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मधुमिता हत्याकांड में समय से पहले रिहा हो रहे गैंगस्टर-नेता अमरमणि त्रिपाठी की पूरी कहानी

यूपी सरकार ने अमरमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा करने के आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस रिहाई पर रोक लगाने से मना कर दिया है.

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अमरमणि त्रिपाठी को समय से पहले रिहा करने का आदेश जारी हुआ है (तस्वीर-इंडिया टुडे)

इमरजेंसी का दौर था. देश के युवा जेल भर रहे थे. लेकिन पूर्वांचल में सियासत का अलग ही समीकरण आकार ले चुका था. जाति की राजनीति अपराध के साथ गठजोड़ कर चुकी थी. राजनीति में रसूख बनाने का सपना देखने वाले पूर्वांचल के युवा बंदूक में गोली भर रहे थे. ठाकुर बनाम ब्राह्मण के सियासी पाले में बंट कर पोलिटिकल करियर बनाने में लगे थे. ऐसे ही समय की देन थे, पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi). हरिशंकर तिवारी के शिष्य. 

In jail for poetess Madhumita Shukla's murder, ex-UP minister, wife to be  released - India Today
अमरमणि त्रिपाठी की मधुमिता हत्याकांड केस में समय से पहले रिहाई हो रही है (तस्वीर-इंडिया टुडे)

कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में नाम आने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का पोलिटिकल करियर खत्म हो गया था. 9 मई 2003 को वीर रस की कवयित्री मधुमिता शुक्ला की लखनऊ के पेपर मिल इलाके में गोली मार हत्या कर दी गई थी. पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी इस हत्याकांड में दोषी पाए गए थे. देहरादून की सेशन कोर्ट ने उन्हें अजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अब, 20 साल बाद 24 अगस्त को अमरमणि त्रिपाठी को रिहा करने का आदेश दिया. बताया गया कि जेल में अमरमणि के अच्छे व्यवहार और काटी गई सजा की अवधि के मद्देनजर रिहा करने का आदेश दिया गया है. 

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई का आदेश

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई के आदेश के खिलाफ मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थीं. उन्होंने आला आदालत में इस आदेश के खिलाफ कंटेम्‍प्‍ट ऑफ कोर्ट की याचिका लगाई थी. कोर्ट से निधि शुक्ला ने अपील की थी कि रिहाई के आदेश पर रोक लगा दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए रिहाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने निधि शुक्ला की याचिका पर यूपी सरकार से 8 हफ्ते में जवाब मांगा है. कोर्ट में अगली सुनवाई दो महीने बाद होगी. 

अमरमणि की पत्नी मधुमणि
अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी (तस्वीर-सोशल मीडिया)

अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि 20 साल की जेल काटने के बाद आज गोरखपुर जेल से रिहा होने वाले हैं. अमरमणि और उनकी पत्नी ने जेल में ‘अच्छा आचरण के आधार पर समयपूर्व रिहाई’ के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को रिहा करने का आदेश दिया था. अदालत के आदेश के बाद रिहाई में यूपी सरकार की तरफ से देरी हो रही थी. इस देरी के खिलाफ अमरमणि की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दाखिल की गई थी. इसके बाद ही अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई का आदेश आया है.

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई के बाद एक बार फिर से मधुमिता हत्याकांड की चर्चा हो रही है. क्या था मधुमिता हत्याकांड? कौन थीं मधुमिता? अमरमणि का इस केस से क्या कनेक्शन था? सबकुछ विस्तार से जानते हैं.

मधुमिता और उनकी हत्या

मधुमिता शुक्ला लखीमपुर खीरी की कवयित्री, जो 16-17 साल की उम्र में मंच पर सक्रिय हुई. वीर रस की कविता पढ़ने के तेज़ तर्रार अंदाज़ के लिए पहचानी जाती थी. अपनी कविताओं में देश के प्रधानमंत्री तक को खरी-खोटी सुना देने के तेवर ने कम उम्र में ही इस लड़की को हिंदी कवि सम्मेलन का स्टार बना दिया. उम्र कम थी और महत्वाकांक्षाएं बड़ीं. देखते ही देखते मधुमिता शुक्ला का नाम बड़े-बड़े सियासतदानो के साथ खास संबंधों के चलते लिया जाने लगा. वो बड़े पेमेंट वाले कवि सम्मेलनों का आयोजन भी करवाने लगी थी. कविता की दुनिया के तमाम बड़े नाम उसकी मर्ज़ी पर स्टेज पर चढ़ने-उतरने लगे. तालियों और सत्ता के नशे का ये ऐसा कॉकटेल था जिसमें कोई भी भटक सकता था. और यही मधुमिता शुक्ला के साथ हुआ.

कवि सम्मेलन से कोई वास्ता न रखने वाली दुनिया को मधुमिता शुक्ला का नाम 9 मई 2003 को तब सुनाई दिया, जब लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में उनकी गोली मार हत्या कर दी गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मधुमिता के प्रेग्नेंट होने का पता लगा था. मधुमिता के गर्भ में 7 महीने का बच्चा पल रहा था. DNA जांच में पता चला कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का है.

