गुजरात सरकार ने राजकोट गेमिंग जोन अग्निकांड (Rajkot Fire accident) मामला सामने आने बाद कई अधिकारियों का तबादला किया है. राजकोट पुलिस कमिश्नर राजू भार्गव, ACP विधि चौधरी और DCP सुधीर देसाई का ट्रांसफर कर दिया गया है. IPS बृजेश कुमार राजकोट के नए पुलिस कमिश्नर बनाए गए हैं. सरकार ने कुल 6 अधिकारियों का ट्रांसफर किया है.
गुजरात अग्निकांड: राजकोट के पुलिस कमिश्नर सहित 6 IPS अधिकारियों का ट्रांसफर
अग्निकांड मामले में जिला अदालत ने तीनों आरोपियों को 14 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है.

इंडिया टुडे से जुड़े ब्रिजेश दोशी की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात सरकार ने राजकोट म्युनिसिपल कमिश्नर का भी तबादला कर दिया है. आनंद पटेल की जगह डीपी देसाई को नया म्युनिसिपल कमिश्नर नियुक्त किया गया है. देसाई अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के CEO हैं.
उधर अग्निकांड मामले में जिला अदालत ने तीनों आरोपियों को 14 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. सुनवाई करते हुए जज ने आरोपियों को कहा कि राजकोट बार एसोसिएशन के सारे वकील आरोपियों के खिलाफ हैं. कोई उनके बचाव के लिए तैयार नहीं है, इसलिए सरकार ने उन्हें वकील दिया है.
रिपोर्ट के मुताबिक बुरी तरह से आग में झुलसे व्यक्ति ने अपने बयान में कहा कि जिस फ्लोर पर आग लगी थी, वहां कर्मचारी दरवाजा बंद करके चले गए थे. उधर फायर विभाग के कर्मचारी ने बताया कि गेमिंग जोन में आग लगने की स्थिति में बचकर निकलने का कोई साधन नहीं था. फायर विभाग को NOC के लिए कोई याचिका नहीं दी गई थी.
हाई कोर्ट ने सरकार को हड़कायाअग्निकांड मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गुजरात सरकार और प्रशासन को फटकार लगाई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता. पूछा गया- क्या इंसान की जान इतनी सस्ती है? क्या नागरिकों की सुरक्षा कभी पहली चिंता रही है?
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि कम से कम दो और गेमिंग जोन बिना परमिट के 24 महीने से चलाए जा रहे हैं. राज्य सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ता मनीषा लव कुमार शाह ने माना कि अहमदाबाद में दो और गेमिंग जोन को संचालित करने की परमिशन नहीं थी. उन्होंने सफाई में कहा कि जांच करने और 72 घंटों के अंदर रिपोर्ट फाइल करने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई है.
कोर्ट को बताया गया कि शहर में कुल 34 गेमिंग जोन हैं, जिनमें से 3 के पास फायर डिपार्टमेंट से NOC नहीं मिली है जो कि अनिवार्य है. इसमें मॉल के अंदर मिनी-गेमिंग जोन भी शामिल हैं. सफाई में कहा गया कि फायर सेफ्टी सर्टिफिकेशन से जुड़ी सुनवाई चार साल से रिजॉल्व नहीं हुई है.
बता दें, मामले को लेकर 26 मई को गुजरात हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. जस्टिस बीरेन वैष्णव और जस्टिस देवेन देसाई की स्पेशल बेंच ने हादसे को मानव निर्मित आपदा बताया था.
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