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अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन का इरादा सामने आ गया!

पेंटागन की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, ताइवान, दक्षिण चीन सागर और अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपने दावे को अपनी 'ग्रेट रीजुवेनेशन' नीति का हिस्सा मानता है.

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सांकेतिक तस्वीर. (India Today)

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चला आ रहा तनाव भले ही फिलहाल शांत हो गया हो, लेकिन चीन के मंसूबे शांत नहीं हैं. एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अरुणाचल प्रदेश को भी अपने 'कोर इंटरेस्ट' में शामिल कर लिया है. इससे आने वाले समय में भारत-चीन संबंधों में फिर से तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

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पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मंत्रालय) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, ताइवान, दक्षिण चीन सागर और अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपने दावे को अपनी ‘ग्रेट रीजुवेनेशन’ नीति का हिस्सा मानता है. इस नीति के तहत चीन खुद को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है.

भारत का स्टैंड क्लियर है और इसमें किसी को शक भी नहीं होना चाहिए, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है.

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2020 में डोकलाम में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद LAC और इंटरनेशनल बॉर्डर पर गंभीर हालात बने रहे. पिछले साल भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन अब अरुणाचल प्रदेश को लेकर तनाव के नए संकेत दिखाई दे रहे हैं.

समय के साथ चीन से संबंधों में नरमी भले ही दिखाई दी हो, लेकिन बीच-बीच में ऐसे एपिसोड भी हुए जिससे दिल्ली के माथे पर बल पड़ा. हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली प्रेमा थोंगडोक को चीन के शंघाई एयरपोर्ट पर करीब 18 घंटे तक रोके रखा गया. वह लंदन से जापान जा रही थीं. चीनी अधिकारियों ने दावा किया कि उनके पासपोर्ट में जन्म स्थान के रूप में अरुणाचल प्रदेश लिखा होने के कारण वह 'अवैध' है. बाद में भारत के वाणिज्य दूतावास की मदद से उन्हें आगे यात्रा की अनुमति दी गई.

कुछ दिन पहले अनंत मित्तल नाम के एक भारतीय व्लॉगर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. चीन के एयरपोर्ट पर उन्हें घंटों हिरासत में रखा गया और खाना तक नहीं दिया गया. उनका पासपोर्ट छीन लिया गया और जब लौटाया गया तो तुरंत चीन छोड़ने की धमकी दी गई. अनंत ने बताया कि उन्होंने प्रेमा थोंगडोक मामले में उनका समर्थन किया था और अरुणाचल को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया था, इसीलिए उनके साथ चीन में ऐसा सलूक हुआ.

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चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिण तिब्बत’ या ‘ज़ांगनान’ कहता है और मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देता, जिसे 1914 में ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच तय किया गया था. खासकर तवांग क्षेत्र को लेकर चीन का दावा पुराना रहा है, जिसे बाद में उसने पूरे अरुणाचल तक बढ़ा दिया.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन एक तरफ भारत के साथ सीमा पर तनाव कम दिखाने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के जरिए दबाव बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी पाकिस्तान ने चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया था, हालांकि वे ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हुए.
 

वीडियो: चीनी अधिकारी ने अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताया, महिला का किया अपमान, कूटनीतिक विवाद शुरू

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