Madhumita Shukla Murder Sister Nidhi Shukla Opposes Amarmani Tripathi  Release From Jail | Amarmani Triprathi: अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई का मधुमिता  शुक्ला की बहन ने किया विरोध, कहा- '20 साल के ...
(मधुमिता शुक्ला तस्वीर-इंडिया टुडे)

इस खबर के साथ ही उत्तर प्रदेश के सियासी हल्को में भूचाल आ गया. अमरमणि त्रिपाठी उन नेताओं में से थे जो उस दौर में हर बदलती सत्ता का ज़रूरी हिस्सा हुआ करते थे. अमरमणि पूर्वांचल के नेता हरिशंकर तिवारी के राजनीतिक वारिस थे. लगातार 6 बार विधायक रहे तिवारी की विरासत को आसानी से समझने के लिए जान लीजिए कि वो जेल से चुनाव जीतने वाले पहले नेताओं में से एक थे.

अपराध और दलबदली की सियासत

गुरु की तर्ज पर अमरमणि भी हमेशा सत्ता के पाले में रहे. सपा, बसपा और भाजपा में जो भी लखनऊ के पंचम तल (मुख्यमंत्री दफ्तर) पर आया अमरमणि उसके खास हो गए. न कोई विचारधारा की दुहाई न कोई सिद्धांतों का हवाला, सायकिल से लेकर सिविल तक सारे ठेकों की राजनीति ही इस तरह के नेताओं की सियासत का आधार रहा है.

अमरमणि के कद के चलते जहां एक ओर उनका हर पार्टी में इस्तकबाल करने वाले कई लोग थे. ऐसों की कमी नहीं थी जो पैराशूट से कैबिनेट में उतरे इन नेताओं को इनकी जगह से हटाना चाहते थे. मधुमिता शुक्ला हत्याकांड ऐसा ही मौका बना. केस की शुरुआत में ही जांच को प्रभावित करने की शिकायतों के चलते इस हत्याकांड की इंक्वायरी CBI को सौंप दी गई. मामले की जांच के बाद सपा लीडर और मिनिस्टर अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि और भतीजे रोहित चतुर्वेदी समेत शूटर संतोष राय और प्रकाश पांडे को शामिल बताकर चार्जशीट दाखिल की गई. मधुमिता के यहां काम करने वाले देशराज ने अपने बयान में बताया कि संतोष राय और प्रकाश पांडेय सुबह-सुबह मधुमिता के घर पहुंचे. देशराज चाय बनाने लगा. तभी गोली चलने की आवाज़ आई. देशराज कमरे में पहुंचे तो देखा दोनों लोग गायब थे और बिस्तर पर मधुमिता की लाश पड़ी थी.

बस छह महीने में ही सज़ा

मामला सियासी रंग पकड़ चुका था. केस देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट के पास गया. पति और मधुमिता के संबंधों को जानने वाली अमरमणि की पत्नी मधुमणि साज़िश में शामिल थीं. सिर्फ छह महीने में ही चार आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा हुई. दोषियों में से प्रकाश पांडे को संदेह के चलते बरी कर दिया गया. इसके बाद मुकदमा पहुंचा नैनीताल हाईकोर्ट के पास. जुलाई 2011 कोर्ट ने बाकी चारों की सज़ा को बरकरार रखते हुए प्रकाश पांडे को भी उम्र कैद की सज़ा दी.

इससे पहले भी अपराध

अमरमणि त्रिपाठी की राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के विधायक हरिशंकर तिवारी के साथ हुई. पहले वो बसपा में गए फिर सपा में. 2001 की भाजपा सरकार में भी त्रिपाठी मंत्री थे. तभी बस्ती के एक बड़े बिजनेसमैन का पंद्रह साल का लड़का राहुल मदेसिया किडनैप हो गया. रिहा होने पर पता चला कि किडनैपर्स ने उसे अमरमणि के बंगले में ही छिपा रखा था. अमरमणि को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया. इसके 2 साल बाद ही अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमिता की हत्या के आरोप में पकड़े गए.

सज़ा के बाद भी सियासत

जेल की दीवारें अमरमणि के सियासी सफर को रोक नहीं पाईं. 2007 में अमरमणि ने गोरखपुर जेल से ही चुनाव लड़ा. अमरमणि महाराजगंज की लक्ष्मीपुर सीट से बीस हज़ार वोट से जीत गए.

अमनमणि और सारा
अमनमणि और सारा (तस्वीर-सोशल मीडिया) 
अमरमणि से अमनमणि

2015 जुलाई में आगरा के पास एक सड़क हादसा हुआ, सत्ताइस साल की सारा सिंह की मौत हो गई. मगर उसी गाड़ी में बैठे सारा के पति अमनमणि त्रिपाठी ‘चमत्कार’ के ज़रिए बच निकलते हैं. सारा के पिता की मांग पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अमनमणि के खिलाफ CBI जांच के आदेश दिये. ये वही अमनमणि हैं जो सपा के ही टिकट से 2012 में नौतनवा से चुनाव लड़े थे और सिर्फ 4 प्रतिशत के मामूली अंतर से हार गए थे. करीबी बताते हैं कि सड़क पर गाड़ी चलाते वक्त अमनमणि जानबूझ कर कुत्तों पर गाड़ी चढ़ा चुके हैं. उनके खिलाफ अभी केस चल रहा है. मगर इन दो हत्याओं के आरोपों और सज़ा के चलते यूपी की सियासत में त्रिपाठी परिवार की राजनीतिक हैसियत तो कम हुई  है.

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