20 सितम्बर, 1962. दिल्ली के अशोका होटल में एक आदमी ठहरा हुआ था. एक अमेरिकी बिजनेसमैन. जिसका दिल्ली में काफी रसूख था. देर रात दरवाजे पर एक दस्तक होती है. बाहर पुलिस थी. तलाशी में कमरे से बन्दूक के 766 कारतूस मिले. पुलिस ने तुरंत हिरासत में ले लिया. इसके बाद पुलिस पहुंची सफदरजंग एयरपोर्ट. वहां पाइपर अपाचे खड़ा था. एक ट्विन इंजन- चार सीटर प्लेन. जिसे पर्सनल नीड के लिए काम में लाया जाता था. इसमें पुलिस को 40 बक्से मिले. हर बक्से में 250 कारतूस. स्मगलिंग और आर्म्स एक्ट का केस था. आदमी सीधे तिहाड़ पहुंचा दिया गया.
तारीख़: तिहाड़ से फरार होने वाले पहले कैदी की कहानी
डेनियल हेली वैलकॉट जूनियर, 60 के दशक में भारत का मोस्ट वांटेड स्मगलर था.
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अब इसके ठीक एक साल बाद का घटनाक्रम देखिए. 23 सितम्बर,1963 की बात है. तिहाड़ जेल के ऊपर वही पाइपर अपाचे मंडरा रहा था. जिसमें कारतूस के बक्से मिले थे. और हो रही थी बारिश. पानी की नहीं. बल्कि चॉकलेट और सिगरटों की. ये कहानी है एक अमेरिकन स्मगलर की. तिहाड़ के इतिहास में जेल से भागने वाला पहला शख्स. जो दो बार भारतीय अधिकारियों के हत्थे चढ़ा और दोनों बार फरार हो गया. इतना ही नहीं एक भारतीय कंपनी को 60 हजार का चूना भी लगा गया. कंपनी का नाम, टाटा ग्रुप. आज 2 अगस्त है और आज की तारीख का संबंध है डेनियल हेली वैलकॉट जूनियर से. देखिए वीडियो.
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