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ट्रंप के 'टैरिफ अटैक' से पहले ही भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया: रिपोर्ट

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक करने वाला देश है, जो रूस से समुद्री मार्ग से सबसे ज़्यादा कच्चा तेल खरीदता रहा है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का एलान किया है. (सांकेतिक तस्वीर- आजतक)

भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने कथित तौर पर पिछले सप्ताह से रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है.  अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में ऐसा दावा किया है. इसके मुताबिक भारतीय तेल कंपनियों के इस रुख की दो प्रमुख वजहें बताई जा रही हैं. पहली, रूस की तरफ से मिलने वाली छूट में कमी, और दूसरी, अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की चेतावनी. 

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डॉनल्ड ट्रंप ने 14 जुलाई को धमकी दी थी कि जो देश रूस से तेल खरीदेंगे, उन पर तब तक 100% टैक्स लगाया जाएगा जब तक कि रूस यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं करता. हालांकि, भारतीय समयानुसार 31 जुलाई की सुबह ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का एलान किया है.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा तेल आयात करने वाला देश है. साथ ही रूस से समुद्री मार्ग से सबसे ज़्यादा कच्चा तेल खरीदता रहा है. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक अब इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और मैंगलोर रिफाइनरी (MRPL) जैसी सरकारी कंपनियों ने हाल के दिनों में रूसी तेल के लिए कोई नया ऑर्डर नहीं दिया है. रॉयटर्स ने चार सूत्रों के हवाले से ये दावा किया है. इस पर इन कंपनियों और पेट्रोलियम मंत्रालय ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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रिपोर्ट इन सरकारी कंपनियों ने अब खाड़ी देशों और पश्चिम अफ्रीका से मिलने वाले अन्य विकल्पों की तरफ रुख किया है, जैसे अबू धाबी का मुरबान क्रूड. ये तेल अब स्पॉट मार्केट (तुरंत खरीदी जाने वाली मंडी) से लिया जा रहा है. भारत की कुल 5.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन की रिफाइनिंग क्षमता में 60% से ज़्यादा हिस्सेदारी सरकारी रिफाइनरियों की है. हालांकि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और नयारा एनर्जी जैसी निजी कंपनियां अभी भी रूस से सबसे अधिक तेल खरीद रही हैं.

इससे पहले 30 जुलाई को डॉनल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त पेनल्टी लगाने की घोषणा की. इसके कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने पाकिस्तान को लेकर भी एक घोषणा की. उन्होंने कहा है कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक नया व्यापार समझौता हुआ है. ताकि दोनों देशों के तेल के भंडारों को विकसित किया जा सके.

इधर भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि वे टैरिफ की धमकियों की वजह से समझौते नहीं करेंगे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने दावा किया कि अमेरिका के 25 पर्सेंट टैरिफ लगाने से भारतीय अर्थव्यवस्था को ओवरऑल कोई नुकसान नहीं होगा. अधिकारी के मुताबिक ट्रंप के फैसले से भारतीय निर्यात और GDP पर मामूली असर ही पड़ेगा. खेती, डेयरी और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों जैसे क्षेत्र बिल्कुल प्रभावित नहीं होंगे. अधिकारी ने माना कि सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है, लेकिन फिलहाल संकट जैसी स्थिति बिल्कुल नहीं है.

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रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने कहा, '25 पर्सेंट टैरिफ से मामूली असर हो सकता है, लेकिन पूरे भारतीय बाजार के लिए खतरा नहीं है. सबसे बुरा प्रभाव भी सोचें तो ये होगा कि GDP में 0.2 फीसदी की गिरावट आ सकती है, जिससे निपटा जा सकता है.'

अधिकारी ने साफ किया कि भारत अपने किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा. कृषि और डेयरी सेक्टर पर असर डालने वाली किसी भी शर्त को स्वीकार नहीं किया जाएगा

टैरिफ की घोषणा के बाद से भारत के तमाम क्षेत्रों में चिंताएं बढ़ गई हैं. हालांकि सरकार कह रही है कि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले ज्यादातर उत्पाद नए टैरिफ के दायरे में आते ही नहीं हैं. वहीं, द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अमेरिका से बातचीत जारी है. ये डील दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को कम कर सकती है. एक बार हस्ताक्षर हो गए तो दोनों देशों को अपने-अपने टैरिफ स्ट्रक्चर की समीक्षा करने का मौका मिलेगा.

वीडियो: ट्रंप का भारत पर तंज, पाकिस्तान के साथ मिलकर ऑयल ट्रेड डील की

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