कांग्रेस ने राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के 14 अगस्त के संबोधन पर आपत्ति जताई है. कहा है कि राष्ट्रपति के संबोधन में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम न लेना, नेहरू को इतिहास से मिटाने के लिए जारी अभियान का हिस्सा है. कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है. इसमें उन्होंने नेहरू के 15 अगस्त 1947 के भाषण का जिक्र किया है.
राष्ट्रपति के संबोधन में नेहरू का नाम नहीं, कांग्रेस ने सरकार पर बड़ा आरोप लगा दिया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार, 14 अगस्त की शाम देश के नाम अपना संदेश दिया था. इसमें महात्मा गांधी, सरदार पटेल, बीआर आंबेडकर और कई स्वतंत्रता सेनानियों के नामों का जिक्र था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू का नाम शामिल नहीं था.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और कम्युनिकेशन इन-चार्ज जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया,
"ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कल रात माननीय राष्ट्रपति के राष्ट्र के नाम संबोधन में हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के कई प्रतिष्ठित हस्तियों का उल्लेख तो हुआ, लेकिन भारत के पहले प्रधानमंत्री के नाम का कोई जिक्र नहीं किया गया, जिन्होंने अंग्रेजों की जेल में 10 साल बिताए थे. ये स्पष्ट रूप से उन्हें हमारे इतिहास से मिटाने और समाप्त करने के लिए जारी अभियान का हिस्सा है."
जयराम रमेश ने जवाहर लाल नेहरू के 'tryst with destiny' भाषण की बात करते हुए लिखा है,
"15 अगस्त, 1947 को ऑल इंडिया रेडियो पर राष्ट्र के नाम उनका (जवाहर लाल नेहरू का) संबोधन प्रसारित हुआ, जिसकी शुरुआत उन्होंने खुद को 'भारतीय लोगों का पहला सेवक' बताते हुए की थी. 15 अगस्त 1947 की सुबह अखबारों में उनका राष्ट्र के नाम संदेश छपा था."
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जयराम रमेश ने आगे आजाद भारत की पहली कैबिनेट के बारे में बताते हुए लिखा है,
“उसी दिन 14 मंत्रियों ने शपथ ली थी. इनमें नेहरू और सरदार पटेल के अलावा, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, डॉ. बीआर आंबेडकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जगजीवन राम, राजकुमारी अमृत कौर, सरदार बलदेव सिंह, सीएच भाभा, जॉन मथाई, आरके शनमुखम चेट्टी, एनवी गाडगिल और रफी अहमद किदवई थे. चार हफ्ते से भी कम समय के बाद, केसी नियोगी और गोपालस्वामी अयंगर ने भी शपथ ली. वो शानदार व्यक्तित्वों से भरपूर एक अविश्वसनीय कैबिनेट थी.”
आगे जयराम रमेश ने 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के राष्ट्र के नाम संबोधन पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के संबोधन में नेहरू का नाम नहीं लिया जाना, उन्हें इतिहास से मिटाने के अभियान का हिस्सा है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार, 14 अगस्त की शाम देश के नाम अपना संदेश दिया. देशवासियों को 78वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा,
"राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वाधीनता संग्राम की विभिन्न परंपराओं और उनकी विविध अभिव्यक्तियों को एकजुट किया. साथ ही, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और बाबासाहब आंबेडकर तथा भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे अनेक महान जन-नायक भी सक्रिय थे. ये एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन था, जिसमें सभी समुदायों ने भाग लिया. आदिवासियों में तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, लक्ष्मण नायक और फूलो-झानो जैसे कई अन्य लोग थे."
राष्ट्रपति ने ये भी कहा था कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब देश दुनिया की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में जगह पाने के लिए तैयार है.
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