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इलेक्टोरल बॉन्ड पर SBI की तो क्लास लग गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से BJP को कैसे राहत मिल गई?

Supreme Court के Electoral Bond पर दिए गए फैसले से BJP को राहत मिलती हुई नजर आ रही है. सूचनाओं के दो सेट हैं. कोर्ट ने कहा है कि SBI को दोनों सेट के मिलान की जरूरत नहीं है. पेच यहीं फंसा है.

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BJP Election rally
कोर्ट के फैसले से BJP को राहत मिलती हुई नजर आ रही है. (सांकेतिक तस्वीर: Getty)
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11 मार्च 2024 (Updated: 11 मार्च 2024, 15:11 IST)
Updated: 11 मार्च 2024 15:11 IST
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इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI को सख्त आदेश दिए हैं. हालांकि, कोर्ट ने जो आदेश दिया है उससे BJP को थोड़ी राहत मिलती हुई नजर आ रही है. इस बात को समझने के लिए SBI की दलील और अदालत के फैसले पर गौर करते हैं. कोर्ट में SBI की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि उनके पास सूचनाओं के दो सेट हैं. इन दोनों सेट के सूचनाओं के मिलान के बाद ही स्पष्ट रूप से पता चल पाएगा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया. SBI ने इस मिलान के लिए ही और अधिक समय की मांग की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि SBI को सूचनाओं के मिलान के लिए कहा ही नहीं गया था. SBI को बस सूचनाओं का खुलासा करने के लिए कहा गया था. यहां गौर करने वाली एक और बात है. फैसले के बाद हरीश साल्वे ने इस बात को स्पष्ट करते हुए कोर्ट से पूछा,

"एक बार फिर स्पष्ट कर दीजिए. हमें जानकारियां क्लब करके नहीं देनी है ना? कल हम फिर कोई कन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस नहीं चाहते."

ये भी पढ़ें: CJI Chandrachud का Electoral Bond पर सख्त रुख, Supreme Court का फैसला विस्तार से पढ़ें

इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि CJI ने एकदम स्पष्ट ऑर्डर दे दिया है. उसे फॉलो करिए.

इसे आसान भाषा में समझें तो कोर्ट के आदेश के बाद SBI को दो तरह का डेटा जारी करना है. एक जिससे पता चलेगा कि किसने कितने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. दूसरा जिससे पता चलेगा कि किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड से कितने पैसे मिले हैं.

इसको और आसान करते हैं. एक डेटा आएगा जिसमें उन लोगों या संस्थाओं के नाम होंगे जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. और ये भी कि कितने बॉन्ड्स खरीदे हैं. दूसरा डेटा आएगा जिसमें उन राजनीतिक दलों के नाम होंगे जिन्होंने इन बॉन्ड्स को भुनाया है. और ये भी कि कितने का बॉन्ड भुनाया गया है. लेकिन SBI को ये नहीं बताना होगा कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले ने किस पार्टी के लिए बॉन्ड खरीदे और उसका पैसा किस पार्टी को गया.

जब इन दोनों डेटा सेट का मिलान किया जाता तो स्पष्ट पता चलता कि किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है. ऐसा हो सकता है कि मिलान नहीं होने की सूरत में आम लोगों को इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाए. 

BJP को मिले सबसे ज्यादा पैसे

ऐसे में ये BJP के लिए राहत की बात कैसे है? दरअसल, ADR की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2023 तक 26 किश्तों में 12,979 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे. इन बॉन्ड्स के पैसे मिले कम से कम 7 राष्ट्रीय और 24 क्षेत्रीय दलों को. सबसे ज्यादा पैसे मिले BJP को. BJP को कुल बॉन्ड्स के 50 फीसदी से अधिक हिस्सा मिला. उन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड्स से 6,566.12 करोड़ रुपए मिले. वहीं कांग्रेस को 1,123.29 करोड़ रुपए मिले. 

Supreme Court ने क्या कहा? 

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि SBI को 12 मार्च तक इन इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़ी जानकारियों को जारी करना है. 15 मार्च की शाम 5 बजे से पहले ECI अपनी वेबसाइट पर इसे कंपाइल करके पब्लिश करेगी. हालांकि, कोर्ट ने ADR की अवमानना की याचिका पर सुनवाई नहीं की. कोर्ट ने कहा कि SBI को नोटिस दिया जा रहा है कि अगर SBI इस आदेश में बताई गई समय सीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं करता है तो कोर्ट जानबूझकर अवज्ञा के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है.

CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की. इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस BR गवई, जस्टिस JB पदरिवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे.

वीडियो: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में SBI ने मांगा था टाइम, अब सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की अर्जी दाखिल

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