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कंबोडिया से सीमा विवाद में थाईलैंड की सरकार गिरने की नौबत आ गई, मामला क्या है?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद का मुद्दा एक बार फिर सीरियस हो गया है. विवाद ऐसा है कि थाईलैंड में सरकार गिरने की नौबत आ गई है.

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थाईलैंड और कंबोडिया में सीमा विवाद का मामला गर्माया (India Today)

भारत के पड़ोस में दो देशों के बीच सीमा विवाद इतना गर्मा गया है कि इनमें से एक देश में सरकार गिरने की नौबत आ गई है. थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को उनके पद से सस्पेंड कर दिया गया है. आरोप है कि उन्होंने कंबोडिया के नेता हुन सेन से फोन पर बातचीत में अपनी ही सेना के कमांडर की आलोचना की थी. बातचीत लीक होने के बाद देशभर में गुस्सा फैल गया. विरोध प्रदर्शन होने लगे. मामला संवैधानिक कोर्ट तक पहुंचा और 7-2 के अंतर से उन्हें PM पद से टेम्पररी तौर पर सस्पेंड कर दिया गया. 

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जांच में पुष्टि हुई तो उन्हें पीएम पद से हटना भी पड़ सकता है क्योंकि थाईलैंड में सेना का प्रभाव अच्छा खासा है. ऐसे में इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की गई है. ऊपर से थाईलैंड में संवैधानिक राजशाही वाली व्यवस्था है. माने राजा देश का मुखिया होता है. इसी की शह में थाईलैंड का संवैधानिक कोर्ट फल-फूल रहा है. 

फिलहाल शिनवात्रा ने अपनी गलती मान ली है. जांच पूरी होने तक वह पीएम पद पर काम नहीं कर सकेंगी. उनकी जगह पर डिप्टी PM फुमथम वेचायाचाई सरकार चलाएंगे. अब सवाल ये है कि ऐसी क्या नौबत आई कि पीएम शिनवात्रा को अपने ही मिलिट्री कमांडर के खिलाफ बोलने की नौबत आ गई? और इसमें सीमा विवाद का क्या एंगल है?  विस्तार से जानते हैं.

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क्या है सीमा विवाद

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है. इसे फ्रांस ने तय किया था. 1863 से 1953 तक कंबोडिया पर फ्रांस का शासन था. जब वो यहां से गए तो अपनी मर्जी के हिसाब से यहां सीमा भी तय कर गए और पीछे छोड़ दिया सीमा विवाद. 

हुआ ये कि 1907 में दोनों देशों की सीमा से जुड़ा मैप जारी किया गया लेकिन थाईलैंड ने इसे मानने से इंकार कर दिया क्योंकि इस मैप में 11वीं सदी के प्रेह विहियर टेंपल को कंबोडिया में दिखाया गया था. ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इसमें 800 सीढ़ियां हैं और यह फिलहाल UNESCO की हेरिटेज साइट में भी आता है. थाईलैंड वालों का कहना था कि मंदिर हमारी सीमा के अंदर होना चाहिए. कंबोडिया वालों ने कहा ऐसे कैसे? मंदिर हमारा है. हम कोर्ट जाएंगे. 

इंटरनेशनल कोर्ट पहुंचा मामला

साल 1959 में कंबोडिया इस मामले को इंटरनेशनल कोर्ट तक ले गया. 1962 में फैसला आया कि मंदिर कंबोडिया की ही सीमा में आएगा. थाईलैंड ने कहा कि ठीक है मान लेते हैं लेकिन आसपास के इलाके अभी भी विवादित ही हैं. सबकुछ ठीक चल रहा था कि 2008 में इस मंदिर को UNESCO से वर्ल्ड हेरिटेज की मान्यता मिल गई.

