बांग्लादेश (Bangladesh) में हालिया सत्ता परिवर्तन का प्रमुख चेहरा रहे छात्र नेता नाहिद इस्लाम (Nahid Islam) का बड़ा बयान सामने आया है. अंतरिम सरकार में सूचना और संचार तकनीकी सलाहकार की भूमिका निभाने वाले नाहिद के मुताबिक उन्होंने शेख हसीना (Sheikh Hasina) सरकार को उखाड़ फेंकने का नहीं सोचा था. नाहिद ने साथ ही कहा कि देश को फिर से पटरी पर लाने की जरूरत है और इसके लिए मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर के तौर पर सबसे बेहतर विकल्प हैं.
'सरकार नहीं गिराना चाहते थे...'- बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद आए इस बयान ने खलबली मचा दी है!
Bangladesh में हालिया सत्ता परिवर्तन का प्रमुख चेहरा रहे छात्र नेता Nahid Islam ने Sheikh Hasina सरकार को लेकर बड़ा बयान दिया. साथ ही उन्होंने Mohammad Yunus को लेकर भी बात की.

नाहिद के मुताबिक छात्रों पर हुए अत्याचार की वजह से सरकार के सत्ता में बने रहने की कोई गुंजाइश नहीं थी. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े शुभाजित रॉय से बात करते हुए कहा,
“हमने कभी भी शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंकने का नहीं सोचा था. सरकार को हटाना हमारा मकसद नहीं था. लेकिन सच यह है कि लोग काफी नाराज थे, तीन चुनावों में धांधली हो चुकी थी. हमने देखा कि सरकार के खिलाफ गुस्सा था. छात्रों को सरकार पर भरोसा नहीं था. आंदोलन के दौरान इतने सारे छात्रों के मारे जाने, शहीद होने और घायल होने के बाद, सरकार के सत्ता में बने रहने की कोई गुंजाइश नहीं थी.”
नाहिद के मुताबिक अंतरिम सरकार के ऊपर बड़े रिफॉर्म करने की बड़ी जिम्मेदारी है, ताकि लोगों का विश्वास फिर से सरकारी संस्थानों के प्रति बढ़े. उन्होंने कहा,
“शेख हसीना सरकार के कार्यकाल के दौरान देश के सभी संस्थाओं को बर्बाद कर दिया गया था. इस दौरान मची लूट और अन्याय ने सब कुछ खत्म कर दिया था. ऐसे में अब हमारे ऊपर न्यायपालिका, पुलिस, ब्यूरोक्रेसी जैसे संस्थानों में बड़े सुधार की जरूरत है. ताकि लोगों का विश्वास फिर से इन संस्थानों के प्रति बढ़े.”
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नाहिद ने आगे कहा,
मोहम्मद यूनुस ही क्यों?“हम लोग हसीना सरकार के पतन का जश्न नहीं मना पाए हैं. क्योंकि हमारे ऊपर अब बड़ी जिम्मेदारी है. हमारे लिए यह एक बेहद मुश्किल कार्य है. लेकिन हम इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे हैं. राष्ट्रीय संस्थाएं भ्रष्ट हो चुकी थीं और उनमें समग्र सुधार की आवश्यकता है. इसके लिए हम देश से प्यार करने वाले अलग अलग क्षेत्रों के लोगों से राय ले रहे हैं और उस पर विचार कर रहे हैं.”
मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का चीफ एडवाइजर चुने जाने को लेकर नाहिद ने बताया,
“5 अगस्त को क्रांति के बाद जब ऐसी स्थिति बनी कि सरकार बनानी थी तो हमे इस बात का अहसास था कि अब देश को फिर खड़ा करने की जरूरत है. ऐसे में हमें एक संरक्षक की जरूरत थी. इसलिए प्रोफेसर यूनुस को चुना गया. वे लोकप्रिय रहे हैं, उनकी छवि साफ थी. साथ ही, पिछली सरकार ने उन्हें निशाना बनाया था और उन्होंने पहले भी आम लोगों के पक्ष में बात की थी. उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता थी और चूंकि हम आर्थिक चुनौतियों से गुजर रहे थे, इसलिए हमें उनके जैसे अर्थशास्त्री की जरूरत थी. यही वजह थी कि हमने उन्हें चुना.”
बताते चलें कि ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र नाहिद इस्लाम सरकार विरोधी प्रोटेस्ट का प्रमुख चेहरा रहे थे. नाहिद की पहचान उस आंदोलन के को-ऑर्डिनेटर के तौर पर रही है, जो सरकारी नौकरी में कोटे को लेकर शुरू हुआ था और जिसने धीरे-धीरे शेख हसीना की सरकार के खिलाफ बड़ा और हिंसक रूप ले लिया. नाहिद की अगुवाई में पीएम हसीना का विरोध इस कदर बढ़ा कि आखिरकार उन्होंने देश छोड़ दिया.
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