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बच्चों की मौत के मामले में योगी ने की थी कार्रवाई, अखिलेश ने कफील खान को टिकट दे दिया!

टिकट घोषणा के दिन ही कफील ने अखिलेश को पकड़ाई थी किताब!

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UP MLC Election में सपा के Kafeel Khan हार गए. (फोटो साभार Twitter Kafeel Khan)
गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में तैनात रहे डॉक्टर कफ़ील खान (Kafeel Khan) को समाजवादी पार्टी की तरफ़ से MLC प्रत्याशी घोषित किया गया है. कफील देवरिया-कुशीनगर निर्वाचन क्षेत्र से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. पेशे से बच्चों के डॉक्टर कफ़ील खान. 2017 में जब योगी सरकार बनी, उसके बाद तक गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में तैनात थे. फिर अगस्त 2017 में मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 63 बच्चों की मौत हो गई. डॉक्टर कफ़ील पर मेडिकल नेग्लीजेंस का आरोप लगा. जबकि कफ़ील ने सरकार पर ऑक्सीजन सप्लाई में कमीशनखोरी के आरोप लगाए. कुल बीते 4 सालों में कफील खान ने 2 बार निलंबन, 2 बार जेल, और CAA-NRC मामले में NSA के तहत कार्रवाई झेली. नवंबर 2021 में नौकरी से भी बर्ख़ास्त कर दिया गया. और अब डॉक्टर कफ़ील खान सियासत में दांव आजमाने जा रहे हैं. आने वाले विधानपरिषद् चुनावों में कफ़ील को सपा की तरफ़ से देवरिया-कुशीनगर क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. इस सीट से साल 2016 में सपा के रामअवध यादव चुनाव जीते थे. बता दें कि आने वाली 9 अप्रैल, 2022 को 36 विधान परिषद् सीटों के लिए चुनाव होगा, जिनके लिए 15 मार्च से नामांकन शुरू हो गया है. फिलवक्त विधान परिषद् में 48 सीटों पर सपा काबिज है जबकि भाजपा के पास 36 सीटें हैं. हालांकि सपा के 8 और बसपा के 1 MLC भाजपा में जा चुके हैं. ये तो है चुनाव की बात. अब बात कफ़ील खान की. खुद को सामान्य व्यक्ति बताने वाले कफ़ील सियासत का रुख क्यों कर रहे हैं, इसे समझने के लिए कफ़ील की बैकग्राउंड स्टोरी और बीते 4 सालों की टाइमलाइन समझ लीजिए. माजरा समझ में आ जाएगा. कल मंगलवार, 15 मार्च को कफ़ील लखनऊ में अखिलेश यादव से मिले थे. उन्होंने अखिलेश को अपनी लिखी एक किताब भी भेंट की. किताब का नाम है- The Gorakhpur Hospital Tragedy. किताब हमने नहीं पढ़ी है, लेकिन अगस्त 2017 में गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 63 बच्चों की मौत की खबर आपने भी जरूर सुनी होगी. कहा गया कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है. कफ़ील खान उस वक़्त मेडिकल कॉलेज में बतौर बाल रोग विशेषज्ञ तैनात थे. कफ़ील पर लापरवाही का आरोप लगा. गिरफ्तारी भी हुई लेकिन अप्रैल 2018 में जमानत मिल गई. कोर्ट को कफ़ील के खिलाफ़ लापरवाही का कोई सुबूत नहीं मिला था. इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक़ पिछले साल नवंबर में कफ़ील खान का एक वीडियो सामने आया था, उसमें कफ़ील ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. कहा कि बच्चों की मौत इसलिए हुई क्योंकि सरकार ऑक्सीजन सप्लायर को 68 लाख रूपए का भुगतान करने में नाकाम रही. कफ़ील ने आगे कहा कि,
'8 लोग सस्पेंड किये गए थे जिनमें से मुझे छोड़कर 7 लोगों को बहाल कर दिया गया है. जबकि जिलाधिकारी और प्रमुख सचिव ने कोर्ट में कहा है कि मेरी तरफ़ से कोई लापरवाही या भ्रष्टाचार नहीं किया गया है. 6 अगस्त 2021 को सरकार ने कोर्ट में कहा था कि मेरे खिलाफ़ दूसरी जांच रद्द कर दी गई है, बहराइच मामले में कोर्ट ने मेरे निलंबन पर रोक लगा दी थी, इस सबके बावजूद भी मुझे बताया गया है कि मुझे बर्खास्त कर दिया गया है.’
