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पिता ने बचपन में दुत्कार दिया था, अब इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी

जॉर्जिया कई मौकों पर मुसोलनी की तारीफ़ कर चुकी हैं

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जॉर्जिया मेलोनी (AP)
जॉर्जिया मेलोनी (AP)
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अभिषेक
28 सितंबर 2022 (Updated: 28 सितंबर 2022, 12:36 PM IST) कॉमेंट्स
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साल 2019 में रोम में आयोजित एक रैली में एक महिला ने कुछ इस बुलंदी से अपना परिचय दिया था.

"I am a woman, I am a mother, I am Italian, I am Christian, I am Giorgia,"

मैं एक औरत हूं, एक मां हूं, एक इतालियन हूं, एक ईसाई हूं, मैं जॉर्जिया हूं.”

जॉर्जिया कौन? कुछ समय पहले तक ये नाम एक ख़ास भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित था. अब ये विस्तृत हो चुका है. इस एक नाम ने पूरी दुनिया का ध्यान भूमध्यसागर में बसे देश इटली पर केंद्रित कर दिया है. दरअसल, इटली की सत्ता में लगभग आठ दशक बाद किसी धुर-दक्षिणपंथी शासक की वापस हो रही है. तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की नेशनल फ़ासिस्ट पार्टी से सहोदर-भाव रखने वाली ‘ब्रदर्स ऑफ़ इटली’ ने आम चुनावों में अप्रत्याशित सफलता हासिल की है. कहते हैं कि संभावनाओं में खेलना इंसान की सबसे पसंदीदा और सबसे बेवफ़ा फितरत है. फिर भी, अगर सब उम्मीदों के अनुसार चला तो ब्रदर्स ऑफ़ इटली पार्टी की मुखिया इटली के इतिहास की पहली महिला प्रधानमंत्री बन सकती है. ये वही जॉर्जिया हैं, जिनको लेकर यूरोप समेत दुनिया के कई हिस्सों में चिंताओं की बाढ़ आ गई है.

ये कहानी एक बेपरवाह पिता और सपनों से भरी मां की बेटी, पेशे से पत्रकार, मुसोलिनी को आदर्श बताने वाली नौजवान पार्टी कार्यकर्ता, मस्जिदों के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने वाली राजनेता और इटली की अगली प्रधानमंत्री बनने का सबसे मज़बूत दावा ठोंकने वाली जॉर्जिया मेलोनी की है.

चुनावी कैंपेन करती हुईं जॉर्जिया मेलोनी (फोटो-AP)

रोमन साम्राज्य की नींव रखने वाले ऑगस्टस सीज़र ने एक दफा कहा था, “I found Rome a city of bricks and left it a city of marble.” यानी, मुझे ईंट-पत्थरों वाला रोम विरासत में मिला, मैंने इसे संगमरमर का शहर बना दिया.

सीजर के बयान में कितना सच, कितना भ्रम, इसपर बहस आज भी चल रही है. हालांकि, इसमें कोई शंका नहीं कि रोम इतिहास के सबसे प्रभावशाली शहरों में से एक था और आज भी है. लेकिन जॉर्जिया मेलोनी के लिए इस शहर की तासीर मिली-जुली रही है. जनवरी 1977 में रोम के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जॉर्जिया का जन्म हुआ. उनकी पैदाइश की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. जॉर्जिया के पिता टैक्स एडवाइज़र का काम करते थे. जब वो पेट में थीं, तभी उनके माता-पिता के रिश्तों में दरार आने लगी थी. मां अबॉर्शन कराना चाहती थी, लेकिन उस समय उनके पास ये विकल्प मौजूद नहीं था. इटली में महिलाओं को गर्भपात का कानूनी अधिकार 1978 में मिला.

