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व्हाट्सएप के नए फीचर के बाद अब ऑनलाइन ब्याह होना बस बचा है

याद रखिएगा, कोई Gif, कोई वीडियो, कोई फोटो कभी किसी इंसान की जगह नहीं ले सकती

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परिवर्तन प्रकृति का नियम है. बदलती हुई चीजें ही अच्छी लगती हैं, भले ये बात सबसे पहले एक गिरगिट के दिमाग में आई हो लेकिन ये सच है. और इस सच को सबसे सलीके से व्हाट्सएप ने अपनाया है, तभी तो रोज़ ऐसे चेंजेज ला रहा है. अबकी बार जब आप व्हाट्सएप अपडेट करेंगे, आप स्टेटस में टेक्स्ट की जगह वीडियो भी लगा पाएंगे. जैसा स्नैपचैट में होता है वैसे. ऐसा अपडेट चौबीस घंटे बाद गायब भी हो जाएगा. इस फीचर के बाद व्हाट्सएप पूरी तरह से बदल जाएगा. अभी ये सिर्फ कॉल करने, वीडियो चैट और मैसेज के लिए यूज होता था, लेकिन स्टेटस वाला वीडियो ऐसा होगा, जिस पर लोग कमेंट भी कर सकेंगे. देख सकेंगे अब से पंद्रह मिनट पहले आप किन परिस्थितियों में थे. ये आलवेज कनेक्टेड का भाव है, जो वर्चुअली भले जोड़े रहे लेकिन अन्दर से आपको अकेला और खोखला कर रहा होता. WP लेकिन ये बदलाव जाकर कहीं तो रुकेंगे? नए-नए फीचर के बाद अब ऑनलाइन ब्याह बस है जो बचा है. आप कहेंगे कैसे? और सिर्फ व्हाट्सएप के लिए ही ये क्यों कहा जा रहा है? वजह हम बताते हैं. व्हाट्सएप दूसरा घर हो गया है. मामी की बहन की ननद से लेकर रिश्तेदारी के छग्गन मामा तक यहां एक ग्रुप में मिल जाते हैं. दिन भर इतने हाय-हैल्लो भेजते हैं कि बस घर में होने का ही फील आता है. दिन ऐसे आ गए हैं कि शादी का कार्ड घर पहुंचा दो लेकिन जब तक व्हाट्सएप पर मैसेज न करो, लोग आने को रेडी नहीं होते. व्हाट्सएप रिश्तेदारी का अघोषित ऑफिशियल ऐप बन गए हैं. ईमानदारी से सोचिए, आख़िरी बार रिश्तेदारों को आपने कहां देखा था? व्हाट्सएप ग्रुप पर ही न? ये बहुत धीरे से हुआ, मजाक-मजाक में हुआ लेकिन व्हाट्सएप ने आपके आस-पास के, आपके संबंधों के इस हिस्से को अपनी जद में ले लिया है.
भारत में लोग हर चीज को अपने हिसाब से ढाल लेते हैं. बिजली न आये तो हम बिजली के तार पर कपड़े सुखाने वाले लोग हैं. जींस फट जाए तो सब्जी का थैला सिलवा लेने वाले लोग हैं. व्हाट्सएप का हमसे 'बुरी तरह' इस्तेमाल किसी ने नहीं किया होगा. कुछ उत्साही रिश्तेदार, 25 के हो चुके ग्रुप के अविवाहित सदस्यों की शादी की तैयारी भी व्हाट्सएप के ग्रुप पर ही शुरू कर देते हैं. व्हाट्सएप पर सब्जियां बनाने की रेसिपी शेयर कर लेते हैं. मैहर की सीढ़ी चढ़ने से मनाकर दें तो रिश्तेदारों को बच्चे के मुंडन का पूरा वीडियो भेज देते हैं. शादी एक दिन होती है लेकिन मौके पर खींची गयी फोटोज अगले डेढ़ महीने तक ग्रुप में आती हैं.
इसमें गलत क्या है? तस्वीरें साझा करने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन दिक्कत ये है कि तस्वीरें इंसान की जगह ले लें तो? लोग मौके पर खुद न आएं और तस्वीरें देखकर संतोष कर लें तो एक दिन ऐसा आयेगा, जब सारा मिलना-जुलना सिर्फ स्क्रीन पर हो जाएगा. बात करने और चैट करने में फर्क होता है. समय की कमी सबके पास है, ऐसे में किसी व्हाट्सएप ग्रुप का एक पैरलल समाज बन जाना खतरनाक है. व्हाट्सएप एक पैरलल समाज बन गया है . इस समाज में वैसे ही नियम रहते हैं जैसे बाहर. छोटे सदस्य अगर 'तय' ढर्रे से अलग जाकर कोई तस्वीर या स्टेटस लिख दें. लड़के-लडकी के साथ व्हाट्सएप पर नज़र आ जाएं. कोई ऐसा मैसेज शेयर कर दें, जिसे 'तुम छोटे हो' कहकर खारिज  किया जा सकता है, तो उनसे वही सलूक होता है, जैसे घर की बैठक में बैठे रिश्तेदार करते हैं. सबसे खतरनाक ये है कि उन तमाम अच्छाई-बुराईयों से भागना बहुत आसान है. आप एक क्लिक करके ऐसे परेशान करने वाले रिश्तेदारों से छुटकारा पा सकते हैं. ऐसे में सुधार की गुंजाइश नहीं रह जाती. कोई रूढ़िवादी है, तो वो वैसा ही रह जाएगा, या किसी को मदद या संभालने की जरूरत है. वो भटकता ही रहेगा. आज आपको ये बेवजह की बहस भी लग सकती है लेकिन तकनीक की ये समस्या आगे और मुंह बाएगी. वार्तालाप की गुंजाइश सिर्फ उस हद तक बची है, जहां तक एक पक्ष सुनने को तैयार हो. जैसे ही उसे चीजें बुरी लगने लगें वो बातें छोड़कर चला जाता है, नतीजतन अगली बार कम्युनिकेशन के तमाम रास्ते बंद हो जाते हैं. और अगर इस फैक्टर को नकार भी दें तो ये तो तय है कि ऐसे बातें करना जितना आसान होता जाएगा, आदमी, आदमी से सीधा मिलने में कटने लग जाएगा. स्टेटस लिखने में तो फिर भी आदमी एक पल सोचकर कुछ लिखता है, वीडियोज में तो बस दिखना है. और दिखने में ये भी तय है कि वो बेहतर दिखने की कोशिश करेगा. जो कि उसकी वर्चुअल छवि होगी. अपने स्तर पर परफेक्ट सी. यानि की आप जिस शख्स को जानते हैं, उससे बात नहीं कर रहे हैं, एक मैन्युफैक्चर्ड छवि है, उससे बातें कर रहे हैं. व्हाट्सएप के मामले में ये और भी प्रभाव छोड़ता है, क्योंकि वो सर्वसुलभ है. तो ऐप अपडेट करिए कोई दिक्कत नहीं, लेकिन रिश्तों को भी अपडेट करते रहिए. कनेक्टिविटी जरूरी है, वैसे ही जुड़ाव भी जरुरी है. कोई Gif, कोई वीडियो, कोई फोटो कभी किसी इंसान की जगह नहीं ले सकती. कोशिश कीजिए कि सिर्फ दिखने के अलावा मिलने का कल्चर भी रहा आए. वो बस आप कर सकते हैं, उसके लिए कोई ऐप नहीं आती.
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