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पति दूसरी महिला से शादी करे, ये किसी को बर्दाश्त नहीं हो सकता: हाईकोर्ट

आत्महत्या से पहले मृतक महिला ने वाराणसी के मंडुआडीह पुलिस स्टेशन में अपने पति सुशील कुमार और उसके परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ IPC की कई धाराओं के तहत FIR दर्ज कराई थी. इसमें जानबूझकर चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी देने और जीवनसाथी के जिंदा रहते दोबारा शादी करने के आरोप शामिल थे.

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सांकेतिक फोटो- आजतक

किसी भी शादीशुदा महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसे अपने पति को किसी और महिला से साझा करना है या वह किसी और महिला से शादी करने जा रहा है. ऐसी विकट स्थिति में उनसे किसी भी तरह की समझदारी की उम्मीद करना असंभव होगा.

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ऐसा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है. पॉलीगैमी यानी बहुविवाह पर हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में टिप्पणी दी है. और इसी टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने एक महिला के सुसाइड केस में आरोपी पति की माफी याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि ये किसी भी महिला को सुसाइड के लिए उसकाने का ‘पर्याप्त कारण’ माना जा सकता है.

क्या है मामला?

मामला वाराणसी का है. जहां एक महिला ने अपने पति की तीसरी शादी से दुखी होकर सुसाइड कर लिया था. इस मामले में पति ने खुद को आरोपमुक्त करने के लिए याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी. जिन्होंने निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से आरोपमुक्त करने के आवेदन को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि आरोपी सुशील कुमार ने तीन बार शादी की थी, और यही उसकी पत्नी की सुसाइड से मौत का ‘इकलौता कारण’ था.

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आत्महत्या से पहले मृतक महिला ने वाराणसी के मंडुआडीह पुलिस स्टेशन में अपने पति सुशील कुमार और उसके परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ IPC की कई धाराओं के तहत FIR दर्ज कराई थी. इसमें जानबूझकर चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी देने और जीवनसाथी के जिंदा रहते दोबारा शादी करने के आरोप शामिल थे.

FIR में पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसका पति पहले से शादीशुदा और दो बच्चों का बाप भी है. लेकिन उसने तलाक लिए बिना ही तीसरी बार शादी की है. उसने ये भी आरोप लगाया कि उसके पति और ससुरालीजनों ने उसका शोषण और मानसिक उत्पीड़न किया है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, FIR दर्ज कराने के कुछ समय बाद ही महिला ने जहर पीकर जान दे दी. पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की. इसके बाद मामले में पीड़िता के पति और ससुरालवालों के खिलाफ चार्जशीट दायर की.

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वहीं, पति ने खुद को आरोपमुक्त करार देने के लिए पहले ट्रायल कोर्ट और बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट रुख किया. हाईकोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं.

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