जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स. भारत की दवा बनाने की एक कंपनी है. ये भी 'कोविड-19' की संभावित वैक्सीन का निर्माण कर रही है. इस वैक्सीन का नाम है- HGCO19. ये वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है. यानी इस वैक्सीन की मदद से मानव कोशिकाओं को जेनेटिक निर्देश मिलता है कि वो वायरस से लड़ने के लिए प्रोटीन विकसित करें. अब जेनोवा की वैक्सीन को लेकर ताज़ा अपडेट ये है कि इसे फेज़-1 और फेज़-2 के ह्यूमन ट्रायल की परमिशन मिल गई है.
अब ये कंपनी भारत में 'कोविड-19' वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल करेगी
लेकिन एक अहम शर्त के साथ मिली है ये परमिशन.

जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स, जिसका हेडक्वार्टर पुणे में है, वो इस वैक्सीन को USA की HDT बायोटेक कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर बना रही है. ये भारत में mRNA तकनीक वाली कोविड-19 की पहली संभावित वैक्सीन है, जिसे ह्यूमन ट्रायल की परमिशन मिली.
'इंडिया टुडे' के मिलन शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, क्लिनिकल ह्यूमन ट्रायल की ये परमिशन भारत की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) की सिफारिश के बाद दी गई. कंपनी ने फेज़-1 और फेज़-2 ट्रायल करने के लिए कमिटी को प्रस्ताव भेजा था, इस प्रस्ताव में एनिमल टॉक्सिसिटी स्टडी का डाटा भी शामिल था. इस प्रस्ताव पर कमिटी ने विचार-विमर्श किया. फिर ट्रायल की अनुमति देने की सिफारिश की. SEC के मूल्यांकन के बाद, DCGI ने परमिशन दे दी. SEC की सिफारिश में कहा गया था,
"अच्छी तरह से विचार-विमर्श करने के बाद, कमिटी फेज़-1 और फेज़-2 क्लिनिकल ट्रायल करने की अनुमति देने की सिफारिश करती है. इस कंडिशन के साथ कि फेज़-1 स्टडी का फाइनल नतीजा पहले कमिटी को सौंपा जाए, उसके बाद ही अगले फेज़ का ट्रायल हो."
जेनोवा कंपनी की इस संभावित वैक्सीन को विकसित करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने फंड मुहैया कराया था.
वैक्सीन को लेकर आखिर चल क्या रहा है दुनिया में?
कोरोना की वैक्सीन के निर्माण में दुनिया की कई कंपनियां जुटी हुई हैं. कुछ अपने ट्रायल के आखिरी चरण में हैं, तो एक वैक्सीन ऐसी है, जिसे कोरोना की सुरक्षित वैक्सीन मानकर लोगों को लगाया भी जाने लगा है. फाइजर और बायोएनटेक कंपनी ने मिलकर जो वैक्सीन बनाई है, वो यूके में पहले चरण में कई लोगों को लगाई जा रही है. साथ ही भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक ने अपने टीके के इमरजेंसी यूज ऑथराइज़ेशन के लिए परमिशन मांगी थी, जिस पर 9 दिसंबर की शाम को खबर आई कि इमरजेंसी ट्रायल की ये अर्जी ठुकरा दी गई, कहा गया कि सुरक्षा में कमी थी और टीके के ट्रायल से संबंधित जानकारी काफी नहीं थी. हालांकि समाचार एजेंसी ANI ने 9 दिसंबर की शाम में ही जानकारी दी कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन खबरों को फेक बताया, यानी अर्जी ठुकराने की बाद सही नहीं थी.