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'हमारे जवानों को बंदी बनाया और पीटा', पूर्व आर्मी चीफ ने गलवान वाली घटना पर क्या नया बताया?

MM नरवणे ने संस्मरण में लिखा- गलवान मेरे पूरे करियर के सबसे दुखद दिनों में से एक था. एक दिन में 20 लोगों को खोना, ये सहना कठिन था.

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पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल MM नरवणे (Gen Manoj Mukund Naravane) ने अपनी नई किताब में गलवान घाटी विवाद से जुड़ी नई जानकारी साझा की है. उन्होंने बताया कि भारत और भारतीय सेना ने दुनिया के सामने चीन को चुनौती दी है. उन्होंने बताया कि गलवान घटना के बाद PLA ने कुछ भारतीय जवानों को बंदी भी बनाया था. उन्हें टॉर्चर किया गया था. लिखा कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग 16 जून की तारीख कभी नहीं भूल पाएंगे. इसके पीछे की वजह भी बताई है.

जनरल MM नरवणे के संस्मरण का नाम है 'फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी'. ये किताब जल्द ही रिलीज होने वाली है. इसमें जनरल नरवणे चीन के बार में लिखते हैं,

वो अलग अलग तरीकों से नेपाल और भूटान जैसे छोटे पड़ोसियों को डरा रहे थे. बिना कोई कीमत चुकाए दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा कर रहे थे. भारत और भारतीय सेना ने चीन को चुनौती दी और दुनिया को दिखा दिया कि अब बहुत हो चुका.

जनरल नरवणे लिखते हैं कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 16 जून को कभी नहीं भूलेंगे. लिखा,

16 जून शी जिनपिंग का जन्मदिन है. ये ऐसा दिन नहीं है जिसे वो जल्द ही भूल जाएंगे. दो दशकों में पहली बार चीनी और पीएलए को नुकसान का सामना करना पड़ा. 

गलवान क्लैश किस वजह से हुआ?

MM नरवणे के मुताबिक, चीनी सेना ने पेट्रोलिंग पॉइंट 14 में लगाए अपने दो टेंटों को हटाने से इनकार कर दिया था जिसके बाद भारतीय सेना ने उसी क्षेत्र में अपने तंबू लगाने का फैसला लिया. फिर जब भारतीय सेना के जवान तंबू लगाने गए तो चीनी पक्ष ने हिंसक प्रतिक्रिया दी. लिखा,

16 बिहार के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू स्थिति को शांत कराने एक छोटी पार्टी के साथ गए थे लेकिन PLA ने उन पर हमला कर दिया. अंधेरा होने के साथ दोनों पक्ष अतिरिक्त सैनिकों को लेकर वहां पहुंचे और रात भर मुठभेड़ जारी रही. हथियारों से लैस होने के बावजूद किसी पक्ष ने गोलीबारी नहीं की बल्कि एक-दूसरे के ठिकानों पर डंडों का इस्तेमाल किया और पत्थर फेंके. बेहतर कनेक्टिविटी के चलते चीन अपने ज्यादा सैनिकों को भेज पाया जिससे उन्हें फायदा मिला.

'करियर के सबसे दुखद दिनों में से एक'

पूर्व आर्मी चीफ नरवणे के मुताबिक,

अगले दिन कुछ जवान जो रात में वापस नहीं आ सके या जो अलग हो गए, वापस आने लगे. हाथापाई में घायल होने से पांच जवानों की मौत हो गई थी. अगली सुबह जब जवानों की गिनती हुई तो हमें पता चला कि कई जवान लापता थे.

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उन्होंने लिखा है,

हमारे कई जवानों को चीनी सेना ने खाना या मेडिकल के बिना कुछ समय के लिए हिरासत में लिया था. वो बाद में बेस पर लौट आए. उनमें से 15 ने अपनी चोटों और हाइपोथर्मिया के चलते दम तोड़ दिया. ये मेरे पूरे करियर के सबसे दुखद दिनों में से एक था. एक दिन में 20 लोगों को खोना, ये सहन करना कठिन था.

जनरल नरवणे ने लिखा कि जब भारतीय जवान चीनी सेना के हाथों में थे तब उन्होंने वहां कई चीनी सैनिकों के शवों को नदी से बाहर निकलते देखा था. उनके साथ मारपीट भी की गई. 

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