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उस ब्लॉकबस्टर फिल्म के किस्से, जिसके प्रीमियर पर जाने से सनी देओल डर रहे थे

प्रोड्यूसर ने कहा अगर सनी को इस फिल्म में काम करना है, तो अपनी फीस कम करनी पड़ेगी.

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राजकुमार संतोषी की पहली फिल्म 'घायल' के दो अलग-अलग सीन्स में सनी देओल.
दीवाली की शाम एक छोटा बच्चा अपने पिता के साथ ठाणे से भायखला जाता है. पैसे उधार मांगने. ताकि परिवार के साथ दीवाली मनाई जा सके. पिता थे मशहूर फिल्मकार पी.एल. संतोषी. पी.एल माने प्यारेलाल ने देव आनंद को लॉन्च किया था. फिल्म थी 1946 में आई 'हम एक हैं'. अपने करियर में आगे उन्होंने भारत भूषण, मधुबाला और राजकपूर जैसे बड़े स्टार्स के साथ काम किया. लेकिन फिल्म प्रोडक्शन समेत कई वजहों से उनकी आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई. वो कई छोटे-मोटे काम करते जिससे घर का खर्च निकल जाए. इसमें तेलुगू फिल्मों में घोस्ट राइटिंग करना भी शामिल है.


1977 की दीवाली थी. संतोषी के पास पैसे नहीं थे कि वो त्योहार मना सकें. उनके एक दोस्त ने कहा कि वो उनके यहां से आकर कुछ पैसे ले लें. प्यारे लाल जी अपने बेटे राजकुमार के साथ उनके पते पर पहुंचे. जो सज्जन उधार देने वाले थे, वो ज़रा व्यस्त थे. वो जब तक पैसे देते, तब तक दुनिया की दीवाली शुरू हो चुकी थी. इस घटना के ठीक 10 महीने बाद मुफलिसी की हालत में प्यारेलाल जी गुज़र गए. अब कहानी शिफ्ट होती है, उस बच्चे पर जिसकी बात आज हम करने वाले हैं. राजकुमार संतोषी और उनकी पहली फिल्म 'घायल'. 22 जून, 1990 को रिलीज़ होने वाली इसी फिल्म ने सनी देओल को पहली बार सुपरस्टार वाला मकाम दिया. लेकिन 'घायल' सनी देओल से ज़्यादा राजकुमार संतोषी की फिल्म है. धर्मेंद्र ने मिथुन से मांगकर फिल्म बेटे सनी देओल को दे दी राजकुमार ने 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. पापा के साथ असिस्टेंट का काम करते थे क्योंकि उनके पास असिस्टेंट रखने के पैसे नहीं थे. पी.एल संतोषी की डेथ के बाद राजकुमार ने विधु विनोद चोपड़ा और गोविंद निहलानी के साथ काम किया. राज ने गोविंद निहलानी को पांच फिल्मों पर असिस्ट किया. अब वो अपनी फिल्म बनाना चाहते थे. कमल हासन को ध्यान में रखकर उन्होंने एक स्क्रिप्ट लिखी थी. फिल्म पर काम शुरू हुआ. जो भी प्रोड्यूसर ये सुनता कि राज, गोविंद निहलानी के साथ काम करते थे, तो उन्हें लगता कि ये आर्ट हाउस टाइप फिल्में बनाएगा. इसलिए कोई उनकी फिल्म पर पैसा लगाने के तैयार नहीं था. फाइनली एक तेलुगू प्रोड्यूसर पी. सुब्बाराव फिल्म को फाइनेंस करने के लिए तैयार हुए. लेकिन उनकी शर्त ये थी कि फिल्म के हीरो संजय दत्त होंगे. क्योंकि उन दिनों संजय, सनी देओल से ज़्यादा बड़े और चर्चित नाम थे. राज अड़ गए. कहा- अगर कमल हासन को नहीं ले सकते, तो अपनी फिल्म में सनी देओल को लेंगे. सुब्बाराव ने कहा, ठीक लेकिन सनी को अपनी फीस कम करनी होगी. क्योंकि उनकी 7-8 पिछली फिल्में नहीं चली हैं.
सनी देओल ने सुब्बाराव से कहा कि वो इस फिल्म के लिए 18 लाख रुपए लेंगे. सुब्बाराव 12 लाख देने को राज़ी हुए. कहा, अगर फिल्म ने सिनेमाघरों में सिल्वर जुबली मनाई यानी 25 हफ्तों तक चलती रही, तो बाकी के 6 लाख भी दे देंगे. डील डन हो गई. अगले दो महीनों तक सुब्बाराव गायब रहे. सनी ने राजकुमार संतोषी की स्क्रिप्ट पढ़ी. उन्हें उस कहानी पर भरोसा आ गया था. इसलिए वो राज और उनकी स्क्रिप्ट के साथ राजस्थान पहुंचे. वहां धर्मेंद्र जे.पी दत्ता की फिल्म ‘बंटवारा’ की शूटिंग कर रहे थे. राज ने उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई और धर्मेंद्र खुश हो गए. इतने खुश कि खुद फिल्म प्रोड्यूस करने को तैयार हो गए.
फिल्म 'घायल' के पोस्टर पर अमरीश पुरी, सनी देओल और मीनाक्षी शेषाद्री.
फिल्म 'घायल' के पोस्टर पर अमरीश पुरी, सनी देओल और मीनाक्षी शेषाद्री.


