दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) अनिल बैजल (Anil Baijal) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बुधवार, 18 मई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजे इस्तीफे में उन्होंने इसके पीछे 'निजी कारणों' का हवाला दिया है. अनिल बैजल 5 साल से भी ज्यादा समय तक दिल्ली के एलजी रहे. इन सालों में कई अहम और चर्चित मुद्दों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी तनातनी रही. 31 दिसंबर 2016 को उन्होंने एलजी का पदभार संभाला था. ये जिम्मेदारी भी पूर्व एलजी नजीब जंग के अचानक इस्तीफे के बाद दी गई थी.
अनिल बैजल ने दिल्ली के एलजी पद से इस्तीफा देने की क्या वजह बताई?
महत्वपूर्ण शक्तियों के बंटवारे के कारण दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद कोई नई चीज नहीं है. वो भी तब, जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकार हो.

वाजपेयी सरकार में रहे गृह सचिव
अनिल बैजल दिल्ली के 21वें उपराज्यपाल थे. वे यूनियन टेरिटरी कैडर से 1969 बैच के IAS अधिकारी रह चुके हैं. 2006 में रिटायर हुए. 37 साल के करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. भारत सरकार के कई विभागों में सचिव का पद संभाला. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गृह सचिव की जिम्मेदारी मिली थी. हालांकि 2004 में यूपीए सरकार बनने के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. इसके अलावा वे दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. 2006 में रिटायरमेंट के समय वे शहरी विकास विभाग के सचिव थे.
इन सबके अलावा अनिल बैजल ने प्रसार भारती, इंडियन एयरलाइन्स में भी जिम्मेदारियां संभाली है. वे नेपाल में इंडिया एड मिशन के भी काउंसलर-इन-चार्ज रहे. अनिल बैजल ने मास्टर्स की दो डिग्री हासिल की हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने आर्ट्स की पढ़ाई की. वहीं ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एंग्लिया से इकनॉमिक्स में मास्टर किया.
चूंकि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है, और यहां सरकार चुनाव के जरिये भी बनती है, इसलिए दिल्ली में सत्ता की ताकत यहां की स्थानीय सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार के पास भी होती है. केंद्र सरकार उपराज्यपाल के जरिये यहां शासन चलाती है. दिल्ली में जमीन, कानून-व्यवस्था, सर्विस और पुलिस से जुड़े मामले एलजी के तहत ही आते हैं. महत्वपूर्ण शक्तियों के बंटवारे के कारण दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद कोई नई चीज नहीं है. वो भी तब, जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकार हो.
केजरीवाल सरकार के साथ विवाद
दिल्ली की AAP सरकार और बैजल के बीच भी ये राजनीतिक झगड़ा चलता रहा. पिछले साल संसद से गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट, 1991 पारित हुआ था. इसमें एलजी को दिल्ली सरकार का 'सर्वोपरि' बनाया गया. मतलब कि कोई भी फाइल उपराज्यपाल के जरिये ही पास हो सकती है. इस मुद्दे पर केजरीवाल और अनिल बैजल के बीच खींचतान हुई थी.

केजरीवाल और बैजल के बीच सबसे बड़ा विवाद जून 2018 का है. सीएम और उनके मंत्रियों ने एलजी आवास पर रातभर धरना दिया था. केजरीवाल सरकार का आरोप था कि आईएएस अधिकारी सरकार के काम में सहयोग नहीं कर रहे. उनकी मांगों में राशन की डोर-स्टेप डिलिवरी की योजना को मंजूरी देना भी शामिल था.
पिछले साल दिल्ली सरकार की एक हजार बसों की खरीद प्रक्रिया को लेकर भी विवाद हुआ था. बीजेपी इस मामले पर सीबीआई जांच की मांग कर रही थी. बैजल ने बस खरीद प्रक्रिया की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमिटी बना दी थी. इसके अलावा स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर भी AAP सरकार और उपराज्यपाल के बीच अनबन चलती रही.
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