केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लेकर विवाद बढ़ गया है. इस मुद्दे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 21 फरवरी को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को पत्र लिखा. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार को NEP 2020 को ‘संकीर्ण दृष्टिकोण’ से नहीं देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस प्रगतिशील शिक्षा नीति को 'राजनीतिक एजेंडे' के रूप में पेश करना सही नहीं है.
तमिलनाडु और केंद्र की तनातनी बढ़ी, धर्मेंद्र प्रधान ने CM स्टालिन को चिट्ठी में क्या कह दिया?
तमिलनाडु सरकार ने NEP के तीन-भाषा फॉर्मूले का विरोध किया है, जिसके तहत स्कूलों में तीन भाषाएं सिखाई जाती हैं. तमिलनाडु में पहले से ही दो-भाषा नीति लागू है, जिसमें छात्र केवल तमिल और अंग्रेजी पढ़ते हैं.

यह पत्र ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु सरकार ने NEP के तीन-भाषा फॉर्मूले का विरोध किया है. इसके तहत स्कूलों में तीन भाषाएं सिखाई जाती हैं. तमिलनाडु में पहले से ही दो-भाषा नीति लागू है, जिसमें छात्र केवल तमिल और अंग्रेजी पढ़ते हैं. मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि शिक्षा राज्य और केंद्र सरकार के साझा अधिकार क्षेत्र (Concurrent List) में आती है. उन्होंने सवाल उठाया कि संविधान के किस अनुच्छेद में तीन-भाषा नीति अनिवार्य की गई है, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए. डीएमके ने इस नीति का यह कहकर विरोध किया कि यह ‘हिंदी थोपने’ की कोशिश है.
दरअसल, तमिलनाडु सरकार ने NEP 2020 को लागू करने से इनकार कर दिया है. इस कारण केंद्र सरकार ने राज्य को समग्र शिक्षा योजना के तहत मिलने वाले फंड को रोक दिया है. इसी को लेकर 20 फरवरी को मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर दखल देने की मांग की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को 2,152 करोड़ रुपये की समग्र शिक्षा योजना की राशि जारी नहीं की है और इसे NEP 2020 को लागू करने से जोड़ा जा रहा है. स्टालिन ने कहा कि इस तरह का दबाव बनाना ‘सहकारी संघवाद’ (Cooperative Federalism) के सिद्धांतों का उल्लंघन है.
धर्मेंद्र प्रधान ने स्टालिन के पत्र पर जवाब देते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार द्वारा बढ़ावा दिए जा रहे सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है. उन्होंने यह भी दोहराया कि NEP 2020 भाषाई स्वतंत्रता को बनाए रखता है और किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपने का सवाल ही नहीं उठता.
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने पत्र में कहा कि NEP 2020 में किसी भी भाषा को थोपने की बात नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि कई गैर-भाजपा शासित राज्यों ने भी इस नीति को अपनाया है. शिक्षा मंत्री का कहना है कि यह नीति शिक्षा के दायरे को संकीर्ण करने के बजाय उसे और व्यापक बनाने का प्रयास कर रही है.
प्रधान ने आगे कहा कि 1968 से ही तीन-भाषा नीति भारत की शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा रही है, लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया. इस वजह से भारतीय भाषाओं की पढ़ाई में गिरावट आई. उन्होंने कहा कि NEP 2020 राज्यों को अपने हिसाब से नीति लागू करने की पूरी छूट देता है और तमिलनाडु को इससे मिलने वाले लाभों को नकारना नहीं चाहिए.
इस बीच इस विवाद पर राज्य के उप मुख्यमंत्री और एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक डीएमके नेता ने चेन्नई में पत्रकारों से कहा, "शिक्षा तमिलों का अधिकार है, यह समझिए कि राजनीति कौन कर रहा है." उन्होंने आगे कहा,
"हम अपनी हिस्सेदारी के रूप में करीब ₹2,150 करोड़ का फंड मांग रहे हैं. लेकिन केंद्र चाहता है कि हम NEP और तीन-भाषा नीति को स्वीकार करें. तमिलनाडु हमेशा से तीन-भाषा नीति का विरोध करता आया है, तो इसमें राजनीति करने की क्या बात है?"
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर हमले के बाद राज्य सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि तमिलनाडु केवल दो-भाषा नीति का ही पालन करेगा.
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