केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट (Budget 2024) पेश कर दिया. लोकसभा चुनाव से पहले पेश हुए इस अंतरिम बजट में सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनवाई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा कि पिछले सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने सकारात्मक बदलाव देखे हैं. हालांकि सरकार ने कोई बड़ी घोषणा नहीं की. बजट पेश होने के बाद विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इसे मोदी सरकार का 'विदाई बजट' बता दिया. वहीं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि इस बजट में मध्यम और गरीब वर्ग के लिए कुछ नहीं था.
‘विदाई बजट’, 'कर्जे में सरकार', मोदी सरकार 2.0 के आखिरी बजट पर विपक्ष ने और ये कहा...
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार कर्जा लेकर अपना खर्च चला रही है.

अब एक-एक कर बताते हैं कि विपक्षी दल के नेताओं ने सरकार के इस अंतरिम बजट पर क्या प्रतिक्रिया दी है. उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष ने सरकार पर कटाक्ष किया कि कोई भी बजट अगर विकास के लिए नहीं है और कोई भी विकास अगर जनता के लिए नहीं है तो वो व्यर्थ है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,
"भाजपा सरकार ने जनविरोधी बजटों का एक दशक पूरा करके एक शर्मनाक रिकार्ड बनाया है, जो फिर कभी नहीं टूटेगा क्योंकि अब सकारात्मक सरकार आने का समय हो गया है. ये भाजपा का ‘विदाई बजट’ है."
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि सरकार कर्जा लेकर अपना खर्च चला रही है. उन्होंने बताया,
"इस बजट का सिर्फ एक ही मकसद है. और वो मक़सद ये है कि इस वित्तीय वर्ष के पहला क्वार्टर में सरकार का कामकाज चलता रहे. जो चिंता वाली बात है, वो ये है कि पिछले वित्तीय वर्ष, जो 31 मार्च 2024 को ख़त्म होगा, 18 लाख करोड़ रुपये का बजटीय घाटा है."
शिरोमणि अकाली दल (SAD) की सांसद हरसिमरत कौर बादल का कहना है कि बजट में कुछ भी नहीं था. हालांकि उन्होंने PTI से कहा,
"एक चीज जो तारीफ करती हूं. मैं सोचती थी कि ये चुनाव से पहले का बजट है, जरूर रेवड़ियां बांटी जाएगी. रेवड़ियां तो नहीं बांटी गई लेकिन अपनी पीठ जरूर थपथपाई गई कि बहुत अच्छा काम किया है."
हरसिमरत ने सरकार के एक 'विरोधाभास' का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि सरकार कहती है कि 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लेकर गए हैं. और साथ में ये भी कह रहे हैं कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त देना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जब 80 करोड़ लोगों को खाने के लिए राशन देना पड़ रहा है तो गरीबी रेखा से कौन और कहां गए हैं, तो काफी विरोधाभास हैं बातों में.
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शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बजट को लेकर कहा कि कहने और करने में जमीन-आसमान का फर्क है. और यही पिछले 10 साल से हम देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि बजट में गरीबों, महिलाओं और युवाओं के लिए कुछ भी नहीं है. इस बजट ने आम लोगों की उम्मीदों पर ठंडा पानी डालने का काम किया है.