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CAA का इस्लाम पर क्या असर होगा? गृह मंत्रालय ने जवाब देकर डिलीट किया, पता है बोला क्या था?

CAA के लिए नोटिफिकेशन जारी होने के बाद Home Ministry ने एक Press Release जारी की थी. इसमें CAA पर Islam से संबंधित सवालों के जवाब थे. लेकिन बाद में इसे डिलीट कर लिया गया.

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गृह मंत्रालय ने X पोस्ट भी डिलीट कर लिया है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज और सोशल मीडिया पोस्ट किया था. जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया. इसमें इस सवाल का जवाब दिया गया था कि CAA कानून का इस्लाम की छवि पर क्या प्रभाव पड़ेगा? जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि CAA अत्याचार के नाम पर इस्लाम की छवि खराब होने से बचाता है (Home Ministry press release on CAA) .

11 मार्च को देश में CAA के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसके बाद 12 मार्च की शाम को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की अपनी वेबसाइट पर एक प्रेस रिलीज पब्लिश की गई. जो बाद में डिलीट कर ली गई. ऐसा ही हुआ PIB के X (ट्विटर) प्रोफाइल पर. प्रेस रिलीज को ही 'CAA के मिथक तोड़ने वाले तथ्य' के नाम से X पर पोस्ट किया गया था और बाद में डिलीट कर लिया गया.

CAA का Islam की छवि पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

PIB की वेबसाइट पर इसे नागरिकता ‘संशोधन अधिनियम, 2019 के लिए पॉजिटिव नैरेटिव’ नाम से छापा गया था. जो क्वेश्चन-आंसर की शक्ल में था. इस रिलीज में एक सवाल था कि CAA का इस्लाम की छवि पर क्या प्रभाव पड़ेगा? जवाब में लिखा गया था,

"उन तीन मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के कारण पूरी दुनिया में इस्लाम की छवि बुरी तरह खराब हुई है. हालांकि, इस्लाम एक शांतिपूर्ण धर्म होने के नाते, कभी भी धार्मिक आधार पर घृणा/हिंसा/उत्पीड़न को बढ़ावा नहीं देता है. अत्याचार के प्रति संवेदना और क्षतिपूर्ति दर्शाने वाला यह कानून, अत्याचार के नाम पर इस्लाम की छवि खराब होने से बचाता है."

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एक अन्य सवाल में पूछा गया कि भारत में रह रहे मुस्लिमों के लिए CAA कानून में क्या चिंताजनक है? जवाब लिखा था,

"भारत में रहने वाले 18 करोड़ मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस कानून में उनकी नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है. उनके पास भारतीय हिंदू नागरिकों के समान अधिकार हैं. इस कानून के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा."

क्या मुसलमानों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने पर कोई रोक है? इस सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने लिखा था,

"नहीं, नागरिकता अधिनियम की धारा 6, जो प्राकृतिक आधार पर नागरिकता से संबंधित है, के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमानों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने पर कोई रोक नहीं है."

क्या मुस्लिम प्रवासियों को वापस भेजा जाएगा?

रिलीज में एक और सवाल था कि क्या CAA में अवैध मुस्लिम प्रवासियों को बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान वापस भेजने का कोई प्रावधान या समझौता है? जवाब था,

"भारत का इनमें से किसी भी देश के साथ इन देशों में प्रवासियों को वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं है. यह नागरिकता अधिनियम अवैध आप्रवासियों के निर्वासन से संबंधित नहीं है और इसीलिए मुसलमानों और छात्रों सहित लोगों के एक वर्ग की चिंता कि CAA मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, अनुचित है."

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प्रेस विज्ञप्ति में एक सवाल अवैध प्रवासी के बारे में पूछा गया था. जिसका जवाब था,

"नागरिकता अधिनियम, 1955 की तरह ही CAA कानून अवैध प्रवासी को एक विदेशी के रूप में परिभाषित करता है, जिसने वैध दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया है."

home ministry press release on caa
CAA की जरूरत क्यों?

कुछ अन्य सवाल-जवाब इस प्रकार थे-

इस संशोधन (CAA) की क्या जरूरत है?

"उन तीन देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के प्रति सहानुभूति दर्शाने के लिए यह अधिनियम, भारत की प्रचलित उदार संस्कृति के अनुसार उनके सुखी और समृद्ध भविष्य के लिए उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का अवसर देता है. नागरिकता प्रणाली में जरूरत के अनुसार बदलाव लाने और अवैध प्रवासियों को नियंत्रित करने के लिए इस अधिनियम की आवश्यकता थी."

इस दिशा में सरकार की पिछली पहल क्या है?

"2016 में, केंद्र सरकार ने इन तीन देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में रहने के लिए दीर्घकालिक वीजा की पात्रता दी थी."

क्या इस कानून में किसी अन्य देश से आने वाले मुस्लिम प्रवासियों के लिए कोई प्रतिबंध है?

CAA, प्राकृतिक आधार पर कानूनों को रद्द नहीं करता है. इसीलिए किसी भी अन्य देश से आए मुस्लिम प्रवासियों सहित कोई भी व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक बनना चाहता है, मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है. यह अधिनियम किसी भी मुस्लिम को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता है. जिसे इस्लाम के अपने तौर-तरीकों का पालन करने के लिए उन 3 इस्लामिक देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो.

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प्रेस रिलीज जिसे डिलीट कर लिया गया.

इससे पहले 11 मार्च को CAA के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था. CAA से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. आवेदन की योग्यता अवधि को 11 से कम कर 5 साल कर दिया गया है.

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