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कौन हैं दिल्ली के वो जज, जिनके तबादले के विरोध में वकील सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ़ खड़े हो गए?

जस्टिस मुरलीधर के तबादले से दिल्ली हाई कोर्ट में हड़कंप.

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दिल्ली हाई कोर्ट के तीसरे वरिष्ठ वकील जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की है. फोटो: India Today/delhihighcourt.nic.in
दिल्ली हाई कोर्ट के जज हैं एस मुरलीधर. देश में जज बहुत हैं, मगर मुरलीधर का नाम अक्सर ख़बरों में आ जाता है. क्योंकि इनके ट्रांसफर को लेकर विवाद होता आया है. एक बार फिर इनके ट्रांसफर को लेकर विवाद हुआ है. इनका ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में किया है. कॉलेजियम वो सिस्टम है, जिसके अंतर्गत जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर किया जाता है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के 5 बड़े जज होते हैं. जो मिलकर तबादले का फैसला लेते हैं. इस कॉलेजियम का नेतृत्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे कर रहे हैं. दिल्ली  हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन ने इस ट्रांसफर का विरोध किया है. और गुरुवार, 20 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में हड़ताल करने का फैसला किया है.  बार एसोसिएशन ने फैसले पर विचार करने की अपील की है. विरोध की वजह क्या है? जस्टिस मुरलीधर कठोर फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी अभिजात ने कहा कि ट्रांसफर को लेकर बार एसोसिएशन ने अपनी आपत्ति इसलिए जताई है क्योंकि ईमानदार और निष्पक्ष जजों के ट्रांसफर, न्याय व्यवस्था के लिए तो खतरनाक है ही, साथ ही इससे आम लोगों के बीच भरोसा भी कम होगा. 2023 में पूरा होगा जस्टिस मुरलीधर का कार्यकाल बार एसोसिएशन के लोग हड़ताल के फैसले पर दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से भी मिले हैं. जस्टिस मुरलीधर को दिल्ली हाई कोर्ट में 2006 में बतौर जज नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल 2023 में पूरा होगा. 2018 में मुरलीधर ने हाल ही में 1984 सिख दंगों में शामिल रहे सज्जन कुमार को भी उम्रकैद का फैसला सुनाया था. जस्टिस मुरलीधर होमोसेक्सुअलिटी को डिक्रिमिनलाइज करने वाली दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच का भी हिस्सा थे. जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर के बारे में पहले भी दो बार चर्चा हो चुकी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों के विरोध के बाद इसे रोक दिया गया था. उनके ट्रांसफर पर पहली बार दिसंबर 2018 में और फिर जनवरी 2019 में चर्चा हुई थी.
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