हैदराबाद में चीनी मांझे से गर्दन कटने के चलते एक आर्मी जवान की मौत हो गई (Army Jawan Chinese Manja). जवान बाइक पर ड्यूटी से लौट रहे थे. तभी गले में बैन किया हुआ चाइनीज़ मांझा लिपट गया. जिसके चलते बाइक को कंट्रोल करना मुश्किल हो गया. वो बाइक से गिर पड़े. मांझे से गला कटने के चलते काफी खून बहा और अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
ड्यूटी से बाइक पर लौट रहा था आर्मी जवान, चीनी मांझे से गर्दन कटी और मौत
14 जनवरी को ही चीनी मांझे के चलते सात साल के बच्चे की मौत का केस भी सामने आया है. वो पिता के साथ बाइक पर जा रहा था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जवान की पहचान 30 साल के कोटेश्वर रेड्डी के तौर पर हुई है. वो आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम के रहने वाले थे और मिलिट्री अस्पताल में ड्राइवर के तौर पर काम करते थे. घटना के वक्त कोटेश्वर अपनी पत्नी के साथ लंगर हाउस क्षेत्र के बापू नगर में रुके हुए थे. लंगर हाउस पुलिस के मुताबिक, घटना 14 जनवरी को शाम साढ़े 7 बजे के आसपास की है. इंदिरा रेड्डी फ्लाईओवर पर जवान के गले में मांझा फंस गया. उनको मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन वो नहीं बच सके.
मृतक जवान की पत्नी ने शव को आंध्र प्रदेश में उनके घर भेजने के लिए NOC जारी करने का अनुरोध किया है. उस्मानिया अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद शव सेना अधिकारियों को सौंप दिया गया. पुलिस ने IPC की धारा 304 (2) (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामले की जांच शुरू कर दी है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 24 घंटे के अंदर हैदराबाद शहर में पतंगबाजी के चलते तीन और मौतें हुईं.
मांझे से सात साल के बच्चे की मौतमध्य प्रदेश के धार शहर में 14 जनवरी को ही चीनी मांझे के चलते सात साल के बच्चे की मौत का केस भी सामने आया है. घटना शहर के हटवारा चौक की है. बच्चा अपने पिता विनोद चौहान के साथ बाइक पर बैठा हुआ था. तभी मांझे से उसका गला कट गया. विनोद बेटे को एक निजी अस्पताल ले गए जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया.
शहर के पुलिस अधीक्षक रवींद्र वास्केल ने कहा कि जिन लोगों के पास चाइनीज डोर या धारदार डोर होगी उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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बता दें, चीनी मांझा एक मजबूत पतंग उड़ाने वाली डोरी है जिसमें धागे को चावल के गोंद, पेड़ के गोंद या कांच के बारीक पाउडर जैसी चीजों से कोट किया जाता है. इस कोटिंग से पतंगबाजी के दौरान बाकी पतंगों की डोर को काटने में मदद मिलती है. इससे होने वाले खतरों के चलते भारत में इन मांझों पर बैन लगा हुआ है.
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