पब्लिक की नज़र में वो तब चढ़ीं जब 1930 में उन्हें देशद्रोह के मामले में अरेस्ट कर लिया गया. पर इस गिरफ्तारी से उनके इरादों की धार कुंद नहीं हुई. अगस्त, 1932 में लयालपुर से लाहौर आते हुए उन्होंने ट्रेन की चेन खींचकर उसे बीच रास्ते में रोक दिया. इसके बाद इंक़लाब जिंदाबाद और गांधी जी की जय जैसे नारे लगाए. ये बादामी बाग़ रेलवे स्टेशन के पास हुआ जहां से उन के साथ के सारे लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी को पांच महीने की सजा हुई, और चालीस रुपया जुर्माना लगाया गया. अमर कौर को एक महीने की अधिक सजा हुई क्योंकि चेन उन्होंने ही खींची थी. हाई कोर्ट ने कहा कि कैद किए हुए लोगों को छोड़ दिया जाए, अगर वो पांच सौ रुपए की सिक्योरिटी दे सकें तो. लेकिन अमर कौर और आदर्श कुमारी ने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया.

(तस्वीर: ट्विटर)
1940 में जब महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया, तो लाहौर के कसूर जिले में अमर कौर ने भी सत्याग्रह किया. नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर भी गईं. सत्याग्रह के समय उन्हें अरेस्ट कर लिया गया. वहां से छूटीं तो फिर 1942 में गिरफ्तार कर ली गईं. इस बार उनका अपराध था, महिलाओं के लिए ट्रेनिंग कैम्प चलाना. जेल में मौजूद कैदियों के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया जाता था, उसके खिलाफ उन्होंने साथ की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर विरोध करना शुरू किया.
9 अक्टूबर 1942 को लाहौर जेल के गेट पर उन्होंने तिरंगा भी फहराया. इसकी सजा उन्हें ये मिली कि उन्हें वहां से अम्बाला जेल भेज दिया गया. वहां वो बीमार भी पड़ गईं. उनके पति को उनसे मिलने की इजाज़त नहीं थी. जब वो बीमार पड़ीं, तो उनके पति ने फिर अर्जी डाली उनसे मिलने के लिए. लेकिन उनकी ये मांग स्वीकार नहीं की गई. अप्रैल 1944 को जब वो जेल से छूटीं, तो उनकी हालत बेहद खराब हो चुकी थी.
(बीबी अमर कौर के बारे में जानकारी के कुछ हिस्से सिम्मी जैन की लिखी हुई किताब इनसाइक्लोपीडिया ऑफ इंडियन विमेन थ्रू एजेस: पीरियड ऑफ फ्रीडम स्ट्रगल से साभार लिए गए हैं)
वीडियो:अनिल विज इंटरव्यू: राम रहीम, मनोहर लाल खट्टर और अंबाला कैंट से जुड़े हर सवाल और जवाब सुनिए