"बावरा मन देखने चला एक सपना बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें बावरी से धड़कने हैं, बावरी हैं सांसे बावरी सी करवटों से, निंदिया दूर भागे बावरे से नैन चाहे, बावरे झरोखों से, बावरे नजारों को तकना बावरा मन देखने चला एक सपना बावरे से इस जहां मैं बावरा एक साथ हो इस सयानी भीड़ मैं बस हाथों में तेरा हाथ हो बावरी सी धुन हो कोई, बावरा एक राग हो बावरे से पैर चाहें, बावरें तरानो के, बावरे से बोल पे थिरकना बावरा मन देखने चला एक सपना बावरा सा हो अंधेरा, बावरी खामोशियां थरथराती लौ हो मद्धम, बावरी मदहोशियां बावरा एक घुंघटा चाहे, हौले हौले बिन बताये, बावरे से मुखड़े से सरकना बावरा मन देखने चला एक सपना"
बावरा मन 'फिर' देखने चला एक सपना
12 साल पहले आया गाना आज फिर सामने है. मन तीसरी बार बावरा हो रखा है.

Source - Youtube screengrab
आपने गाना सुना होगा, बावरा मन देखने चला एक सपना. उसका नया कवर वर्जन आया है. 'बावरा मन..' लिखने और गाने वाले स्वानंद किरकिरे ने खुद फेसबुक पर शेयर कर बताया है. गाया है श्रद्धा हटंगणी मेहता ने. [facebook_embedded_post href="https://www.facebook.com/swanand.kirkire1/posts/10153197526812213"] 2003 में सुधीर मिश्रा की फिल्म आई थी. 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' उसी के लिए स्वानंद किरकिरे ने पहली बार गाना लिखा और गाया था . https://www.youtube.com/watch?v=a-gC9HrUWAE इसका दूसरा वर्जन देखने को मिला. जब प्रीतिश नंदी ने शुभा मुद्गल के साथ इस गाने का फीमेल वर्जन हमारे सामने परोसा. वो ये रहा उसे भी सुनिए. https://www.youtube.com/watch?v=8Ky2istP1aM ,