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राहुल गांधी ने जस्टिस मुरलीधर ट्रांसफर पर जज लोया को क्यों याद किया?

कांग्रेस समेत क़ानून के जानकार भी अब सरकार पर पिल पड़े हैं.

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जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर पर पहले से काफ़ी बवाल मचा हुआ है और अब नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सरकार को घेर लिया है विपक्ष ने

दिल्ली में हुई हिंसा पर मचे विवाद के बीच हाई कोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर का ट्रांसफर ऑर्डर आ गया. अब ये मामला सियासी रंग पकड़ रहा है. राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने मुरलीधर के ट्रांसफर की टाइमिंग को लेकर पर निशाना साधा है. सरकार ने सफाई दी है कि सब कुछ नियम क़ायदे से हुआ है. आधी रात को हुए इस ट्रांसफर को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर इस दौरान जज लोया को याद किया.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘बहादुर जज लोया को नमन, जिनका ट्रांसफर नहीं किया गया था.’ जस्टिस बृजगोपाल हरकिशन लोया. 1 दिसंबर, 2014 को उनकी मौत हुई. मौत के समय वो सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे. इस केस में मुख्य आरोपी थे अमित शाह. बताया गया कि जस्टिस लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. फिर नवंबर 2017 में ‘द कारवां’ मैगज़ीन में निरंजन टाकले की एक रिपोर्ट छपी. इसमें जस्टिस लोया के परिवार के हवाले से दावा किया गया था कि मौत की स्थितियां काफी संदिग्ध थीं. और, जस्टिस लोया पर एक ख़ास फैसला सुनाने का दबाव बनाया जा रहा था. इसके बाद जस्टिस लोया की मौत पर कई सवाल उठे.

# प्रियंका गांधी ने भी साधा निशाना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पहले पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मसले को उठाया था. प्रियंका ने भी गुरुवार सुबह ट्वीट कर लिखा, ‘आधी रात में जस्टिस मुरलीधर के तबादले से हैरानी हुई. सरकार न्याय का मुंह बंद करना चाहती है.’

कांग्रेस इस मसले पर हमलावर है और अब कई कांग्रेसी नेता इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे न्याय के ख़िलाफ़ साज़िश बताया है कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल ने गुरुवार सुबह ट्वीट कर जज के ट्रांसफर की क्रोनोलॉजी समझाई. प्रशांत भूषण ने ट्वीट करके कहा कि ट्रांसफर तो तीन जजों का हुआ था. लेकिन जस्टिस मुरलीधर को ही तुरंत नोटिस क्यों दिया गया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मसले पर सफाई दी. कहा कि रूटीन के तहत ट्रांसफर किया गया है. और ट्रांसफर की संस्तुति 12 फरवरी को ही हो गयी थी. जज से सहमति भी ली गयी थी.

बुधवार 26 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट में हिंसा को लेकर सुनवाई हुई थी. चीफ जस्टिस की गैर मौजूदगी में जस्टिस एस. मुरलीधर ने इस मामले को सुना और दिल्ली पुलिस, केंद्र सरकार, राज्य सरकार पर सवाल खड़े कर दिए. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को हिंसा के दौरान लापरवाही बरतने के लिए फटकार भी लगी.

बुधवार को ही केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस मुरलीधर को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में बतौर जज पद संभालने का निर्देश दिया है.


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