कहा ये भी जाता है कि राजकुमार संतोषी की फिल्म घायल में मिथुन काम करने जा रहे थे. मगर राजकुमार संतोषी के पास अब भी कोई प्रोड्यूसर नहीं था. जब धर्मेंद्र ने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी, तो वो इंप्रेस हो गए. संतोषी ने कहा कि ये फिल्म मिथुन कर रहे हैं. सनी का करियर ग्राफ ढलान पर था. उन्हें एक हिट फिल्म की सख्त ज़रूरत थी. इसलिए धर्मेंद्र ने पर्सनली मिथुन से राजकुमार संतोषी की फिल्म से अलग होने की रिक्वेस्ट की. धर्मेंद्र बहुत बड़े स्टार थे. साथ ही वो इंडस्ट्री में मिथुन के सीनियर भी थे. मिथुन धर्मेंद्र की बात टाल नहीं पाए. उन्होंने 'घायल' फिल्म छोड़ दी. फाइनली उसे धर्मेंद्र ने प्रोड्यूस किया और फिल्म में सनी देओल लीड रोल में दिखाई दिए.
अच्छा जब घायल के एक्टिंग डिपार्टमेंट की बात हो ही रही है, तो एक छोटा सा ट्रिविया और जान लीजिए. जब घायल के लिए धर्मेंद्र और सनी देओल ऑन-बोर्ड आ गए, फिर तलाश शुरू हुई फिल्म की लीडिंग लेडी की. सनी का मन था कि इस फिल्म में डिंपल कपाड़िया को कास्ट किया जाए. क्योंकि डिंपल और सनी की आपस में बढ़िया बनती थी. मगर धर्मेंद्र इस आइडिया के बिलकुल खिलाफ थे. इसलिए उन्होंने फिल्म में डिंपल की जगह मीनाक्षी शेषाद्री को साइन कर लिया. दूसरी हीरोइन वाले रोल में मौसमी चैटर्जी को लिया गया. मगर फिल्म की मेकिंग के दौरान मौसमी और मेकर्स के बीच कई बार वैचारिक मतभेद हुए. कहा जाता है कि मौसमी के बर्ताव से धर्मेंद्र खुश नहीं थे. जब घायल रिलीज़ होकर बहुत बड़ी हिट साबित हुई, तो फिल्म की कास्ट एंड क्रू ने एक सक्सेस पार्टी मनाई. मगर इस पार्टी में मौसमी को नहीं बुलाया गया. इंडस्ट्री ने इतना हड़काया कि सनी देओल फिल्म के प्रीमियर पर नहीं जाना चाहते थे ‘घायल’ अपने समय के लिहाज़ से थोड़े अलग मिजाज़ की फिल्म थी. 90 के दशक में कुछ-एक फिल्ममेकर्स को छोड़कर हर कोई मसाला बना रहा था. लव स्टोरी, कॉमेडी लेकिन ‘घायल’ में कुछ सोशल वाले गुण थे. धर्मेंद्र के तमाम जानने वाले लोग इस फिल्म की शुरुआती फुटेज देखकर इसे रिस्की सौदा बता रहे थे. इसलिए फिल्म को बनने में ढाई साल लग गए. फिल्म पूरी होने से पहले ही लोगों का ऐसा रिएक्शन देखकर सनी डर रहे थे. ‘घायल’ बनकर तैयार हुई और रिलीज़ से पहले इंडस्ट्री के दोस्त-साथियों के लिए एक प्रीमियर रखा गया. खुद को इंट्रोवर्ट बताने वाले सनी देओल अपनी ही फिल्म के प्रीमियर पर नहीं आना