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'लोग कहते न पढ़ाओ, इसे ससुराल जाना है...' चाय बेच पिता ने बेटी को कैसे बनाया CA, सुन दिल भर आएगा

मकान नहीं बनवाया, बेटी को पढ़ाया. और नतीजा ये रहा कि Delhi की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली अमिता प्रजापति ने CA की परीक्षा पास कर ली. उनके पिता चाय बेचते हैं. कम पैसा होने के बाद भी कभी हार नहीं मानी और न ही अपना हौसला टूटने दिया. अमिता ने खुद पूरी कहानी बताई है.

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अमिता रिजल्ट आने के बाद पिता के गले लगकर भावुक हो गईं. (इंडिया टुडे)

राष्ट्रकवि दिनकर की कविता की एक लाइन है - ‘मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है’. यानी दृढ़ निश्चय और संकल्प हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. राष्ट्रकवि की इन पंक्तियों को सच साबित किया है. एक बेटी ने. जिसकी हौसलों की उड़ान के आगे तमाम बाधाएं छोटी पड़ गईं. दरअसल इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने कुछ दिनों पहले CA परीक्षा का रिजल्ट जारी किया. दिल्ली की अमिता प्रजापति 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद इस परीक्षा में सफल हो गईं. अपनी सफलता को अमिता ने लिंक्डइन पर शेयर किया. उनकी ये पोस्ट देखते ही देखते वायरल हो गई.

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खबरों के मुताबिक, अमिता दिल्ली के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके में रहती हैं. और उनके पिता चाय बेचते हैं. अमिता ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें पिता उनकी सफलता की खबर सुनकर भावुक हो उठे. वीडियो में देखा जा सकता है कि अमिता अपने पिता को गले लगाते हुए खुशी के आंसू बहा रही हैं.

अमृता ने लिंक्डइन पर अपनी पूरी कहानी बयां की है. उन्होंने लिखा, 

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पापा मैं सीए बन गई. 10 साल लग गए. आंखों में सपना लिए हर रोज खुद से पूछती थी, क्या ये सपना कभी सच होगा? आज,11 जुलाई 2024 को यह सपना सच हो गया. हां, सपने सच होते हैं. लोग कहते थे कि क्यों करवा रहे हो इतना बड़ा कोर्स. तुम्हारी बेटी नहीं कर पाएगी. क्योंकि मैं औसत छात्रा थी. लेकिन पापा के यकीन और मेरे समर्पण ने मुझे आज ये मुकाम दिलाया है.

लोगों ने मारे ताने
अमिता ने लोगों के तानों का जिक्र करते हुए लिखा कि लोग पापा से कहते थे चाय बेचकर तुम इतना नहीं पढ़ा पाओगे. पैसे बचाकर घर बनवा लो. कब तक जवान बेटी को लेकर सड़क पर रहोगे? वैसे भी एक दिन तो इन्हें जाना ही है. पराया धन है. तुम्हारे पास कुछ नहीं बचेगा. उन्होंने आगे लिखा कि हां मैं स्लम में रहती हूं. ये बहुत कम लोग ही जानते हैं. लेकिन अब मुझे कोई शर्म नहीं है.

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सपना पूरा हुआ

अमिता ने आगे लिखा कि कई लोग मुझसे कहते थे 'झुग्गी झोपड़ी उल्टी खोपड़ी'. वो बिलकुल सही कहते थे. उल्टी खोपड़ी नहीं होती तो आज यहां तक नहीं पहुंच पाती. अब इस लायक हूं कि अपने पापा को घर बनवाकर दे सकती हूं. उनकी सारी ख्वाहिशें पूरी कर सकती हूं. पहली बार पापा को गले लगाकर रोई हूं. सुकून है. इस पल के लिए बहुत इंतजार किया था.

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