इसी उहापोह के बीच मां ने बच्चे को जन्म देने का निश्चय किया. इस तरह जॉर्जिया मेलोनी इस दुनिया में आईं. लेकिन तब तक उनके पिता रोम छोड़कर जा चुके थे. उन्होंने एक दूसरे द्वीप पर अपनी दुनिया बसाने का फ़ैसला कर लिया था. इस दुनिया में जॉर्जिया, उनकी मां और उनकी बहन के लिए कोई जगह नहीं थी. 11 साल की उम्र तक वो कभी-कभार पिता से मिलने जाती रहीं. फिर उन्होंने वो रिश्ता हमेशा के लिए खत्म कर दिया.

जॉर्जिया और उनकी बहन एरियाना को मां ने अकेले संभाला. उनका पेट भरने के लिए उन्होंने हर तरह की नौकरी की. एक पुरुष-सत्तात्मक समाज में ख़ुद को साबित करने के लिए उन्हें हमेशा ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती थी. इसका असर जॉर्जिया के बचपन पर पड़ा. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था,

“मुझे अपने पिता की कमी से हमेशा जूझना पड़ा. एक पिता की दुत्कार आपको कमतर महसूस कराती है. ऐसा लगता है मानो आपकी ज़िंदगी का कोई मकसद ही न रह गया हो.”

इसी अहसास ने जॉर्जिया को नई लकीर खींचने का साहस दिया. जब वो थोड़ी बड़ी हुई, तब उन्होंने बार में ड्रिंक्स परोसने से लेकर दूसरे के घरों में बच्चा संभालने तक का काम किया. उन्हें स्कूल में शारीरिक बुनावट के लिए बुली किया गया. ज़्यादा वजन के चलते लोगों ने उनसे दूरी बनाकर रखी. उन्हें छोटी से छोटी चीज हासिल करने के लिए लड़ना पड़ा. इसने जॉर्जिया को उग्र तो बनाया ही, साथ ही संकल्पों को बरतने का हुनर भी दिया.

फिर शुरू हुआ 1990 का दशक. पूरी दुनिया में राजनैतिक उठापटक मची. कोल्ड वॉर खात्मे की तरफ़ बढ़ा. सोवियत संघ दरक रहा था. कम्युनिस्ट विचारधारा मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई थी. दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद इटली में लेफ़्ट और सेंटर-लेफ़्ट पार्टियों का दबदबा था. सोवियत संघ के विघटन का असर इटली पर भी पड़ा. वहां पुरानी पार्टियों का प्रभाव घटने लगा. इसी समय मिलान शहर में जांच अधिकारियों ने घूसखोरी के कुछ आरोपों की जांच शुरू की. जब इसकी परतें खुलीं तो पूरा देश हैरान रह गया. भ्रष्टाचार के खेल में उद्योगपति, नेता, अफ़सर, मंत्री, प्रधानमंत्री सब मिले हुए थे. किसी बड़ी पार्टी का दामन इससे अछूता नहीं था. ये ऐपिसोड देखकर लोगों का मन उचट गया. इसके चलते कई बड़ी पार्टियों ने ख़ुद को भंग कर लिया. वे नए नाम और नई पहचान के साथ राजनीति में वापस लौटीं.

जॉर्जिया मेलोनी (AP)

उसी काल में एक पार्टी ऐसी भी थी, जो स्कैंडल से लगभग अछूती रही थी. इस पार्टी का नाम था, मूविमेंतो सोशिएल इतालियानो (MSI). इसका प्रभाव कुछ चुनिंदा इलाकों तक सीमित था. MSI की स्थापना 1946 में हुई थी. इसे मुसोलिनी के कुछ वफ़ादार लोगों ने मिलकर बनाया था. दूसरे विश्वयुद्ध के अंतिम दिनों में इटली की जनता ने मुसोलिनी और उसकी पत्नी को मारकर उलटा लटका दिया गया था. फ़ासिस्ट पार्टी को पहले ही बैन किया जा चुका था. मित्र राष्ट्रों ने मान लिया कि फ़ासीवाद का खात्मा हो चुका है. अब उन्हें कोई ख़तरा नहीं है. एक वजह ये भी बताई जाती है कि वे इतालियन कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता हासिल करने से रोकना चाहते थे. इसी वजह से उन्होंने फ़ासिस्टों को पनपने से नहीं रोका. इसलिए, जब मुसोलिनी के लोगों ने MSI बनाई, मित्र राष्ट्र दूसरी तरफ़ देखने लगे. उन्हें लगा कि MSI साम्यवाद को संतुलित करती रहेगी. मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं. MSI हमेशा हाशिए पर ही रही.