चाहते थे. उन्हें लग रहा था कि कहीं लोगों को उनकी ये फिल्म पसंद नहीं आई, तो सबके लिए बड़ी ऑकवर्ड सिचुएशन हो जाएगी. और अगर पसंद आ गई, तो उन्हें एक-एक कर बहुत सारे लोगों से मिलकर अपनी ही फिल्म और काम की तारीफ सुननी पड़ेगी. मतलब अहसहजता दोनों सिचुएशन में थी. मगर जैसे-तैसे मनाकर सनी को घायल के प्रीमियर पर ले जाया गया, जहां इंडस्ट्री के लोगों ने उनकी इस फिल्म को देखने के बाद स्टैंडिंग ओवेशन दे डाला.
'घायल' से जुड़ी एक पार्टी में फिल्म इंडस्ट्री के बाकी लोगों के साथ सनी देओल का वीडियो नीचे देखिए: जब पहली बार टकराए सनी देओल और आमिर खान 22 जून, 1990 को रिलीज़ होने वाली ‘घायल’ इकलौती फिल्म नहीं थी. उसी दिन आमिर खान और माधुरी दीक्षित स्टारर ‘दिल’ भी रिलीज़ हुई थी. ‘घायल’ एक्शन फिल्म थी और ‘दिल’ टीन-रोमैंस. ये पहली बार था, जब आमिर खान और सनी देओल बॉक्स ऑफिस पर टकरा रहे थे. हालांकि तब फिल्मों के क्लैश का इतना कलेश नहीं होता था. उन दिनों एक्टर्स दिनभर में चार-पांच या उससे ज़्यादा फिल्मों की शूटिंग करते थे. अधिकतर मामलों में एक्टर्स को पता भी नहीं होता था कि उनकी कौन सी फिल्म क रिलीज़ हो रही है. क्योंकि तब प्रमोशन वाला खेल नहीं था. हालांकि दोनों ही फिल्में सुपरहिट रहीं. ‘दिल’ 1990 की हाइएस्ट ग्रॉसिंग फिल्म रही, तो उसी लिस्ट में दूसरे नंबर पर ‘घायल' थी. आगे आमिर और सनी दो बार और टकराए-
# 15 नवंबर, 1996 को सनी की ‘घातक‘ और आमिर की ‘राजा हिंदुस्तानी‘ साथ रिलीज़ हुईं.
# इसके बाद 15 जून, 2001 को इन दोनों सुपरस्टार्स के बीच एक और ऐतिहासिक भिड़ंत देखने को मिली. इस दिन सनी की ‘गदर- एक प्रेम कथा‘ और आमिर की ‘लगान' थिएटर्स में लगी. और कमाल की बात ये कि इस बार भी ये दोनों फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित हुईं.
मगर उससे भी दिलचस्प बात ये कि इन चीज़ों को लेकर आमिर या सनी के बीच किसी तरह की कोई तूतू-मैंमैं नहीं हुई. किन्हीं दो फिल्मों का एक ही दिन रिलीज़ होना, ज़ाहिर तौर पर दोनों ही फिल्मों के लिए नुकसानदेह होता है. मगर इससे पब्लिक के पास चुनाव करने का मौका रहता है. पब्लिक जिस कॉन्टेंट को ज़्यादा पसंद करेगी, उसे देखने के लिए चुनेगी. और अगर मामला टक्कर का रहा, तो वही होगा जो सनी देओल और आमिर खान की पिछली तीन भिड़ंतों में हुआ. दोनों फिल्में खूब देखी जाएंगी.
फिल्म 'दिल' और 'घायल' के सीन्स.
फिल्म 'दिल' और 'घायल' के सीन्स.