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इसके बाद दोनों  देशों के बीच विवाद फिर से शुरू हो गया. 2011 तक सीमा पर तकरार चलती रही. इस संघर्ष के दौरान लगभग 36 हजार लोग विस्थापित हो गए.
अब आते हैं 28 मई 2025 की तारीख पर. लंबे अंतराल के बाद दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर एक बार फिर भिड़ गईं. 

झड़प में सैनिक की मौत

इस झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत भी हो गई.  दोनों देश एक-दूसरे पर पहले वार करने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन यहां सैनिक की मौत ने मामले को तूल दे दिया है. लोगों में गुस्सा है. थाईलैंड की मिलिट्री ने बॉर्डर क्रॉस करने पर रोक लगा दी है. मतलब कि देश में न तो कोई टूरिस्ट आएंगे न कोई व्यापार होगा. सीमा पार करने की रोक सिर्फ थाई नागरिकों के लिए नहीं बल्कि विदेशी नागरिकों के लिए भी है. 

‘टिट फॉर टैट’ हुआ. तुम रास्ते बंद करोगे तो हम तुम्हारी फिल्में बंद कर देंगे. जवाब में कंबोडिया ने थाई फिल्मों पर रोक लगा दी. वहां से आने वाले  इंटरनेट बैंडविड्थ को कम कर दिया और फल-सब्जियां, गैस और फ्यूल जैसे तामाम समानों के इंपोर्ट पर रोक लगा दी.

पीएम का फोन कॉल लीक

व्यापार ठप, रास्ते बंद. तनाव को कम करने के लिए थाईलैंड की पीएम पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा ने तरकीब निकाली. कंबोडिया के नेता हुन सेन को फोन घुमाया. ये वहां के पीएम हुन मानेट के पिता हैं. सरकार में अच्छा खासा दबदबा रखते हैं लेकिन दोनों की कॉल रिकॉर्डिंग लीक हो गई और यहीं से बवाल शुरू हो गया. माजरा ये है कि इस बातचीत में शिनवात्रा बहुत विनम्र लहजे में बात कर रहीं थी. 

उन्होंने हुन सेन को ‘अंकल’ कह दिया और कहा कि वो जैसा चाहेंगे वैसा ही होगा. इतना ही नहीं, वो अपने ही देश के मिलिट्री कमांडर की आलोचना करती पाई गईं. वह कह रही थीं कि वो खुद को रफ एंड टफ दिखाने की कोशिश करते हैं. इस कॉल रिकॉर्डिंग ने लोगों में गुस्सा और बढ़ा दिया. प्रदर्शन होने लगे और लोग पीएम के इस्तीफे की  मांग करने लगे. विपक्ष उन्हें कमजोर पीएम बता रहा है. उनकी गठबंधन सरकार की साथी भूमजैथाई पार्टी ने पिछले महीने ही उनसे कन्नी काट ली थी और बाद में कुल 36 सांसदों ने संवैधानिक कोर्ट में शिकायत दर्ज कर दी. 

शिनावात्रा के पिता के दोस्त हैं मानेट

‘अंकल’ कहने और सहज होकर बातचीत करने से एक और पेंच जुड़ा है. दरअसल, पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा  थाईलैंड की पूर्व पीएम ताक्सिन शिनावात्रा की बेटी हैं. ताक्सिन  शिनावात्रा और हुन मानेट (कंबोडिया के नेता) अच्छे दोस्त हैं. दोनों के बीच पारिवारिक संबंध हैं. वो इसलिए क्योंकि 2006 में तख्तापलट के बाद जब ताक्सिन को थाईलैंड छोड़ना पड़ा था, तब हुन सेन ने उन्हें कंबोडिया में शरण दी थी. 

अमूमन इसी वजह से उन्होंने ‘अंकल’ शब्द कहा होगा. बहरहाल, इन दोनों परिवारों के रिश्तों की वजह से थाईलैंड में ये चिंता बढ़ गई है कि सीमा विवाद का समाधान किस तरह होगा? और क्या इसमें निष्पक्षता बरती जाएगी?

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