डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार 30 अक्टूबर को ऐलान किया कि अमेरिका एक बार फिर न्यूक्लियर हथियारों (US Nuclear Weapons Testing) की टेस्टिंग शुरू करने वाला है. ऐसा करीब 33 साल बाद होने जा रहा है क्योंकि साल 1992 में अमेरिका ने खुद से ही परमाणु हथियारों की टेस्टिंग पर रोक लगा दी थी. ट्रंप ने इसका ऐलान गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक से कुछ मिनट पहले किया. ट्रंप की इस घोषणा को बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है.
न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग फिर शुरू करेगा US, ट्रंप बोले- रूस-चीन कर रहे तो अमेरिका क्यों पीछे रहे?
US Nuclear Weapons Testing Resumes: अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने यह ऐलान ऐसे समय में किया है जब वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियार बढ़ाने की होड़ लगी हुई है. इस घोषणा को बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि रूस और चीन दोनों अपनी परमाणु शक्ति बढ़ा रहे हैं. जबकि अमेरिका स्थिर है. अमेरिका को भी पीछे नहीं रहना चाहिए.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने आरोप लगाया कि रूस और चीन दोनों अपनी परमाणु शक्ति बढ़ा रहे हैं. जबकि अमेरिका स्थिर है. अमेरिका को भी पीछे नहीं रहना चाहिए. इसलिए रूस और चीन के बढ़ते एटॉमिक प्रोग्राम के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा,
“US के पास किसी भी दूसरे देश से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. रूस दूसरे और चीन तीसरे नंबर पर है. लेकिन पांच साल में चीन, अमेरिका की बराबरी कर लेगा. दूसरे देशों के टेस्टिंग प्रोग्राम की वजह से मैंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को हमारे न्यूक्लियर वेपन की टेस्टिंग बराबरी पर शुरू करने का निर्देश दिया है. यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी.”

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उसने आगे यह भी कहा कि पहले कार्यकाल में उसने अमेरिका के परमाणु हथियारों को पूरी तरह अपडेट और बेहतर बनाया. परमाणु हथियारों की विनाशकारी ताकत की वजह से उन्हें यह करना पसंद नहीं था. लेकिन उनके पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था.
डेट-टाइम जल्द पता चलेंगेअमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग दोबारा शुरू होने पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. लेकिन उम्मीद की जा रही डिफेंस अधिकारी इस हफ्ते के आखिर में मीडिया को संभावित टेस्टिंग साइट्स और टाइमलाइन के बारे में जानकारी देंगे.
ट्रंप ने यह ऐलान ऐसे समय में किया है जब वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियार बढ़ाने की होड़ लगी हुई है. रूस ने हाल ही में जरूरी हथियार-कंट्रोल समझौतों से नाम वापस ले लिया है. वह अपनी एडवांस्ड न्यूक्लियर क्षमताओं का प्रदर्शन भी कर रहा है.
इसी महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस के पोसाइडन न्यूक्लियर-पावर्ड सुपर टॉरपीडो के सफल टेस्ट की घोषणा की थी. इसके बाद 21 अक्टूबर को ब्यूरेवेस्टनिक न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल का टेस्ट हुआ और उसके बाद स्ट्रेटेजिक सेनाओं के साथ लॉन्च ड्रिल हुई.
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वहीं, चीन भी इसमें पीछे नहीं है. वह अपने परमाणु हथियारों के मॉडर्नाइजेशन को तेज कर रहा है. US इंटेलिजेंस असेसमेंट में चेतावनी दी गई है कि चीन 5 साल के अंदर परमाणु क्षमताओं में अमेरिका और रूस के लगभग बराबर पहुंच सकता है. इसका जिक्र खुद ट्रंप ने अपने पोस्ट में भी किया है.
परमाणु हथियार पर US की नीति में बदलावट्रंप के इस फैसले को परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका की पॉलिसी में शिफ्ट माना जा रहा है. साल 1992 के बाद से अमेरिका ने अपनी मर्जी से न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग पर रोक लगा दी थी. 1992 से अब तक अमेरिका अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा और भरोसेमंदी जांचने के लिए सिर्फ कंप्यूटर सिमुलेशन और ऐसे परीक्षण करता था जिनमें असली विस्फोट नहीं होता.
लेकिन अब अगर ट्रंप का यह आदेश लागू होता है तो यह एक बड़ा कदम होगा. उम्मीद जताई जा रही है कि इससे दुनिया में परमाणु हथियारों पर नियंत्रण के प्रयास कमजोर पड़ सकता है. इतना ही नहीं इसकी वजह से रूस और चीन जैसे अमेरिका के परमाणु प्रतिद्वंद्वियों के साथ तनाव बढ़ सकता है.
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