कोल्ड वॉर के अंत और 1992 के घूसकांड के बाद उनके लिए थोड़ी जगह बनी. लेकिन तब तक कुछ कम कट्टर राजनैतिक पार्टियों का उद्भव होने लगा चुका था. इटली के जिन हिस्सों में MSI बची हुई थी, उनमें से एक में जॉर्जिया मेलोनी का घर था. उन्होंने अपने पास घट रही राजनैतिक हलचल को करीब से देखा. एक दिन वो सीधे पार्टी के दफ़्तर पहुंच गईं. बोली, मुझे पार्टी का मेंबर बनना है. किसी 15 साल की लड़की को इतनी बुलंदी के साथ खड़ी देखना पार्टी वर्कर्स के लिए अजूबे वाली बात थी. उन्होंने जॉर्जिया को यूथ फ़्रंट का मेंबर बना दिया. इस रोल में जॉर्जिया सबसे आगे और सबसे अलग दिखने की कोशिश करतीं. उनके नारे सबसे बुलंद होते थे. उनकी नेतृत्व-क्षमता भी उभरकर सामने आ रही थी.

फिर 1995 का साल आया. MSI को नई पैकेजिंग के साथ लॉन्च किया गया. असल में, मुसोलिनी वाली पहचान उन्हें आगे बढ़ने से रोक रही थी. इसका एक रास्ता निकाला गया. MSI को भंग करके एक नई पार्टी बनाई गई. नेशनल अलायंस (AN). पार्टी के नेता जियाफ़्रैंको फ़िनी ने फ़ासिस्ट सैल्यूट पर बैन लगा दिया. हालांकि, MSI के मशाल वाले सिंबल को बरकरार रखा गया. फ़िनी मुसोलिनी को 20वीं सदी का सबसे महान राजनेता बताते रहे. जॉर्जिया मेलोनी ने भी वही राह पकड़ी. 1996 में चुनाव प्रचार के दौरान मेलोनी ने कैमरे पर कहा,

‘मुझे लगता है मुसोलिनी एक सधे हुए राजनेता था. उन्होंने जो कुछ किया, इटली के लिए किया.’

हाल के आम चुनाव के दौरान मेलोनी का ये वीडियो एक बार फिर से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इसी को लेकर उनके ऊपर फ़ासीवादी होने के आरोप लगे. कहा गया कि मेलोनी प्रधानमंत्री बनीं तो इटली में तानाशाही लौटेगी. वो इससे इनकार करतीं है. मेलोनी कहतीं है, ‘ब्रदर्स ऑफ़ इटली के डीएनए में फ़ासीवाद, नस्लभेद, यहूदी-विरोध जैसा कुछ भी नहीं है.’

ब्रदर्स ऑफ़ इटली का ज़िक्र बार-बार आ रहा है. इसकी कहानी क्या है?

1996 के साल में मेलोनी को नेशनल अलायंस के यूथ विंग का लीडर बना दिया गया. दो साल बाद वो रोम से काउंसिलर चुनीं गई. जिस दौर में मेलोनी स्टूडेंट पोलिटिक्स में चमक रहीं थी, उसी दौर में एक मीडिया मुग़ल नेशनल पोलिटिक्स का बेताज बादशाह बना बैठा था. वो सिल्वियो बेर्लुस्कोनी था. बेर्लुस्कोनी ने 1994 में फ़ोर्ज़ा इतालिया नाम की पार्टी बनाई थी. इसने अपना पहले ही चुनाव में जीत दर्ज़ की थी. बाद के सालों में नेशनल अलायंस ने फ़ोर्ज़ा इतालिया के साथ गठबंधन कर लिया.

