन से पूरा केरल डिस्टर्ब होकर रह गया. कइयों को लव जिहाद का मामला बनता नज़र आया और हादिया की ज़िंदगी झंड हो के रह गई. जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के आरोप लगे और मामला कोर्ट-कचहरी तक जा पहुंचा. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)के जिम्मे जांच दे दी गई. फिर क्या था हदिया केरल हाई कोर्ट पहुंची, लेकिन कोर्ट ने भी उसकी नहीं सुनी. कोर्ट ने उसकी शादी को शून्य करार दे दिया. हदिया ने हार नहीं मानी. सुप्रीम कोर्ट पहुंची और फिर 8 मार्च को जब दुनिया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रही थी, सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पक्ष में फैसला दिया. कोर्ट ने हादिया की शादी को बहाल रखने का आदेश दिया और पति के साथ रहने की इजाज़त दे दी.
पूरे देश में चर्चित हुआ था ये मुद्दा
हादिया का बार-बार कहना है, 'मुझे मेरी स्वतंत्रता चाहिए. मैं अपने पति के साथ रहना चाहती हूं.'
हादिया का बार-बार कहना था, 'मुझे मेरी स्वतंत्रता चाहिए. मैं अपने पति के साथ रहना चाहती हूं.'

एक लड़की का हिंदू धर्म से इस्लाम धर्म में परिवर्तित हो जाना 2017 का देश का एक बड़ा मुद्दा था. केरल के कोट्टायम शहर की रहने वाली 24 साल की इस लड़की के पिता नास्तिक हैं और मां कट्टर हिंदू. अखिला अपने पिता केएम अशोकन की इकलौती बेटी है. अशोकन 56 साल के हैं और रिटायर्ड आर्मीमैन हैं. अखिला ने अगस्त 2010 में मेडिकल की पढ़ाई शुरू की. यहां उसकी दोस्ती जसीला अबुबकर से हुई. जसीला की बहन फ़सीना भी इसी इंस्टीट्यूट में दूसरे कोर्स में थी. छह महीने बाद ये तीनों और तीन दोस्तों के साथ हॉस्टल से अलग घर लेकर रहने लगे. बाकी की ये तीन लड़कियां हिंदू थीं.
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ज़िंदगी में पहली बार अखिला की मुस्लिम दोस्त बनी थीं. वो जसीला और फ़सीना को रोज़ दिन में पांच बार नमाज़ अदा करते हुए देखती. पढ़ने के लिए उसने जसीला से मलयालम में कुरान ली. जसीला बताती है कि उसे अखिला का इस्लाम की तरफ़ आकर्षण देखकर हैरानी हुई क्योंकि उसे लगता था वो अपने पापा की तरह नास्तिक है. 2011 में अखिला रमज़ान के दिनों में अपने घर छुट्टी पर आई हुई थी और उसने इन दिनों व्रत भी रखा. ईद के लिए जसीला के घर भी गई. अखिला ने जसीला के पापा परायिल अबुबकर से कहा कि वो धर्मपरिवर्तन करना चाहती है. अबुबकर बताते हैं, ‘उसके पापा नास्तिक हैं और उसके घर के आस पास कोई मुस्लिम नहीं रहता, तो मैंने उसे पढ़ने के लिए कुछ इस्लाम से किताबें दे दीं. मैंने उससे पहले पढ़ाई खत्म करने के लिए कहा.’
सत्यशरणी, जहां से अखिला ने इस्लाम की पढ़ाई की.
सत्यशरणी, जहां से अखिला ने इस्लाम की पढ़ाई की.

लेकिन अखिला का इस्लाम के प्रति आकर्षण जारी रहा. वो 19 जनवरी, 2016 में कोर्ट के सामने पेश हुई और अपनी बात रखी. इसके बाद कोर्ट ने अखिला को सत्य शरणी से इस्लाम पढ़ने की इजाज़त दे दी.अखिला जब सत्य शरणी से वापस निकली तब तक उसका नाम ‘हादिया’ हो चुका था. पिता अशोकन को डर था कि कहीं कोई उससे शादी करके उसे सीरिया न ले जाए. एक मैट्रीमोनियल साइट के ज़रिए हादिया की शादी 19 दिसंबर, 2016 को शेफ़िन जहां से हो गई. जो मस्कट में एक कंपनी में मैनेजर था. शादी में अशोकन शामिल नहीं हुए.
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21 दिसंबर, 2016 को हादियाअपने पति के साथ कोर्ट के सामने आई. लेकिन कोर्ट ने उसे वापस हॉस्टल भेज दिया और शेफ़िन को उससे कोई कॉन्टेक्ट न रखने को कहा. 24 मई 2017 को कोर्ट ने ये शादी खारिज कर दी. इसके खिलाफ हादिया सुप्रीम कोर्ट पहुंची. वहां उसने हलफनामा दिया और कहा-
'मैं मुसलमान हूं और मुसलमान के तौर पर ही अपनी जिंदगी जीना चाहती हूं. मैं शफीन जहां की पत्नी हूं, जिससे शादी करने के लिए मैंने इस्लाम धर्म अपनाया है.'
इसके बाद 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पक्ष में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खान्विल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा-
'हादिया को अपने पति शफीन के साथ रहने की इज़ाजत है. NIA मामले से निकले दूसरे पहलुओं पर जांच जारी रख सकता है. हैवियस कॉर्पस को लेकर हाई कोर्ट का दखल और आदेश कानून के मुताबिक नहीं था.'
इसके अलावा कोर्ट ने कहा-
'एनआईए किसी भी विषय में जांच कर सकती है लेकिन वह दो वयस्कों की शादी को लेकर कैसे जांच सकती हैं? अगर दो बालिग शादी करते हैं और सरकार को ऐसा लगता है कि दंपति में से कोई गलत इरादे से विदेश जा रहा है, तो सरकार उसे रोकने में सक्षम है.'
इस फैसले से एक चीज साफ हो गई है कि ये लव जिहाद का मामला नहीं था. यहां अपनी इच्छा से अखिला हादिया बनी थी. हमारे देश में अपनी मर्ज़ी से धर्म चुनना मौलिक अधिकार है. इस्लाम कबूल करने के बाद अखिला शैफीन से मिली तो इसमें लव जिहाद कहां से बीच में आ गया? इतने महीनों से अखिला को अपने शौहर से मिलने की आज़ादी नहीं थी और ये सब कुछ लोगों की वजह से हुआ था. अब जब सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला दे दिया है, हादिया अब अपने पति के साथ रह सकती है.


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