झूठ – MSP की व्यवस्था खत्म की जा रही. APMC मंडियां बंद की जा रहीं.
सच – MSP सिस्टम जारी है, जारी रहेगा. APMC मंडियां कायम रहेंगी. APMC मंडियां इस कानून की परिधि से बाहर हैं.
झूठ – किसानों की ज़मीन खतरे में है.
सच – एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा, न कि जमीन के लिए. सेल, लीज और गिरवी समेत ज़मीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा.
झूठ – किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाये के बदले कॉन्ट्रैक्टर्स ज़मीन हथिया सकते हैं.
सच – किसानों की ज़मीन सुरक्षित रहेगी.
झूठ – इन कानूनों को लेकर कोई चर्चा नहीं की गई.
सच - दो दशकों तक इस पर विचार-विमर्श हुआ था.
इसी तरह के दो-तीन और फैक्ट चेक किस्म के झूठ-सच पत्र में लिखे गए हैं.

पत्र में ये भी लिखा है कि -
“मोदी सरकार ने किसानों को लागत का डेढ़ गुना तक MSP दिया है. जिस सरकार ने पिछले छह साल में MSP के ज़रिये लगभग दोगुनी राशि किसानों के खाते में पहुंचाई, वह सरकार MSP कभी बंद नहीं करेगी. MSP जारी है और जारी रहेगा.”पत्र में मंत्री ने आगे ये भी लिखा कि पिछले 5-6 साल में कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं. इन्हें आने वाले समय में और आधुनिक बनाया जाएगा. पत्र में लिखा है कि जिन लोगों की राजनीतिक ज़मीन खिसक चुकी है, वो किसानों के बीच झूठ फैला रहे हैं.
अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या कृषि मंत्री के इस आठ पेज के आश्वासन के बाद किसानों के साथ कोई बात बन पाती है या नहीं.