सनी ने आमिर से हिसाब चुकता कर लिया ‘घायल’ को उस साल फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में कुल 8 नॉमिनेशन मिले, जिसमें से फिल्म ने 7 अवॉर्ड्स जीते. इसमें बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट एक्टर जैसे मेजर अवॉर्ड्स शामिल थे. वहीं ‘दिल’ के लिए माधुरी दीक्षित को बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर मिला. 38वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में ‘घायल’ ने बेस्ट पॉपुलर फिल्म और सनी देओल को विषेय ज्यूरी अवॉर्ड से नवाजा गया था.
उस साल फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में अपने और अपनी फिल्म को मिले अवॉर्ड्स के साथ सनी देओल और माधुरी दीक्षित.
उस साल फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में अपने और अपनी फिल्म को मिले अवॉर्ड्स के साथ सनी देओल और माधुरी दीक्षित.

फिल्म के सिनेमैटोग्राफर की गाड़ी लेकर शूटिंग करने निकल पड़े सनी फिल्म घायल में एक चेज़ सीक्वेंस है. ये सीक्वेंस तब शुरू होता है, जब कुलभूषण खरबंदा को घर में बंद करने के बाद सनी का कैरेक्टर अजय बलवंत राय को ढूंढने जा रहा है. इस सीन को शूट करने में कई दिक्कतें थीं. पहली बात फिल्म के सिनेमैटोग्राफर राजेन कोठारी पक्के वाले निरामिष व्यक्ति थे. मतलब वो मांस-मछली नहीं खाते थे. मगर फिल्म के इस ज़रूरी सीन की शूटिंग विले पारले के एक मच्छी मार्केट में होनी थी. सेट नहीं रियल लोकेशन पर. सबसे मुश्किल चीज़ थी शूटिंग के दौरान उस पूरे मार्केट को कंट्रोल करना. क्योंकि आम आदमी, जो मच्छी लेने आया है, वो आपके कैमरे के हिसाब से बिहेव क्यों करेगा. और दूसरी दिक्कत थी मछलियों की बदबू से परेशान राजेन बाबू.
फिल्म के एक चेज़ सीक्वेंस में गाड़ी में बैठे सनी. हालांकि हम पक्के तौर पर ये नहीं कह सकते कि ये वही सीक्वेंस है, जिसका ज़िक्र हमने ऊपर किया है.
फिल्म के एक चेज़ सीक्वेंस में गाड़ी में बैठे सनी. हालांकि हम पक्के तौर पर ये नहीं कह सकते कि ये वही सीक्वेंस है, जिसका ज़िक्र हमने ऊपर किया है.


