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बेंगलुरु में भाजपा विधायक दल की बैठक से पहले भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए नेताओं ने कर्नाटक के कई नेताओं से मुलाकात की. आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में शामिल होने के लिए कार्यवाहक CM येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और धर्मेंद्र प्रधान के साथ होटल पहुंचे थे. बाद में विधायक दल की बैठक में बसवराज के नाम पर मुहर लगी. बता दें कि मुख्यमंत्री की रेस में बसवराज बोम्मई का नाम सबसे आगे चल रहा था. उनके नाम की आधिकारिक घोषणा से पहले बोम्मई ने कुमारा क्रूपा गेस्ट हाउस में धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की थी. कौन हैं बसवराज बोम्मई? बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा सरकार में गृह मंत्री रहे हैं. वे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के बेटे हैं. येदियुरप्पा की तरह ही बसवराज भी लिंगायत समुदाय से आते हैं. उन्हें येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है. ऐसी खबरें थीं कि येदियुरप्पा ने ही बसवराज बोम्मई का नाम आगे बढ़ाया था. चर्चा है कि येदियुरप्पा को सीएम की कुर्सी से हटाने के बाद भी बीजेपी उनकी पसंद को इग्नोर नहीं कर पाई.

जानकारों के मुताबिक, बीजेपी ने किसी और को मुख्यमंत्री बनाकर येदियुरप्पा की नाराज़गी मोल लेना मुनासिब नहीं समझा. इसलिए एक बार फिर पार्टी ने लिंगायत समुदाय पर ही दांव खेला है. कर्नाटक में लिंगायत सबसे बड़ा समुदाय माना जाता है. राज्य की करीब 17 फीसदी आबादी लिंगायतों की है. इसे बीजेपी का कोर वोटर भी माना जाता है. यही कारण है कि बीजेपी ने इस समुदाय को नाराज़ करने का रिस्क लेना अभी ठीक नहीं समझा है और उसी से आने वाले बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया. वे गुरुवार को सीएम पद की शपथ लेंगे.
28 जनवरी 1960 को पैदा हुए बसवराज बोम्मई पेशे से मकैनिकल इंजीनियर हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा समूह से की थी. वहीं, राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने जनता दल के साथ की. बाद में फरवरी 2008 में वे भाजपा में शामिल हो गए. इसी साल कर्नाटक में हुए चुनावों में वे हावेरी जिले के शिग्गांव निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए. इससे पहले वे 1998 और 2004 में धारवाड़ स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन क्षेत्र से कर्नाटक विधानपरिषद के सदस्य चुने गए थे. बसवराव दो बार एमएलसी और तीन बार विधायक रहे हैं.