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गुजरात सरकार से छात्रों की अपील, 'नमो टैबलेट नहीं दे रहे तो हमारे पैसे ही दे दो'

गुजरात सरकार ने साल 2017-18 में ये योजना लॉन्च की थी. इसके तहत छात्रों को सस्ते दाम पर नमो टैबलेट्स देने की घोषणा की गई थी. योजना तो लागू हो गई, लेकिन आरोप है कि हजारों छात्रों को अभी तक टैबलेट नहीं मिल पाया है.

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(फोटो: ट्विटर/@DarshanaJardosh)

गुजरात के करीब 75 हजार छात्रों ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि उन्होंने नमो टैबलेट के लिए जो 1,000 रुपये जमा किए थे, उन्हें वापस किया जाए. छात्रों का कहना है कि उनकी पढ़ाई खत्म होने को है, लेकिन सरकार ने पैसे लेने के बावजूद अभी तक उन्हें टैबलेट नहीं दिया है.

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क्या थी योजना?

गुजरात सरकार ने साल 2017-18 में ये योजना लॉन्च की थी. इसके तहत डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कर रहे छात्रों को सस्ते दाम पर नमो (न्यू एवेन्यूज ऑफ मॉडर्न एजुकेशन) ई-टैबलेट्स देने की घोषणा की गई थी. योजना तो लागू हो गई, लेकिन आरोप है कि हजारों छात्रों को अभी तक टैबलेट नहीं मिल पाया है. इनमें से कई छात्र अब अपने डिप्लोमा और डिग्री कोर्स के तीसरे या चौथे साल में दाखिल हो चुके है. इन छात्रों ने 2018-19 और 2019-20 के शैक्षणिक सत्र में ही टैबलेट के लिए पैसे का भुगतान कर दिया था.

छात्र ने पत्र लिखकर जताई नाराजगी

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस मुद्दे पर गोधरा स्थित गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के 2018-19 बैच के एक छात्र ने पिछले महीने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को एक पत्र लिखा था. इसमें छात्र ने कहा था,

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'हमने टैबलेट के लिए फर्स्ट ईअर (अगस्त 2018) में एक हजार रुपये का भुगतान किया था, लेकिन हम अभी तक टैबलेट का इंतजार कर रहे हैं. हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. अब हमारे कोर्स को खत्म होने में महज कुछ महीने बचे हैं.'

रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने 2020-21 और 2021-22 शैक्षणिक सत्र के लिए योजना को स्थगित करने के बाद अब नए सिरे से टेंडर जारी किया है. इस योजना की घोषणा होने के बाद से सरकार ने लगभग आठ लाख टैबलेट दिए हैं.

सरकार की दलील

फरवरी 2020 में गुजरात के तत्कालीन शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा ने राज्य विधानसभा में बताया था कि एक लेनेवो टैबलेट पर छह हजार 667 रुपये का खर्चा आता है. बाद में सरकार ने टेंडर में एक प्रावधान जोड़ दिया था कि टैबलेट 'मेक इन इंडिया' होने चाहिए.

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अखबार के मुताबिक इस बीच कई सारे टैबलेट्स में खराबी देखने को मिली, उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं थी. इसके बाद 3-4 बार और टेंडर जारी किए गए, लेकिन राज्य सरकार की शर्तों का पालन करने वाली कंपनी नहीं मिल पाई. बाद में अगस्त 2021 में भारतीय फर्म लावा इंटरनेशनल को टैबलेट का टेंडर दे दिया गया. अब राज्य के मौजूदा शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने कहा है,

'चूंकि लावा इंटरनेशनल इससे पहले गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतर पाई थी, इसलिए टेंडर रद्द कर दिया गया था और फिर से नया टेंडर जारी किया गया.'

जीतू वघानी ने बताया कि साल 2021 में तीन लाख टैबलेट्स बांटने वाला पिछला टेंडर खारिज कर दिया गया था. वहीं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एसजे हैदर ने कहा,

'गुणवत्ता मानकों के संबंध में की गई टेस्टिंग की दूसरी रिपोर्ट आनी अभी बाकी है. इसमें इसलिए देरी हो रही है क्योंकि ग्लोबल मार्केट में चिप की कमी हो गई है.'

रिपोर्ट के मुताबिक 23 मार्च 2022 को शिक्षा विभाग ने तीन लाख 75 हजार टैबलेट्स के लिए एक नया टेंडर जारी किया है. इसमें बोली लगाने की आखिरी तारीख 12 अप्रैल से बढ़ाकर 16 मई 2022 कर दी गई है.

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