दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है कि वो किस तरह केस डायरीज को सुरक्षित रख रही है. कोर्ट ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट की मांग की है. ये मामला छात्र कार्यकर्ता देवांगना कलिता से जुड़ा है. देवांगना दिल्ली दंगों के आरोप में एक साल से अधिक समय तक जेल में रहीं थीं. उन्होंने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस केस डायरीज के साथ छेड़छाड़ कर रही है. 2 दिसंबर 2024 को इसी याचिका पर हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को केस डायरीज सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था.
दिल्ली दंगा: पुलिस ने केस डायरी से की छेड़छाड़? हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
ये मामला छात्र कार्यकर्ता देवांगना कलिता से जुड़ा है. उन्होंने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस केस डायरीज के साथ छेड़छाड़ कर रही है.

दिल्ली दंगों के एक मामले में देवांगना कलिता के खिलाफ जाफराबाद पुलिस स्टेशन में केस दर्ज है. इस मामले में जून 2021 में उन्हें जमानत मिल गई थी. उन्होंने केस डायरी को सुरक्षित रखने की मांग की थी. इस पर 2 दिसंबर को हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा था,
"मौजूदा केस में शामिल केस डायरीज, खासकर वॉल्यूम नंबर- 9989 और वॉल्यूम नंबर- 9990 को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है. अगली सुनवाई 31 जनवरी 2025 को होगी."
कलिता 'पिंजरा तोड़' ग्रुप की कार्यकर्ता हैं. ये महिलाओं का वो समूह है, जो विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ काम करता है. फरवरी 2020 में दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे. पिंजरा तोड़ ग्रुप पर आरोप लगा था कि 22-23 फरवरी को नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास करीब 500 प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा किया था. इस प्रदर्शन के काउंटर में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और उनके समर्थकों ने भी CAA के समर्थन में रैली निकाली थी. अगले दिन उस इलाके में हिंसा हो गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 6 नवंबर 2024 को देवांगना के इन्हीं आरोपों पर कड़कड़डूमा कोर्ट के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि वो कलिता के आरोपों की जांच नहीं कर सकता है. इसके बाद देवांगना दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचीं.
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कलिता ने आरोप लगाया था कि पुलिस केस डायरी के साथ छेड़छाड़ कर रही है और CrPC की धारा 161 (पुलिस द्वारा गवाहों की जांच) के तहत बयान को पहले की तारीख में दर्ज कर रही है. यानी जिस तारीख को बयान दर्ज किया गया, डायरी में उसके बदले किसी पहले की तारीख को दर्ज करना. उन्होंने मांग केस डायरी को सुरक्षित रखने और फिर से बनाने की मांग की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि 10 जनवरी को कलिता ने मजिस्ट्रेट कोर्ट (शाहदरा) में पूछा कि क्या पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश (2 दिसंबर) का पालन किया है. इसपर पुलिस की तरफ से वकील ने बताया कि कोर्ट ने पहले ही पुलिस फाइल के रूप में केस डायरी को रख लिया है.
हालांकि 20 जनवरी को हाई कोर्ट में जस्टिस विकास महाजन ने कहा कि वकील ने स्पष्ट नहीं किया कि किस तरीके से दोनों वॉल्यूम को सुरक्षित रखा गया है. कोर्ट ने 31 जनवरी से पहले पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है.
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