फहाद 'अन्नायुम रसूलम' और 'महेशिंते प्रतिकारम' जैसी फिल्मों से फेमस हुए. 'थोंडीमुथलम द्रिकसाक्षियुम' में उन्होंने एक चोर के रोल को बहुत मानवीय ढंग से निभाया. जिसके लिए उन्हें 2017 का 'बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर' का नेशनल अवॉर्ड मिला. 'कुंबलंगी नाइट्स' और 'सुपर डीलक्स' जैसी क्रिटिकली एक्लेम्ड फिल्मों में भी वे अहम रोल में दिखे. इस महीने उनकी फिल्म 'ट्रांस' प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई. जिससे वे बहुत चर्चा में छाए हुए हैं.
एक फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने इरफ़ान से जुड़ी अपनी यादें साझा की.
Posted by Fahadh Faasil
on Wednesday, 29 April 2020
इरफ़ान ना होते तो क्या होता
2002 में उन्होंने अपने पिता फ़ाज़िल की डायरेक्ट की हुई फिल्म में एक्टिंग की थी. फिल्म का नाम 'कायेथुम दुराथ'. फिल्म को क्रिटिक्स ने तो नकारा ही. साथ ही यह बॉक्स ऑफिस पर भी फ्लॉप रही. निराश होकर फहाद अमेरिका चले गए. वहां पढ़ाई कर रहे थे.
एक दिन उनके सामने एक फिल्म आई. 'यूं होता तो क्या होता'. सबसे पहले उनका ध्यान इस बात पर गया कि इसे नसीरुद्दीन शाह ने डायरेक्ट किया था. रात को फिल्म देखते हुए कुछ मिनट हुए थे. कि स्क्रीन पर एक कैरेक्टर आया 'सलीम राजाबली'. वे अपने दोस्त निकुंज की तरफ मुड़े, और पूछा कि कौन है यह बंदा.

'यूं होता तो क्या होता' फिल्म में इरफ़ान
अपनी हैरानी को बयां करते हुए फहाद कहते हैं -
"देखिए, कुछ एक्टर होते हैं इंटैंस. कुछ स्टाइलिश होते हैं. चार्मिंग टाइप के एक्टर भी देखे हैं. लेकिन सच बताऊं तो यह पहली बार था जब मैंने ऐसा एक्टर देखा. जो स्क्रीन पर ओरिजिनल था. और उसका नाम था इरफ़ान खान"जब मीरा नायर की 'द नेमसेक' में उन्होंने इरफ़ान को देखा, तो उनके और भी बड़े फैन हो गए.

'द नेमसेक' फिल्म का एक सीन (फोटो: मीरा नायर फेसबुक)
"इरफ़ान को देखूं या फिल्म की कहानी को"
उन्होंने कहा कि इरफ़ान का आगे बढ़ना एक पॉपुलर गाने की तरह था. हर कोई इसे गा रहा था. महसूस कर रहा था. इरफ़ान की फिल्में देखते हुए फहाद के आगे एक परेशानी आने लगी -
"मैं उनकी फिल्में देखता रहा. मैं इतना खो जाता था कि अक्सर मुझसे फिल्मों की कहानी छूट जाती थी. या ऐसा कहो कि जब तक वे परफॉर्म कर रहे होते थे, मेरा कहानी में ध्यान ही नहीं होता था. उन्हें देखकर लगता कि एक्टिंग कितनी आसान चीज़ है. और इस तरह मैं बेवकूफ़ बन गया."तब उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ दी. एक्टर बनने के लिए. कहते हैं कि इस फैसले के पीछे इरफ़ान एक मुख्य कारण थे. वे कभी इरफ़ान से मिले नहीं थे. कभी सामने से देखा भी नहीं. लेकिन उन्होंने कुछ ऐसे एक्टर्स और डायरेक्टर के साथ काम किया है, जिन्होंने इरफ़ान के साथ काम किया था. जब वे विशाल भारद्वाज से मिले, तो सबसे पहले उन्होंने 'मक़बूल' फिल्म का ज़िक्र किया. आपको बता दें कि विशाल भारद्वाज ने 'कार्बन' फिल्म के लिए म्यूज़िक कंपोज़ किया था. जिसमें फहाद लीड रोल में थे.

'कार्बन' फिल्म के सेट्स पर फहाद फ़ाज़िल
दिल में यह पछतावा रह गया है
2018 में एक हिंदी फिल्म आई थी - 'कारवां'. इसमें मलयालम एक्टर दुलकर ने इरफ़ान के साथ काम किया. फिल्म की शूटिंग केरल में हो रही थी. फहाद के पास इरफ़ान से मिलने का मौका था, लेकिन हुआ क्या?
"मेरा प्रिय दोस्त दुलकर हमारे शहर में ही इरफ़ान के साथ शूटिंग कर रहा था. उस समय भी उनसे नहीं मिल पाया, क्योंकि मैं खुद उस समय व्यस्त था. और ऐसा सोचने का कोई कारण नहीं था कि कोई जल्दी है. लेकिन आज उनसे हाथ नहीं मिलाने का पछतावा होता है. मुझे सीधे मुंबई जाकर ही उनसे मिल लेना चाहिए था."

'कारवां' फिल्म के सीन में मिथिला पालकर, दुलकर सलमान और इरफ़ान
उन्होंने कहा कि वे पूरे दिन इरफ़ान के बारे में सोचते रहे. कहा कि उनका करियर इरफ़ान की ही बदौलत है.
"मुझे नहीं लगता कि मैं इतनी दूर आ पाता, अगर मैंने वह डीवीडी नहीं उठाई होती, और उस एक्टर को नहीं देखा होता, जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी."
वीडियो देखें - जिस इरफ़ान के लिए पूरा देश दु:खी है, उनके लिए घटिया बातें बोलने वाले कौन लोग हैं?