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कृषि मंत्री ने किसानों को आठ पेज की चिट्ठी में क्या लिखा?

सरकार क्या अब किसानों की बात मान लेगी?

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आठ पेज के पत्र में लिखा है कि कुछ किसान संगठनों में इन कानूनों को लेकर भ्रम पैदा किया जा रहा है (फोटो- PTI)
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के नाम आठ पेज का पत्र लिखा है. कृषि मंत्री ने लिखा कि सरकार इस कानून को लेकर लगातार देश के किसानों के संपर्क में हैं. तमाम राज्यों के किसानों ने कानून को समर्थन भी जताया है. लेकिन कुछ किसान संगठनों में इन कानूनों को लेकर भ्रम पैदा किया जा रहा है. कृषि मंत्री होने के नाते मैं किसानों को सच से अवगत कराना चाहता हूं. इसके बाद इस पत्र में उन्होंने एक टेबल बनाकर कुछ प्रचलित बातों पर सरकार का स्टैंड रखा है. बताया कि जो बात प्रचारित की जा रही है, वो झूठ है और सरकार की तरफ से ये भी बताया है कि सच क्या है. आप भी देखिए कृषि मंत्री का फैक्ट चेक.
झूठ – MSP की व्यवस्था खत्म की जा रही. APMC मंडियां बंद की जा रहीं.
सच – MSP सिस्टम जारी है, जारी रहेगा. APMC मंडियां कायम रहेंगी. APMC मंडियां इस कानून की परिधि से बाहर हैं.
झूठ – किसानों की ज़मीन खतरे में है.
सच – एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा, न कि जमीन के लिए. सेल, लीज और गिरवी समेत ज़मीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा.
झूठ – किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाये के बदले कॉन्ट्रैक्टर्स ज़मीन हथिया सकते हैं.
सच – किसानों की ज़मीन सुरक्षित रहेगी.
झूठ – इन कानूनों को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई.
सच -  दो दशकों तक इस पर विचार-विमर्श हुआ था.
इसी तरह के दो-तीन और फैक्ट चेक किस्म के झूठ-सच पत्र में लिखे गए हैं.
Tomar Letter नरेंद्र तोमर के पत्र का हिस्सा.

पत्र में ये भी लिखा है कि -
“मोदी सरकार ने किसानों को लागत का डेढ़ गुना तक MSP दिया है. जिस सरकार ने पिछले छह साल में MSP के ज़रिये लगभग दोगुनी राशि किसानों के खाते में पहुंचाई, वह सरकार MSP कभी बंद नहीं करेगी. MSP जारी है और जारी रहेगा.”
पत्र में मंत्री ने आगे ये भी लिखा कि पिछले 5-6 साल में कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं. इन्हें आने वाले समय में और आधुनिक बनाया जाएगा. पत्र में लिखा है कि जिन लोगों की राजनीतिक ज़मीन खिसक चुकी है, वो किसानों के बीच झूठ फैला रहे हैं.
अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या कृषि मंत्री के इस आठ पेज के आश्वासन के बाद किसानों के साथ कोई बात बन पाती है या नहीं.

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