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लद्दाख में चीन फिर वही कर रहा है जो 1962 में जंग की वजह बना था

देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी माना है कि लद्दाख में स्थिति काफी गंभीर है.

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सरल शब्दों में कहें तो बॉर्डर के पास एक रोड पर चीन की हरकतें लगातार जारी हैं. रोड का नाम है चाइना नेशनल हाईवे-219. ये तस्वीर प्रतीकात्मक है. (फोटो- AP)
कोरोना, सुशांत सिंह राजपूत केस और रसोड़े के बीच में अगर आपको लग रहा है कि चीन वाला मामला अब ठंडा पड़ गया है तो आप ग़लत हैं. इंडिया टुडे ने पिछले कुछ बरसों की सैटेलाइट इमेजेज़ के अध्ययन के आधार पर एक स्टोरी की है. इसके मुताबिक चीन एक ऐसा गड़ा मुर्दा उखाड़ रहा है, जो हमारे और उनके बीच 1962 की जंग की वजह बना था.
लद्दाख के आस-पास चीन कुछ वैकल्पिक सड़क मार्ग तैयार कर रहा है. जिसका पहली नज़र में एक ही कारण समझ आता है- उनकी सेना- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को यहां मूवमेंट में आसानी हो. पिछले करीब 10 साल के सैटेलाइट इमेजेज़ देखने पर पता चला है कि चीन पूर्वी लद्दाख के नॉर्थ-ईस्ट तक रोड तैयार करने की कोशिश कर रहा है. वो चाइना नेशनल हाइवे-219 से इस रोड को निकालने की फ़िराक में है. चाइना नेशनल हाईवे-219, जिसे जी-219 के नाम से जाना जाता है. ये वही रोड है, जो 1962 में भारत-चीन के बीच जंग की वजह बना था.
China G 219 ये 27 अगस्त की सैटेलाइट इमेज है. इसमें आप चीन का जी-219 हाईवे और उससे निकली दो लैटरल रोड्स (सहायक रोड) देख सकते हैं. रिटायर्ड कर्नल विनायक भट्ट ने इंडिया टुडे के लिए इन सैटेलाइट इमेज का एनालिसिस किया है. (फोटो- Google Earth)

क्या है जी-219?
ये चीन का नेशनल हाईवे है. चीन के कारगिलिक शहर से निकलकर तिब्बत के ल्हात्से शहर तक जाता है. करीब 2700 किमी लंबा हाईवे है. चीन ने 1950 में ये हाईवे बनाना शुरू किया था और 1957 में पूरा किया था. अब सवाल ये कि चीन का एक हाईवे उसके और भारत के बीच तनाव की वजह कैसे?
दरअसल ये हाईवे होकर गुज़रता है अक्साई चिन से. इसी वजह से भारत ने 1957 से ही इस हाईवे पर आपत्ति जताई है. विवाद बढ़ता गया. 62 में जंग की नौबत आ गई, जिसकी बड़ी वजह ये जी-219 हाईवे भी था.
*अक्साई चिन पर चीनी कब्जे की कहानी यहां
जानें.

62 की जंग के बाद चीन ने जी-219 के पश्चिमी सेक्टर पर अधिकार हासिल कर लिया था. जी-219 पर चीन का एक वॉर मेमोरियल भी बना है. अब चीन इसी हाईवे से समानांतर एक रोड निकालकर उसे पूर्वी लद्दाख तक जोड़ने की कोशिश कर रहा है. अगर ऐसा करने में वो कामयाब रहा तो पीएलए का पूर्वी लद्दाख तक मूवमेंट आसान हो जाएगा.
62 के बाद सबसे गंभीर स्थिति
देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी माना है कि लद्दाख में स्थिति काफी गंभीर है. अपनी किताब 'द इंडिया वे’ के रिलीज़ से पहले रेडिफ डॉट काम को दिए साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने कहा था –
“1962 के बाद सीमा पर सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति है. 45 साल में पहली बार चीन बॉर्डर पर हमारे जवान शहीद हुए. LAC पर दोनों ओर से इतनी बड़ी संख्या में सेना पहले कभी तैनात नहीं हुई.”



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