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कॉकरोच से डर लगता है? कॉकरोच के दूध के फायदे जान लीजिए, दोस्ती कर लेंगे!

100 ग्राम कॉकरोच का दूध निकालने के लिए 1000 कॉकरोच लगते हैं.

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कॉकरोच और दूध की सांकेतिक फोटो(फोटो: इंडियो टुडे)

गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, सोया, बादाम, नारियल के दूध की बातें अब पुरानी हो गई हैं. बाजार में अब कुछ नया आया है. कॉकरोच का दूध. दोबारा पढ़ने की जरूरत नहीं है, आपने सही पढ़ा है. कॉकरोच का दूध माने तिलचट्टे का दूध. इसकी खोज भारत के ही एक वैज्ञानिक ने की है. काम की बात ये है कि कॉकरोच के दूध को गाय, भैंस के दूध से ज्यादा फायदेमंद बताया जा रहा है. 

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चाहे प्रोटीन की मात्रा की बात हो या गुड फैट्स की बात करें, हर मामले में ये बाकियों से आगे है. साथ ही ये लैक्टोज(Lactose) फ्री होता है. लैक्टोज इन्टॉलेरेंट लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. लैक्टोज़ इन्टॉलेरेंट वो लोग होते हैं, जिन्हें दूध या दूध से बनी चीजों को पचाने में समस्या आती है. अब इस दूध से वो ब्लोटिंग की सम्सया से बचेंगे और उन्हें इसे पचाने में भी कोई समस्या नहीं आएगी. कहा जा रहा है कि आने वाले समय में यह एक बेहतरीन सुपरफूड साबित हो सकता है.

क्या कॉकरोचों की सभी प्रजातियां दूध देती है

इसकी खोज करने वाले भारतीय शोध संस्थान इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल बॉयोलॉजी एंड रिजेनरेटिव मेडिसन के साइंटिस्ट सुब्रमण्यम रामाश्वमई के मुताबिक अमेरिका के हवाई द्वीप जैसी जगहों पर पाए जाने वाले पैसिफिक बीटल नाम की कॉकरोच की एक प्रजाती पाई जाती है. विज्ञान की दुनिया में इसे 'डिप्लोप्टेरा पंक्टाटा' के नाम से जाना जाता है. ये बाकी सारी प्रजातियों की तरह अंडे न देकर बच्चे पैदा करते हैं और अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं. बड़ी बात ये कि इस प्रजाती के बच्चे हमेशा जवान रहते हैं. उनके जवान रहने का राज है उनकी मां का दूध गाय के दूध से भी कई गुना ज्यादा पौष्टिक होता है. 

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एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक 100 ग्राम दूध निकालने के लिए करीब 1000 कॉकरोच की जरूरत होती है. ऐसा भी माना जा रहा है कि कुछ दिनों बाद बाजार में कॉकरोच मिल्क की पिल्स (गोलियां) भी आना शुरू हो जाएंगी.

कॉकरोच के दूध का इतना जलवा क्यों?

वाशिंगटन पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में बायोकेमिस्ट सुब्रमण्यम रामाश्वमई ने कहा था कि इस दूध को कोई पसंद नहीं करेगा लेकिन फिर भी हम इसे तैयार कर रहे हैं क्योंकि इसके फायदे बहुत कमाल के हैं. उन्होंने बताया कि इसके धीरे-धीरे सेवन करने से इंसान को लंबे समय तक लाभ मिलता रहेगा और इससे कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होते हैं. यह इंसानों के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगा. 

इसके अलावा शोधकर्ता डॉ. संचारी बनर्जी ने बताया कि इसमें प्रोटीन क्रिस्टल नाम की एक धातु होती है जो की प्रोटीन, फैट और शुगर से मिल कर बनी होती है.  International Union of Crystallography की रिसर्च के मुताबिक कॉकरोच के दूध में भैंस के दूध से तीन गुना ज्यादा एनर्जी होती है और इसमें अमिनो एसिड्स की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है. 

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हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कॉकरोच ने अपना भौकाल टाइट किया हो, इससे पहले भी पोषक तत्वों के मामले कॉकरोच धाक जमा चुका है. कुछ समय पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च में दावा किया था कि लाल मीट से भी ज्यादा कॉकरोच खाना फायदेमंद होता है.

कहां मिलेगा कॉकरोच का दूध?

दक्षिण अफ्रीका में एक कंपनी है गुर्मे ग्रब नाम की जिसने ऐसे ही कीड़े-मकौड़ो का दूध बनाना शुरु किया है. दावा किया जाता है कि इनका स्वाद पीनट बटर, चॉकलेट और चाय जैसा होता है. उनका कहना है कि कॉकरोच के इस दूध में बढ़िया मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है और गुड फैट की मात्रा गजब की है. वैज्ञानिकों ने भी उम्मीद जताई है कि जल्द ही इसका इस्तेमाल प्रोटीन सप्लीमेंट के रुप में किया जा सकता है. 

(आपके लिए यह स्टोरी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रहे आर्यन ने लिखी है.)

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