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इटली पहुंचे PM मोदी, G7 शिखर सम्मेलन आए अतिथियों को जॉर्जिया मेलोनी 'नमस्ते' क्यों कर रही हैं?

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Italian PM Giorgia Meloni) ने EU प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन (EU Chief Ursula Von Der Leyen) और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ (German Chancellor Olaf Scholz) का हाथ जोड़कर स्वागत किया.

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जॉर्जिया मेलोनी हाथ जोड़ती दिखीं. (फ़ोटो - Reuters)

G7 शिखर सम्मेलन शुरू हो गया है. ये सम्मेलन इटली के अपुलिया (Apulia) क्षेत्र के बोर्गो एग्नाज़िया के लक्जरी रिसॉर्ट में 13 जून से 15 जून तक चलेगा. इस शिखर सम्मेलन में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Italian PM Giorgia Meloni) ने कई प्रतिनिधियों और राष्ट्राध्यक्षों का 'नमस्ते' कहकर स्वागत किया. 13 जून को शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के दिन मेलोनी को यूरोपीय संघ (EU) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन (EU Chief Ursula Von Der Leyen) का हाथ जोड़कर स्वागत करते देखा गया. जो कि भारतीय पारंपरिक अभिवादन 'नमस्ते' का संकेत था. एक दूसरा वीडियो भी दिखा, जिसमें उन्होंने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ (German Chancellor Olaf Scholz) का भी नमस्ते कहकर स्वागत किया.

शिखर सम्मेलन के पहले दिन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (joe biden), कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो (justin trudeau),  फ़्रांस के राष्ट्रपति समकक्ष इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron), ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक (rishi sunak) और जापानी प्रधान मंत्री फूमियो किशिदा, जॉर्जिया मेलोनी के साथ शिखर सम्मेलन में मौजूद थे.

प्रधानमंत्री मोदी 14 जून तड़के जी7 समिट के आउटरीच सेशन में हिस्सा लेने के लिए इटली के पहुंच चुके हैं. वो समिट से इतर वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. पीएम मोदी दोपहर 2.15 से 2.40 बजे तक फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, 2.40-3 बजे तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. इसके बाद शाम लगभग सात बजे G-7 समिट में शिरकत करेंगे. रात नौ बजे के आसपास पीएम मोदी जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कॉल्ज़ के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. इसके बाद इटली की पीएम मेलोनी के साथ उनकी मीटिंग होगी. आखिरी में इटली की पीएम रात्रिभोज की मेजबानी भी करेंगी.

पीएम मोदी इटली पहुंचे. (फ़ोटो - विदेश मंत्रालय)
पहले दिन के ज़रूरी मुद्दे

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस सम्मेलन के पहले दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूक्रेनी राष्ट्रपति बोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने एक बड़ा कदम उठाया. दोनों ने रूस के ख़िलाफ़ यूक्रेन की रक्षा को मजबूत करने के लिए 10 साल के सुरक्षा समझौते पर साइन किए. साथ ही, ब्रिटेन ने रूस को सैन्य सामान की आपूर्ति करने वाली संस्थाओं पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की है. इनमें चीन, इज़रायल, किर्गिस्तान और तुर्की की कई संस्थाएं हैं. इन प्रतिबंधों का उद्देश्य यूक्रेन में रूस की युद्ध क्षमताओं को कमज़ोर करना है. इसके अलावा G7 नेताओं ने यूक्रेन के लिए 50 बिलियन डॉलर के ऋण पैकेज पर भी सहमति व्यक्त की. इसमें रूस के प्रतिबंधित सेंट्रल बैंकों से मिले पैसों के शामिल होने की बात भी कही गई है.

बाइडन और जेलेंस्की ने किए हस्ताक्षर. (फ़ोटो - AP)

इस बीच जॉर्जिया मेलोनी और इमैनुएल मैक्रों के बीच विवाद भी सामने आया. दरअसल, इटली ने अंतिम G7 वक्तव्य से "सुरक्षित और कानूनी गर्भपात" के संदर्भ को हटाने की मांग की. इस पर फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कड़ी आपत्ति जताई. ऐसे में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने तुरंत मैक्रों पर आरोप लगाया कि वो इस महीने के आखिर में फ्रांस में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों से पहले राजनीतिक फ़ायदा उठाना चाहते हैं.

पहले दिन के एजेंडे के दूसरे मुद्दों में AI का प्रसार और प्रवासन मुद्दे शामिल थे. ख़ासकर अफ़्रीका से यूरोप की तरफ़ प्रवासियों के जाने से संबंधित मुद्दा, जो इटली के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी. (फ़ोटो - Reuters)

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क्या है G7

G7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा और जापान शामिल हैं. इन देशों में दुनिया की कुल आबादी  का 10 प्रतिशत और कुल GDP का 40 प्रतिशत हिस्सा आता है. इनमें UN सिक्योरिटी काउंसिल के तीन परमानेंट मेंबर्स अमेरिका, फ़्रांस और यूके भी शामिल हैं. ये दुनिया के सात सबसे ताक़तवर और औद्योगिक नज़रिए से सबसे समृद्ध देशों का गुट है.

इस साल इटली G7 की अध्यक्षता कर रहा है और उसी हैसियत से शिखर सम्मेलन की मेजबानी भी. इसमें भारत के अलावा, इटली ने अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के 11 विकासशील देशों के नेताओं को भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. हालांकि यूरोपीय संघ G7 का सदस्य नहीं है, फिर भी वो वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेता है. इस साल का शिखर सम्मेलन मुख्य रूप से नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की रक्षा के लिए तंत्र विकसित करने पर केंद्रित है, जो यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और हमास के ख़िलाफ़ इज़रायल के युद्ध के कारण चुनौती का सामना कर रहा है.

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