देश के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से कंजंक्टिवाइटिस के मामले बढ़ते जा रहे हैं. कंजंक्टिवाइटिस जिसे पिंक आई या आंख आना भी कहते हैं. आंखों की वही समस्या जिसके कारण बचपन में आप कभी न कभी काला चश्मा पहन कर बैठे होंगे. इसमें आंखें लाल हो जाती हैं. आंखों में चुभन होने लगती है. घर में अगर किसी एक को हो जाए, तो अक्सर बाकी लोगों को भी ये इन्फेक्शन हो ही जाता है. इसीलिए इसमें काफी बचकर रहने की सलाह दी जाती है. बारिश के मौसम में कंजंक्टिवाइटिस का रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है. जैसा कि आपने भी अब तक जगह-जगह कंजंक्टिवाइटिस के मामले बढ़ने की तमाम खबरें सुन ली होंगी.
बढ़ रहे हैं कंजंक्टिवाइटिस के मामले, इससे बचना कैसे है?
बारिश के मौसम में कंजंक्टिवाइटिस का रिस्क ज्यादा ही बढ़ जाता है. कुछ सिंपल से उपाय हैं, जिन्हें अपना कर आप संक्रमण का रिस्क घटा सकते हैं.

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट है कि दिल्ली के एम्स में कंजंक्टिवाइटिस रोजाना लगभग 100 मामले आ रहे हैं. दिल्ली में बारिश और बाढ़ के साथ कंजंक्टिवाइटिस के केसेज बढ़ने की खबरें पिछले एक-दो हफ्ते से आ रही हैं. सिर्फ दिल्ली ही नहीं गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के भी कई इलाकों में कंजंक्टिवाइटिस के मामले बढ़े हैं. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कंजंक्टिवाइटिस के अब तक 19 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. कंजंक्टिवाइटिस से प्रभावित बच्चों को स्कूल आने से मना किया जा रहा है. वहीं अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों में कंजंक्टिवाइटिस के चलते स्कूल बंद कर दिए गए हैं.
यहां पहले आपको ये बता दें कि कंजंक्टिवाइटिस हमारी आंखों की झिल्ली का एक इन्फेक्शन है. इस झिल्ली को कंजंक्टिवा कहते हैं. हमारी आंखों की ट्रांसपैरेंट झिल्ली, जो आंखों को सुरक्षा देती है. कंजंक्टिवाइटिस में आंखों की कंजंक्टिवा में इन्फ्लेमेशन होता है. इन्फ्लेमेशन को आम भाषा में सूजन और चुभन जैसा समझ सकते हैं. कंजंक्टिवाइटिस ज्यादातर वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है. ये बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण भी हो सकती है. कभी-कभी एलर्जिक रिएक्शन के कारण भी हो सकती है.
कई डॉक्टरों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार कंजंक्टिवाइटिस के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. वजह इस असामान्य बारिश और बाढ़ के कारण वातावरण में नमी बताई जा रही है. ANI की रिपोर्ट में एम्स के आर.पी. सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज के चीफ डॉ. जीवन सिंह टिटियाल बताते हैं,
“हम कंजंक्टिवाइटिस के रोजाना 70-100 मामले देख रहे हैं. आमतौर पर कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में सीजनल बढ़ोतरी देखी जाती है. हर साल बरसात के मौसम में बड़ी संख्या में लोग कंजंक्टिवाइटिस से प्रभावित होते हैं. कंजंक्टिवाइटिस के मामले ज्यादातर वायरस के कारण होते हैं.”
कोटा के भारत विकास परिषद की आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर नेहा जैन बरसात के मौसम आंखों के इन्फेक्शन बढ़ने की वजह बताती हैं,
"बारिश के मौसम में होने वाली नमी के कारण कई तरह के बैक्टीरिया, वायरस और फंगस बढ़ने लगते हैं. इनकी वजह से आंखों में भी इन्फेक्शन देखने को मिलते हैं."
कंजंक्टिवाइटिस के बारे में डॉ. नेहा जैन कहती हैं कि इसमें आंखें लाल हो जाती हैं. आंखों से पानी निकलता है. आंखों में चुभन भी हो सकती है. कभी-कभी आंखों से कुछ डिस्चार्ज होता है, जिसकी वजह से पलकें चिपक जाती हैं. आंखों में सूजन आ सकती है.