बता दें कि BRD मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद पहले कफ़ील खान को सस्पेंड किया गया और फिर 3 सितंबर 2017 को जेल भेज दिया गया था. 25 अप्रैल 2018 को कफ़ील जमानत पर रिहा हुए. दोबारा 31 जुलाई 2019 को कफ़ील को फिर सस्पेंड कर दिया गया. इस बार आरोप था कि वे बहराइच हॉस्पिटल में दूसरे डॉक्टर्स की ड्यूटी में दखलंदाजी कर रहे थे. कफ़ील को CAA के खिलाफ़ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में रासुका के तहत दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया. तारीख़ 13 दिसंबर 2019. कफ़ील खान ने गिरफ्तारी के बाद तमाम यातनाएं दिए जाने का आरोप लगाया था. बोले,
‘मुझे हिरासत में लेने के बाद 72 घंटे तक पानी नहीं दिया गया, मुझे STF के लोग फिजिकली टॉर्चर करते थे. अजीब सवाल पूछे जाते थे- क्या तुम सरकार गिराने के लिए जापान गए थे? मेरे ऊपर 3 महीने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगाया गया था, इसे दोबारा 3 महीने और फिर एक बार और तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया.’
हालांकि इस मामले में कोर्ट ने कफील के खिलाफ़ आपराधिक धाराओं में कार्रवाई को रद्द कर दिया. लेकिन कफ़ील खान को करीब 9 महीने तक जेल में रहना पड़ा था. अपने CAA विरोधी भाषण के बारे में कफ़ील ने कहा था,
'मुझे इस क़ानून से कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि ये नागरिकता छीनने नहीं बल्कि देने का क़ानून है. लेकिन मुझे उस क्रोनोलॉजी से दिक्कत है जिसका हवाला दिया गया है. कहा गया है कि CAA के बाद NPR आएगा. मैं नहीं चाहता कि नागरिकों के साथ उनके धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाए.'
हालांकि यहां बता दें कि कल मंगलवार, 15 मार्च को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजन्स (NRIC) तैयार करने का फैसला नहीं लिया है. अपने पूरे घटनाक्रम पर कफ़ील ने कहा था कि उन्होंने सिस्टम को बेनकाब किया है, इसीलिए योगी सरकार उन्हें फंसाना चाहती थी. जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कफ़ील बोले थे,
‘मैं राजस्थान इसलिए आया क्योंकि मैं यहां सुरक्षित महसूस कर रहा हूं. मैं एक सामान्य जीवन जी रहा था. BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत हुई थी, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लखनऊ में बैठे लोगों को उनका 10% का कमीशन नहीं मिला था. इसलिए मैं सिस्टम को बेनकाब करना चाहता था. और योगी आदित्यनाथ को मुझसे यही दिक्कत थी. मैं कपिल सिंह या कपिल मिश्रा होता तो भी जेल में डाल दिया जाता, मेरी गिरफ्तारी की कोई और वजह नहीं है’
कफ़ील ने बताया कि उनके साथ जो भी घटा, उससे उनका परिवार बुरी तरह प्रभावित हुआ. बुजुर्ग मां और पत्नी को कोरोना महामारी के दौर में सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े, दोनों भाइयों का बिज़नेस ख़त्म हो गया, जेल में रहने के दौरान पत्नी को बेटा हुआ, जिसे वो 7 महीने बाद देख पाए. और अब कफ़ील विधान परिषद् चुनाव के रास्ते यूपी की सियासत में कदम रखने वाले हैं. सफल होते हैं या नहीं, ये वक़्त की बात है, लेकिन कफ़ील खान की टाइमलाइन से साफ़ है कि राजनीतिक शुरुआतें हमेशा बाई चॉइस नहीं होती, सियासत हमेशा विरासतन भी नहीं मिलती. कई बार सियासत में आना पड़ता है इसलिए आया जाता है.