तो अब जो बात आप पढ़ने वाले हैं वो आपको हैरान कर सकती है. दरअसल, इरा बसु नाम की ये महिला पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य (Buddhadeb Bhattarcharya) की पत्नी की बहन हैं. यानी उनकी साली हैं. वही बुद्धदेव भट्टाचार्य जो 10 साल तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे.
इरा बसु वायरोलॉजी में PhD कर चुकी हैं. वो नॉर्थ 24 परगना के प्रियनाथ गर्ल्स हाई स्कूल में लाइफ़ साइन्स पढ़ाती थीं. वो साफ़ और स्पष्ट अंग्रेज़ी और बांग्ला बोलती हैं. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, इरा राज्य स्तर की एथलीट रह चुकीं हैं. टेबल टेनिस और क्रिकेट भी खेलती थीं.
अब आप सोच रहे होंगे कि पूर्व सीएम की साली और इतनी क्वालिफाइड होने के बावजूद इरा की ये दशा कैसे हुई.

पश्चिम बंगाल की पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य
इरा बसु ने 1976 में प्रियनाथ गर्ल्स हाई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी शुरू की. 28 जून, 2009 को वो सेवानिवृत्त हुईं. उस समय बुद्धदेव भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे.
स्कूल में पढ़ाने के दौरान वो बारानगर इलाक़े में रहती थीं और रिटायरमेंट के बाद खरदाह इलाक़े के लिचु बागान इलाके में चली गईं. लेकिन कुछ ही समय बाद इरा एक दिन अचानक लापता हो गईं. डनलप इलाक़े के लोगों के मुताबिक़ वो तब से वहां की सड़कों पर नजर आ रही हैं. उनकी मानें तो वो पिछले दो सालों से फ़ुटपाथ पर ही सोती हैं. पैसों की क़िल्लत से हुई ये हालत इरा बसु अपने पूरे होशोहवास में हैं. लेकिन उन्हें पैसों की क़िल्लत है. उन्हें पेंशन नहीं मिल रही. क्यों नहीं मिल रही, ये बताया प्रियनाथ स्कूल की प्रिंसिपल कृष्णकली चंदा ने. इंडिया टुडे से बात करते हुए उन्होंने कहा,
"इरा बसु यहां पढ़ाती थीं. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद हमने उनकी पेंशन देने की पहल की और उनसे अपने सारे कागजात जमा करने को कहा. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. जिस वजह से उन्हें कोई पेंशन नहीं मिल रही है."इरा बसु की मौजूदा हालत की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ. उसने गुरुवार 9 सितंबर को खरदाह नगर पालिका की एंबुलेंस भेजी और इरा बसु को बारानगर थाने ले जाया गया. इसके बाद उनकी चिकित्सीय जांच और उपचार के लिए कोलकाता के एक अस्पताल ले जाया गया. अब उनकी स्थिति ठीक बताई जा रही है. 'मुझे वीआईपी पहचान नहीं चाहिए' इंडिया टुडे ने इरा बसु से बात की. उन्होंने बुद्धदेव भट्टाचार्य के परिवार के साथ अपने संबंधों पर बात करते हुए कहा,
"जब मैंने एक स्कूल शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया, तब भी मैंने उनसे कोई लाभ नहीं लिया. मैंने इसे अपने कैलिबर पर हासिल किया. मुझे वीआईपी पहचान नहीं चाहिए, हालांकि बहुत से लोगों को हमारे पारिवारिक संबंधों के बारे में अब पता चल गया है.”

ग़ैर-सरकारी संस्था 'अरत्योजोन' के सदस्य इरा बसु को सम्मानित करते हुए.
संस्था ने सम्मानित किया था ये सब पता चलने के बाद ये भी मालूम हुआ कि इस साल शिक्षक दिवस के मौके पर डनलप की ग़ैर-सरकारी संस्था 'अरत्योजोन' के सदस्यों ने इरा को सम्मानित किया था. तब इरा ने कहा था,
"सभी शिक्षक अभी भी मुझसे प्यार करते हैं और कई छात्र मुझे याद करते हैं. उनमें से कुछ जब मुझे गले लगाते हैं तो रो पड़ते हैं."इरा बसु को जानने वाले बताते हैं कि उन्हें कई स्कूलों में पढ़ाने का मौक़ा मिला. लेकिन उन्होंने प्रियनाथ गर्ल्स हाई स्कूल में 34 साल पढ़ाया. ऑनलाइन क्लास के विरोध में हैं इरा बढ़ती उम्र और परिस्थितियों के बावजूद, आज भी पढ़ने और पढ़ाने के बारे में काफ़ी जानकारी रखती हैं इरा. इंडिया टुडे से उन्होंने कहा, "मैं ऑनलाइन क्लास का समर्थन नहीं कर सकती. छात्र को कई प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ रहा है और अगर व्यावहारिक रूप से कहूं तो वो कुछ भी नहीं सीख पा रहे हैं."