2006 के चुनाव में मेलोनी पहली बार इटली की संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ़ डेप्युटीज़’ में पहुंची. 2008 में बेर्लुस्कोनी की कैबिनेट में उन्हें युवा मामलों का मंत्रालय सौंपा गया. वो 31 साल की उम्र में मंत्री बनीं थी. वर्ल्ड वॉर टू के बाद इटली में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर उनका कार्यकाल कुछ महीनों का ही रहा. बेर्लुस्कोनी की पार्टी के अस्तित्व पर संकट गहराने लगा. तब फ़ोर्ज़ा इतालिया और नेशनल अलायंस ने मिलकर एक तीसरी पार्टी बनाई. द पीपल ऑफ़ फ़्रीडम (PDL).

फ़ोर्ज़ा इतालिया खत्म तो हुई थी, लेकिन कुछ समय बाद इसकी वापसी भी हो गई. 2013 में बेर्लुस्कोनी ने फ़ोर्ज़ा इतालिया को फिर से शुरू कर दिया. हालांकि, नेशनल अलायंस के साथ ऐसा नहीं हुआ. हुआ ये कि उसके कुछ सदस्यों ने एक नई पार्टी बना ली. इसका नाम रखा गया, ब्रदर्स ऑफ़ इटली. ये नाम इटली के नेशनल एंथम के पहले वाक्य से लिया गया है. पार्टी के शुरुआती नेताओं में जॉर्जिया मेलोनी भी शामिल थीं. नई-नवेली पार्टी के लिए 2013 के चुनाव में परीक्षा की पहली घड़ी आई. इस चुनाव में उनको महज दो प्रतिशत वोट मिले.

2014 में ब्रदर्स ऑफ़ इटली की कमान मेलोनी को सौंप दी गई. उनकी पहली बड़ी परीक्षा हुई, 2018 के चुनाव में. इसमें पार्टी का वोट प्रतिशत तो बढ़ा, लेकिन सत्ता उनसे कोसों दूर थी. 2018 में ब्रदर्स ऑफ़ इटली को 4.4 प्रतिशत वोट मिले थे. तब ये कहा जाने लगा था कि इस पार्टी का हाल MSI या नेशनल अलायंस जैसा ही होगा. वो हाशिए पर रहकर एक दिन खत्म हो जाएगी. लेकिन चार बरस के भीतर ही ये आकलन ध्वस्त हो चुका है. 2022 के आम चुनाव के नतीजों में ब्रदर्स ऑफ़ इटली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उन्हें लगभग 26 प्रतिशत वोट मिले हैं. उनकी सहयोगी पार्टियों के पास इतने वोट हैं कि वे आसानी से अगली सरकार बना सकते हैं. इस नई सरकार में जॉर्जिया मेलोनी का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है. अगर ऐसा हुआ तो मेलोनी इटली के इतिहास की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी.

अब सवाल ये उठता है कि मेलोनी की जीत से यूरोप चिंतित क्यों है?

इसके पीछे की वजह मेलोनी और उनकी पार्टी की नस्लवादी और धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़ी है. जिस बेर्लुस्कोनी की कैबिनेट में उन्होंने पहली बार सत्ता का स्वाद चखा, वो कई बार मुसोलिनी को पाक-साफ़ बता चुके हैं. बेर्लुस्कोनी ने एक बार कहा था, मुसोलिनी ने किसी को नहीं मारा. 2003 में ब्रिटिश मैगज़ीन स्पेक्टेटर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, मुसोलिनी ने लोगों को जेल में छुट्टियां मनाने भेजा था. बेर्लुस्कोनी ने मुसोलिनी के हर अपराध को नकारा.

