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दिल्ली में गिराई गई थी मस्जिद, अब हाई कोर्ट के आदेश से किसकी टेंशन बढ़ेगी?

इस मामले में कोर्ट 12 फरवरी को अगली सुनवाई करेगा. तब तक के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने मस्जिद की जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.

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मस्जिद पर DDA की कार्रवाई के दौरान के वीडियो का स्क्रीनग्रैब (फोटो सोर्स- X @falahi_zahid)

30 जनवरी को दिल्ली के मेहरौली इलाके में 'अखूंदजी मस्जिद' (mehrauli akhoondji masjid demolished) को दिल्ली डेवेलपमेंट अथॉरिटी (DDA) के बुलडोजर ने गिरा दिया था. कथित रूप से 600 साल पुरानी इस मस्जिद को तोड़े जाने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने DDA से जवाब मांगा कि उसने किस आधार पर मस्जिद तोड़ी. इस मामले में कोर्ट अगली सुनवाई 12 फरवरी को करेगा. तब तक के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने मस्जिद की जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने (maintain status quo) का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने क्या कहा?

30 जनवरी को, दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) यानी DDA ने आरक्षित वन क्षेत्र- 'संजय वन' में अखूंदजी मस्जिद और एक मदरसे को 'अवैध संरचना' बताते हुए तोड़ दिया था. DDA का कहना था कि “धार्मिक प्रकृति की अवैध संरचनाओं को हटाने की मंजूरी धार्मिक समिति द्वारा दी गई थी, जिसकी जानकारी 27 जनवरी की मीटिंग में मिली थी.”

हाई कोर्ट ने मस्जिद तोड़े जाने के अगले ही दिन यानी 31 जनवरी को DDA से पूछा था, “क्या मस्जिद तोड़ने की कार्रवाई की कोई पूर्व सूचना दी गई थी?”

अदालत ने DDA से एक हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा था.

और आज आई बार एंड बेंच की एक खबर के मुताबिक, हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने आदेश दिया है कि 12 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख तक मस्जिद की जमीन पर यथास्थिति लागू रहेगी. न्यायालय ने ये भी साफ़ किया है कि कि यथास्थिति केवल इस एक प्रॉपर्टी के बारे में है और प्राधिकरण को दूसरी अवैध संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोका जाएगा. कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की मैनेजिंग कमेटी की याचिका पर ये आदेश दिया है.

दिल्ली वक्फ बोर्ड के पक्ष में वकील शाम ख्वाजा ने कोर्ट से कहा,

“मस्जिद की सरंचना करीब 600 से 700 सालों से मौजूद थी. इसे डेमोलिशन का कोई नोटिस दिए बिना ही गिरा दिया गया.”

ख्वाजा ने दावा किया कि,

“प्रॉपर्टी पर बने मदरसे और कब्रिस्तान को भी तोड़ दिया गया, और इस कार्रवाई के दौरान कुरान की प्रतियां भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं.”

जबकि DDA के वकील संजय कात्याल ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘सभी धार्मिक किताबों के साथ सावधानी बरती गई है और वे किताबें अधिकारियों की कस्टडी में हैं. उन्हें वापस कर दिया जाएगा.’ DDA ने कहा कि उसने जब मंदिर तोड़े तब भी मूर्तियों की देखभाल की गई.

दिल्ली वक्फ बोर्ड का ये भी कहना है कि धार्मिक समिति के पास किसी भी विध्वंस का आदेश देने या मंजूरी देने का कोई अधिकार नहीं है. फिलवक्त मस्जिद ढहाए जाने के बाद अब इस मामले पर 12 फरवरी को सुनवाई होगी.

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