डॉ. नेहा जैन कहती हैं कि अगर वायरल कंजंक्टिवाइटिस में कॉर्निया पर असर पड़ जाए तो धुंधला भी दिखने लग सकता है.
कंजंक्टिवाइटिस से बचना कैसे है?सबसे जरूरी सवाल यही है कि कंजंक्टिवाइटिस के बढ़ते मामलों के बीच आप खुद को बचाएंगे कैसे. दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में ऑप्थेल्मोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एस.एन झा कहते हैं कि यूं तो ये पता नहीं चल पाता है कि किसी को इन्फेक्शन कब और कहां हुआ. ध्यान देने वाली बात ये है कि इन्फेक्शन हैंड टू आई कॉन्टैक्ट से होता है. मतलब जब आप हाथ से अपनी आंखें छूते हैं.
- इसलिए इसमें हैंड हाइजीन यानी हाथों को साफ रखना जरूरी है. जैसा कि COVID-19 में भी बचाव का एक उपाय हाथों को साफ रखना बताया गया था.
- अपनी पर्सनल चीजें जैसा तौलिया, नैपकिन, रूमाल, आंखों और चेहरे के मेकअप वाली चीजें अलग रखिए. ना किसी की चीजें इस्तेमाल कीजिए और किसी को अपनी ऐसी चीजें भी इस्तेमाल के लिए दीजिए.
- चश्मा लगाने से भी कंजंक्टिवाइटिस का रिस्क कम हो सकता है क्योंकि जब आप चश्मा लगाए रहते हैं, तो हाथों से अपनी आंखें कम ही छूते हैं.
अगर कंजंक्टिवाइटिस हो जाए, तो क्या करें?- अगर आपको कंजंक्टिवाइटिस है, तो सबसे काले चश्मे पहनें और किसी के नजदीक जाने से बचें.
- अपनी आंखों को साफ रखिए. अगर आंखों से कुछ निकल रहा है, तो उबाले गए कॉटन से उसे साफ करिए.
- डॉक्टर को जरूर दिखाएं और डॉक्टर की बताई दवाइयां ही लीजिए. इसमें जरूरी ये है कि खुद से स्टेरॉयड ना यूज करें. स्टेरॉयड से नुकसान हो सकता है.
- डॉक्टर आंखों के लिए जो एंटीबायोटिक ड्रॉप और लुब्रिकेंट लिखें, उसे ही डालिए.
- अगर आपके बच्चे को कंजंक्टिवाइटिस है, तो उसे कुछ दिन स्कूल ना भेजें.
- अगर एक आंख में कंजंक्टिवाइटिस हो गया है तो दूसरी आंख पर इस्तेमाल किया हुआ रूमाल या हाथ न लगाएं.
- आंखों पर मेकअप की कोई चीज ना लगाएं.
- अगर कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो इस दौरान लेंस ना पहनें.
मेयो क्लीनिक के मुताबिक ज्यादातर कंजंक्टिवाइटिस एडिनोवायरस के इन्फेक्शन से होता है. दूसरे वायरस जैसे हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस और वेरीसेला-ज़ोस्टर वायरस भी इसकी वजह हो सकते हैं. वायरल और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस दोनों में सांस से जुड़े इन्फेक्शन के लक्षण भी दिख सकते हैं. जैसे, गले में खराश. दोनों तरह के कंजक्टिवाइटिस काफी संक्रामक होते हैं. ये संक्रमित व्यक्ति की आंखों से निकलने वाले लिक्विड से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट संपर्क से फैलता है.
डॉ. जीवन सिंह टिटियाल बताते हैं कि कंजंक्टिवाइटिस किसी को देखने से नहीं फैलता है. ये संक्रमित व्यक्ति या उनके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों को छूने से फैलता है. इसलिए इसमें खासतौर पर संक्रमित व्यक्ति से दूरी मेंटेन करने और उसकी चीजों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है. डॉ. जीवन सिंह टिटियाल के मुताबिक आमतौर पर कंजंक्टिवाइटिस 1-2 हफ्ते में ठीक हो जाता है.
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