उन्हीं की कैबिनेट के मंत्रियों ने ये प्रचार किया कि इटली की आबादी तेज़ी से घट रही है. अगर ऐसा चलता रहा तो मूल लोग गायब हो जाएंगे.

एक दौर में मुसोलिनी ने भी ये भ्रम फैलाया था. उसने कहा था,

बच्चों का पालना खाली है और क़ब्रिस्तान भरते जा रहे हैं. इस तरह दूसरी नस्ल के लोग हमपर हावी हो जाएंगे.

कहा जाता है कि जॉर्जिया मेलोनी की राजनैतिक समझ इसी पाठशाला से उपजी है. वो कहती रहीं है कि प्रवासियों की वजह से इटली की अपनी पहचान खत्म हो जाएगी. वो विदेशी माता-पिता से इटली में पैदा हुई संतान से नागरिकता और सरकारी लाभ का अधिकार छीनने की वक़ालत करतीं है. मेलोनी कहतीं है, प्रवासियों को रोकने के लिए नौसेना का बेड़ा तैनात करना चाहिए. वो मुस्लिमों के ख़िलाफ़ भी काफ़ी कड़वे बयान देती रहीं है. उन्हें समलैंगिक लोगों से समस्या है. वो हर उस चीज़ का विरोध करतीं है, जिससे किसी समाज और देश की आधुनिकता निर्धारित होती है.

वोट डालती हुईं जॉर्जिया मेलोनी (फोटो-AP)

इसकी बानगी जून 2022 में दिए उनके एक भाषण से मिलती है,

‘नेचुरल फ़ैमिली -- हां, LGBT लॉबी -- नहीं 

ईसाईयत की सार्वभौमिकता -- हां, इस्लामिक हिंसा -- नहीं. 

सुरक्षित सीमाएं -- हां, प्रवासियों की बाढ़ -- नहीं.’

2022 के आम चुनाव में मेलोनी ने बेर्लुस्कोनी की फ़ोर्ज़ा इतालिया और साल्विनी की द लीग से हाथ मिलाया है. बेर्लुस्कोनी के बारे में हमने पहले भी बताया है. साल्विनी की बात करें तो वो भी कट्टरता और नस्लवादी राजनीति का जीता-जागता उदाहरण हैं. साल्विनी प्रवासियों के नरसंहार की अपील कर चुके हैं. वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से दोस्ती के पक्षधर हैं.

पक्षधर तो मेलोनी भी रहीं है. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद उन्होंने रूस पर प्रतिबंधों का स्वागत किया है. एक आशंका ये भी जताई जाती है कि मेलोनी इटली को यूरोपियन यूनियन से अलग कर लेंगी. हाल के दिनों में उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया है.

इस समय यूरोप का बड़ा हिस्सा ऊर्जा संकट, महंगाई, अस्थिर राजनीति और मंद अर्थव्यवस्था की समस्या से जूझ रहा है. जाहिराना तौर पर इटली के सामने भी वही संकट है. देखना दिलचस्प होगा कि मेलोनी का फ़ोकस किस तरफ़ रहेगा. सामने दिख रही समस्याओं की तरफ़ या ख़ुद से पैदा किए गए आभासी संकटों की तरफ़?

जॉर्जिया मेलोनी लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स के लेखक जॉन रोनाल्ड टॉल्किन की पक्की वाली फ़ैन हैं. टॉल्किन की एक पंक्ति है,

“अगर हमने स्वर्ण आभूषणों की जगह पर भोजन, खुशी और गीत जमा किए होते तो ये दुनिया कहीं अधिक ज़िंदादिल होती.”

इटली की जनता ने जॉर्जिया मेलोनी को चुन लिया है. अब मेलोनी क्या चुनतीं है, इससे आने वाली कई पीढ़ियों की विरासत तय होगी. ख़ुद जॉर्जिया मेलोनी की भी.

पुतिन ने भाषण में ऐसा क्या कहा कि लोग रूस छोड़कर भागने लगे?

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