दिल्ली की एक अदालत ने ग्रॉसरीज (Groceries) डिलीवर करने वाली कंपनी ज़ेप्टो (Zepto) के एक कर्मचारी की सड़क दुर्घटना में हुई मौत के केस में दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने इस मामले को हल करने के लिए सबूतों और गवाहों को प्लांट किया है. न्यायालय ने ये तक कहा कि पुलिसवालों ने अपनी 'सनक, कल्पनाएं और मौज' के आधार पर एक जमानती अपराध को गैर-जमानती बना दिया है.
दिल्ली: सड़क हादसे में Zepto एजेंट की मौत के मामले में कोर्ट ने पुलिस को उल्टा टांग दिया
न्यायालय ने ये तक कहा कि पुलिसवालों ने अपनी 'सनक, कल्पनाएं और मौज' के आधार पर एक जमानती अपराध को गैर-जमानती बना दिया है.

पिछले महीने 16 मई को जेप्टो डिलीवरी कर्मचारी करन राजू (19 वर्ष) को द्वारका सेक्टर 10 में एक कार ने टक्कर मार दी. कार चालक उसके बाद फरार हो गया था. गोयला डेयरी क्षेत्र के झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले करन के परिवार का कहना है कि नवंबर महीने में बहन की शादी के लिए उसने एक महीने पहले ही जेप्टो में काम करना शुरु किया था. लेकिन बहन की शादी से पहले ही बेटे की मौत हो गई.
उधर पुलिस ने मामले की जांच के आधार पर कहा कि करन को टक्कर मारने वाले कार चालक ने घटना के समय शराब पी रखी थी. लेकिन कोर्ट ने पुलिस की जांच को फर्जी बताते हुए कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि आरोपी ने कथित अपराध के दौरान शराब पी रखी थी. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक एडिशनल सेशंस जज लोकेश कुमार शर्मा ने कहा,
'अगर देश की राजधानी में ऐसा हो रहा है, फिर तो भगवान ही जाने कि देश के अन्य हिस्सों में नागरिकों की स्वतंत्रता का भविष्य क्या होगा.'
पुलिस ने इस घटना के तीन दिन बाद एक कंप्यूटर फर्म के 34 वर्षीय कर्मचारी को गिरफ्तार किया था. द्वारका सेक्टर 18 के निवासी सुधाकर यादव को पुलिस उपायुक्त (द्वारका) शंकर चौधरी ने आरोपी के रूप में नामित किया था. पुलिस के मुताबिक 16 मई को शंकर ने कथित तौर पर रात के करीब 11.30 बजे जेप्टो डिलीवरी पार्टनर करन को टक्कर मारी थी.
शंकर चौधरी ने बताया कि आरोपी ने स्वीकार किया था कि उस दिन काफी अंधेरा था और उसकी गाड़ी के आगे दो बाइक चल रही थीं. पुलिस अधिकारी के मुताबिक आरोपी का कहना है कि उसने एक को बचाने के चक्कर में दूसरी बाइक को टक्कर मारी थी. इसके बाद आरोपी व्यक्ति घर गया और अपने परिजनों से इस घटना को छिपा लिया. बाद में उसने उस गाड़ी को रिपेयरिंग के लिए भेज दिया था.
पुलिस अधिकारी ने कहा,
‘इस घटना के बाद जब उन्होंने इसकी जांच की तो उस गाड़ी का बंपर मिला, जिससे जेप्टो कर्मचारी को टक्कर मारी गई थी. इसके बाद तमाम कड़ियां खुलती चली गईं और सुधाकर यादव को गिरफ्तार किया गया.’
वहीं मामले की सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशंस जज लोकेश कुमार शर्मा ने कहा,
'द्वारका (दक्षिण) पुलिस स्टेशन के एसएचओ से ये पूछा गया था कि आखिर किस परिस्थितियों में जांच अधिकारी से कहा गया था कि वे आईपीसी की धारा 304 (पार्ट II) लगाई जाए. अपने जवाब में अधिकारी ने बताया कि उन्होंने 18 मई को संबंधित पुलिस थाने में एसएचओ का पद संभाला था, जब 11.50 रात में एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें ये भी कहा गया है कि वैसे तो ये दुर्घटना 16 मई को हुई थी, लेकिन केस दर्ज करने से पहले ही 18 मई को पीड़ित की मृत्यु हो गई.'
धारा 304 (भाग II) तब लगाई जाती है, जब पुलिस को लगता है कि आरोपी को पता था कि उसके कृत्य के चलते किसी की मौत हो सकती है, जबकि 304 (ए) लापरवाही से मौत के मामले में लगाई जाती है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आरोप का कोई आधार नहीं बनता है और पुलिस ने मनमाना रवैया अपनाते हुए इन धाराओं को एफआईआर में जोड़ा है.
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