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धरने पर बैठे कोरोना वॉरियर्स पर भोपाल पुलिस ने जमकर डंडे बरसाए

एक हेल्थ वर्कर ने बताया- प्रेगनेंट कोविड वॉरियर को भी मारा.

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हेल्थ वर्कर्स पर लाठियां बरसाती भोपाल पुलिस. (फोटो- रवीश पाल सिंह)

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल. यहां के नीलम पार्क में तीन दिनों से लगभग 500 हेल्थ वर्कर्स धरने पर बैठे थे, जिनके ऊपर पुलिस ने गुरुवार यानी 3 दिसंबर को जमकर लाठीचार्ज किया और प्रदर्शन स्थल से खदेड़ दिया. 'इंडिया टुडे' के रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थ वर्कर्स अपने जॉब को नियमित करने की मांग कर रहे थे.

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क्यों बैठे थे धरने पर?

हेल्थ वर्कर्स के मुताबिक, छह हज़ार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी ऐसे हैं, जिन्हें सरकार ने अप्रैल 2020 में तीन महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा था, लेकिन कोरोना का खतरा बढ़ता देख तीन-तीन महीने में दो बार और इनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू कर दिया गया. यानी टोटल नौ महीने का कॉन्ट्रैक्ट हो गया. अब 31 दिसंबर को कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहा है. सेवाएं खत्म होता देख, हेल्थ वर्कर्स राज्य सरकार से सेवा बहाली और नौकरियों के नियमितीकरण की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे.

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3 दिसंबर को पुलिस नीलम पार्क पहुंची और जगह खाली करने को कहा. हेल्थ वर्कर्स अपनी बात पर अडिग रहे. जब वर्कर्स ने पुलिस की बात नहीं सुनी, तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस दौरान करीब 15 हेल्थ वर्कर्स को चोट भी लगी. 47 को हिरासत में लिया गया, जिनमें से 15 को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. घटना के कई सारे वीडियो भी इस वक्त वायरल हो रहे हैं. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि पुलिस ने प्रेगनेंट महिला को भी डंडा मारा है. प्रदर्शनकारी हेल्थ वर्कर ने कहा,

"हम में से 50 फीसद लोगों को बर्खास्त कर दिया गया है. हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन पुलिस ने हमें पीटा, यहां तक कि एक गर्भवती महिला को भी मारा."

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क्या कहती है पुलिस?

भोपाल ASP रजत सकलेचा ने ANI से घटना पर बात करते हुए कहा,

"वो पिछले चार दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे और हेल्थ मिनिस्टर और सांसद से भी मुलाकात की थी. उनकी मांगें सीएम तक पहुंचा दी गई थीं. फिर भी वो बिना परमिशन के प्रोटेस्ट कर रहे थे. उनसे जगह खाली करने के लिए कहा गया, इसके बाद कुछ ने पुलिस पर हमला करने की कोशिश की. एक पुलिसकर्मी को चोट भी लगी. इस दौरान हमने कम से कम फोर्स का इस्तेमाल किया."

पूर्व सीएम ने पूछे सवाल

कमलनाथ. राज्य के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हैं. उन्होंने भी लाठीचार्ज की घटना की निंदा की. उन्होंने ट्वीट किया,

"जहां एक तरफ़ विश्व भर में कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जा रहा है, उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार उन पर बर्बर तरीके से लाठियां बरसा रही हैं. ये घटना बेहद निंदनीय और मानवीयता व इंसानियत को शर्मसार करने वाली है."

कमलनाथ ने मांग की कि लाठीचार्ज के दोषियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई हो और हेल्थ वर्कर्स की मांगों पर तुरंत सहानुभूति के साथ फैसला लिया जाए.

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