The Lallantop

संसद में सोनिया गांधी ने किया पति राजीव गांधी को याद, अमित शाह क्यों खड़े हो गए?

कांग्रेस की तरफ़ से पूर्व-अध्यक्षा सोनिया गांधी ने विधेयक के प्रति समर्थन ज़ाहिर किया. साथ में ये भी कहा कि जातिगत जनगणना करवा कर SC, ST और OBC महिलाओं के लिए उप-कोटा भी तुरंत लागू किया जाए.

Advertisement
post-main-image
महिला आरक्षण बिल पर सोनिया गांधी. (फोटो - संसद टीवी)

आज, 20 सितंबर को संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर बहस शुरू हुई. कांग्रेस की तरफ़ से पूर्व-अध्यक्षा और रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने बहस शुरू की. विधेयक के  प्रति समर्थन ज़ाहिर किया. साथ में ये भी कहा कि इस आरक्षण को तुरंत लागू किया जाए और इसके साथ जातिगत जनगणना करवा कर SC, ST और OBC महिलाओं के लिए उप-कोटा भी तुरंत लागू किया जाए. कहा, 

Advertisement

"आज महिलाएं अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारियां उठाने के लिए तैयार हैं. लेकिन उन्हें इंतज़ार करवाया जा रहा है. ये कितना उचित है?

सोनिया ने ये भी कहा कि इस विधेयक पर बात रखना उनके लिए बहुत भावनात्मक है क्योंकि उनके पति - देश के पूर्व प्रधानमंत्री - राजीव गांधी ने निकाय चुनावों में महिला आरक्षण लागू किया था.

Advertisement

सोनिया ने अपना वक्तव्य ख़त्म किया. इसके बाद गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को बोलने के लिए आमंत्रित किया गया. जैसे ही निशिकांत खड़े हुए, हो-हल्ला शुरू होने लगा कि महिलाओं के बिल पर बात करने के लिए पुरुष क्यों? इस पर गृह मंत्री अमित शाह खड़े हुए और बोले, 

“क्या महिलाओं ही चिंता केवल महिलाएं ही करेंगी? पुरुष नहीं कर सकते?”

ये भी पढ़ें - 'परकटी महिलाएं', 'कांग्रेस का पाप', महिला आरक्षण के बीच ये बयान

Advertisement

 इससे पहले, 19 सितंबर को केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसके लिए संविधान संशोधन (128वां) विधेयक 2023 पेश किया था. अभी जो प्रावधान हैं, उनके मुताबिक़:

  • संसद और राज्य विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण.
  • महिला आरक्षण की समय सीमा 15 साल होगी. संसद में संशोधन के जरिये इस आरक्षण को बढ़ाया जा सकेगा.
  • इस आरक्षण के भीतर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को करीब एक तिहाई आरक्षण मिलेगा.

हालांकि इस बिल के क्लॉज-5(3) में ये भी लिखा है कि संसद या विधानसभा में महिला आरक्षण तब प्रभावी होगा, जब तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. यानी साल 2024 के चुनाव में महिला आरक्षण लागू होगा या नहीं, ये अभी स्पष्ट नहीं है. इसलिए कई विपक्षी दल इस बिल को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं.

ये भी पढ़ें - संसद में टेबल हुए महिला आरक्षण बिल का क्या इतिहास है?

साल 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा में पेश किया था, जिसे 2010 में पारित कर दिया गया. हालांकि, यह विधेयक लोकसभा तक नहीं पहुंच सका. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 और 2019 के चुनावी वादों में इस बिल को भी गिना था. इसी वजह से 19 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों सदनों में अपील की थी, कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाए. 

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: महिला आरक्षण बिल के पीछे PM मोदी का क्या प्लान है?

Advertisement