जाना माना ग्रोसरी स्टोर - 24 Seven - सामान रखने वाला कैरी बैग बेचने के चक्कर में बुरा फंस गया है (Chandigarh Store Carry Bags). एक कस्टमर की शिकायत पर स्टोर को हर्जाना भरने का आदेश दिया गया है. साथ ही 10 और 20 रुपये में बेचे गए कैरी बैग के पैसे भी वापस लौटाने को कहा गया है.
24 Seven ने कैरी बैग के पैसे ले लिए, कस्टमर ने कंप्लेन की, सिर्फ इस वजह से अब स्टोर भरेगा हर्जाना
जसप्रीत सिंह ‘24 सेवन’ स्टोर पर कुछ सामान लेने गए. उन्होंने गौर किया कि 10-20 रुपये में खरीदे गए कैरी बैग्स में एक गड़बड़ थी, वो मामले की शिकायत करने जिला आयोग के पास पहुंच गए. फिर उसी गड़बड़ के चलते स्टोर पर हर्जाना लगाया गया.

मामला चंडीगढ़ के सेक्टर 26 का है. पंचकुला के रहने वाले जसप्रीत सिंह ‘24 सेवन’ स्टोर पर कुछ सामान लेने गए. स्टोर पर खरीदे गए सामान को रखने के लिए कैरी बैग के तीन ऑप्शन दिए गए थे. फ्री में मिलने वाला छोटा बिना हैंडल वाला पेपर बैग, 10 रुपये का बड़ा पेपर बैग और 20 रुपये का कपड़े वाला बैग. दो मौकों पर शॉपिंग के बाद जसप्रीत ने 10 और 20 रुपये वाला बैग खरीदा. जसप्रीत ने गौर किया कि दोनों ही बैगों पर ‘24 सेवन’ स्टोर का लोगो था. इसके बाद वो मामले की शिकायत करने जिला आयोग के पास पहुंच गए.
केस को लेकर ‘24 सेवन’ ने जवाब में कहा कि शिकायतकर्ता ने बैग की कीमत की पूरी जानकारी के साथ अपनी मर्जी से उसे खरीदा. कहा गया कि स्टोर पर डिस्प्ले में ग्राहकों को खुद का बैग लाने को कहा गया है और कस्टमर्स को फ्री पेपर बैग भी दिया जाता है. इसके बाद जिला आयोग ने जसप्रीत की याचिका खारिज कर दी. फिर जसप्रीत ने आदेश के खिलाफ राज्य आयोग में अपील दायर की.
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य आयोग ने कहा,
स्टोर के सभी बैगों पर लोगो लगाकर ब्रैंडिग की गई है. ये कस्टमर के पैसे पर नहीं किया जा सकता. दुकानदार को कस्टमर से कैरी बैग के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं है क्योंकि उस बैग पर उनका लोगो और नाम है. लोगो के साथ बैग उनके विज्ञापन का हिस्सा बन जाता है. स्टोर के विज्ञापन के लिए कस्टमर से पैसे लेना अनुचित है. दुकानदारों से उम्मीद की जाती है कि वो अपने बिजनेस ऑपरेशन में ही बैगों की लागत निकालें जिससे कस्टमर को स्टोर का विज्ञापन करने वाली किसी चीज के लिए अतिरिक्त शुल्क ना देना पड़े.
राज्य आयोग ने कंपनी के फ्री पेपर बैग को लेकर कहा,
हैंडल वाले पेपर बैग और कपड़े के बैग बेचे जा रहे हैं. जबिक मुफ्त में दिए जाने वाले बैग में हैंडल जैसी जरूरी सुविधा नहीं है. बिना हैंडल वाला बैग असुविधाजनक होता है. खासकर जब किसी को वो सामान दूर ले जाना हो. ऐसे में कस्टमर के पास कोई और ऑप्शन नहीं बचता. हैंडल वाला बैग मुफ्त में ना देकर दुकानदार कस्टमर को दूसरा महंगा बैग खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है.
राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने स्टोर को निर्देश दिया है कि वो जसप्रीत सिंह को बैग की कीमत, मुकदमेबाजी की लागत के 1,000 रुपये और मुआवजे के तौर पर 3,000 रुपये दें.
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