खैर, इन सब समस्याओं के बीच फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. राजेन के बेटे प्रतीक सिनेमा पोर्टल सिनेस्तान को दिए एक इंटरव्यू में बताते हैं कि इस सीन को शूट करने के लिए उनके पिता की फिएट कार का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि प्रतीक ने इसके पीछे की वजह नहीं बताई. या तो उस सीन की शूटिंग के लिए गाड़ी का प्रबंध नहीं किया गया था, या फिर मंगाई गई गाड़ी में किसी तरह की प्रॉब्लम आ गई थी. जिसकी वजह से सनी देओल को अपनी फिल्म के चेज़ सीक्वेंस की शूटिंग के लिए सिनेमैटोग्राफर राजेन कोठारी की गाड़ी लेकर निकलना पड़ा.
एक फिल्म की शूटिंग के दौरान राजकुमार संतोषी के सात सनी देओल.
एक फिल्म की शूटिंग के दौरान राजकुमार संतोषी के सात सनी देओल.


राजकुमार संतोषी 'घायल' को अपने करियर का सबसे बड़ा ब्रेक मानते हैं, जो उन्हें सनी देओल ने दिया था. आगे सनी और राजकुमार संतोषी ने 'दामिनी' और 'घातक' जैसी सुपरहिट फिल्मों पर साथ काम किया. बाद के दिनों में इन दोनों के बीच बड़ी खटपट हो गई. बताया जाता है कि ये सारा हंगामा भगत सिंह की बायोपिक को लेकर बरपा था. इसी आपसी तनातनी की वजह से एक ही दिन भगत सिंह की दो बायोपिक्स रिलीज़ हुईं. राजकुमार की अजय देवगन स्टारर 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' और बॉबी देओल की '23 मार्च, 1931: शहीद'. कई सालों तक सनी और संतोषी की बातचीत-कामधाम सब बंद रहा. फिर सुनने में आया कि सनी, राजकुमार संतोषी के साथ 'फतेह सिंह' नाम की फिल्म में काम करने वाले हैं. लेकिन तब से ही सनी देओल अपने पॉलिटिकल कमिटमेंट्स पूरे करने में लगे हैं और संतोषी 'बैड बॉय' नाम की फिल्म बना रहे हैं.
 'जो ज़िंदगी मुझसे टकराती है. सिसक-सिसककर दम तोड़ देती है'.
'जो ज़िंदगी मुझसे टकराती है. सिसक-सिसककर दम तोड़ देती है'.


'घायल' अपने समय में मजबूत फिल्म इसलिए मानी गई क्योंकि उसका विलन मजबूत था. बलवंत राय फिल्म के पहले एक घंटे में कहीं नज़र नहीं आता. लेकिन उसकी चर्चा भर से हीरो अजय मेहरा हलकान हुआ पड़ा है. वो किरदार स्क्रीन पर नहीं है. कहानी में है. ऐसी ही खूबियां किसी फिल्म को खास बनाती हैं. अगर पॉप कल्चर में 'घायल' की पॉपुलैरिटी की बात करें, तो फिल्म के डायलॉग्स अपनी मौजूदगी मजबूती से दर्ज करवाते हैं. 2012 में एक फिल्म आई थी 'फिल्मिस्तान'. इस फिल्म का नायक सनी बात-बात में 'उतारकर फेंक दो ये वर्दी और पहन लो बलवंत राय का पट्टा अपने गले में. यू बास्केट' कहता सुना जा सकता है. और 'बलवंत राय के कुत्तें' वाले डायलॉग से मेरा निजी सरोकार है. हम इन डायलॉग्स वाली बात से ये समझाना चाहते हैं कि 'घायल' के दो सबसे मशहूर डायलॉग्स में भी फिल्म के विलन का ज़िक्र आ रहा है. और इस बलवंत राय का किरदार निभाया था अमरीश पुरी ने. 2016 में 'घायल' का सीक्वल 'घायल- वन्स अगेन' रिलीज़ हुई. इसे खुद सनी देओल ने डायरेक्ट किया था.