मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेज़ोस के फोन से छेड़छाड़ एक वॉट्सऐप मैसेज से शुरू हुई थी. ये मैसेज सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के वॉट्सऐप अकाउंट से भेजा गया था. 1 मई, 2018 को. रिपोर्ट में ये भी ज़िक्र किया गया है कि जेफ़ के iPhone X को हैक करके लगातार सर्विलांस पर रखा गया था.
हैकिंग के आरोपों पर अमेरिका में सऊदी के दूतावास ने बयान जारी कर कहा,
मिस्टर जेफ़ बेज़ोस के फोन को सऊदी किंगडम द्वारा हैक करवाने की रिपोर्ट्स बिल्कुल ही बेतुकी हैं. हम इन दावों की जांच की मांग करते हैं ताकि तथ्य सबके सामने आ सकें.
2018 का साल था. मार्च के महीने में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान तीन हफ्ते लंबे अमेरिकी दौरे पर पहुंचे. मकसद था, सऊदी अरब के विकास का विजन पिच करना. साथ ही अमेरिका के एलीट क्लास के सामने सऊदी अरब का इकोनॉमिक प्लान पेश करना. ये प्लान कच्चे तेल के प्रोडक्शन से इतर था.
इस दौरे पर क्राउन प्रिंस कई जानी-पहचानी हस्तियों से भी मिले. इन हस्तियों में एंटरटेनमेंट और बिजनेस इंडस्ट्री के लोग भी थे. इनमें से एक नाम एमेज़ॉन के फ़ाउंडर और सीईओ जेफ़ बेज़ोस का था. बेजोस और मोहम्मद बिन सलमान की मुलाकात तल्खी से भरी हुई थी. एक तरफ एमेज़ॉन सऊदी अरब और मिडिल ईस्ट में अपना बिजनेस बढ़ाने की तैयारी कर रहा था. वहीं दूसरी तरफ, वॉशिंगटन पोस्ट में जमाल खशोगी लगातार सऊदी प्रिंस की आलोचना कर रहे थे. वॉशिंगटन पोस्ट का मालिकाना हक़ जेफ़ बेज़ोस के पास है.

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ ऐमज़ॉन के फ़ाउंडर जेफ़ बेज़ोस.(फोटो: गेट्टी)
4 अप्रैल, 2018. जेफ़ बेज़ोस और मोहम्मद बिन सलमान लॉस एंजिलिस में डिनर पर मिले. डिनर के बाद दोनों ने एक-दूसरे से अपना फोन नंबर एक्सचेंज किया था. लगभग चार हफ्ते बाद. 1 मई, 2018. जेफ़ बेज़ोस को वॉट्सऐप पर एक मैसेज मिला है. मोहम्मद बिन सलमान के अकाउंट से. ये 4.4 MB का वीडियो था. वीडियो डाउनलोड होने के कुछ घंटों के भीतर ही जेफ़ के फोन का डेटा बाहर जाना शुरू हो गया था.
इस हैकिंग के कुछ महीनों के बाद. अक्टूबर, 2018. इस्तांबुल में सऊदी अरब का दूतावास. वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी अपनी शादी के लिए कुछ जरूरी कागजात लेने दूतावास के अंदर जाते हैं. और फिर बाहर नहीं आ पाते हैं. कई महीनों के बाद सऊदी ने ये बात कबूली कि दूतावास के अंदर खशोगी की हत्या कर दी गई थी.
वॉशिंगटन पोस्ट ने इस हत्या पर लगातार रिपोर्टिंग की. खशोगी की हत्या में सऊदी सरकार और मोहम्मद बिन सलमान का हाथ होने की रिपोर्ट्स पब्लिश की गईं. सऊदी अरब में इसका तगड़ा विरोध हुआ. नवंबर, 2018 में सऊदी में ट्विटर पर एक हैशटेग टॉप पर ट्रेंड कर रहा था, वो था 'Boycott Amazon'.
जेफ़ का ब्लॉग

भारत दौरे के दौरान अपनी गर्लफ्रेंड के साथ जेफ़ बेज़ोस.
फरवरी, 2019 में जेफ़ बेज़ोस ने एक ब्लॉग लिखा. ब्लॉग में उन्होंने American Media Inc (AMI) के सीईओ डेविड पेकर पर आरोप लगाया था. आरोप ये था कि AMI के टैबलॉयड 'नेशनल इंक्वायरर' ने बेज़ोस और उनकी गर्लफ्रेंड लॉरेन सांचेज की पर्सनल बातचीत छापने की धमकी दी थी. बेजोस ने लिखा था,
मैं नहीं चाहता कि मेरी पर्सनल तस्वीरें पब्लिश हों, लेकिन मैं ब्लैकमेल, राजनीतिक पक्षपात, राजनीतिक हमले और भ्रष्टाचार के खेल का हिस्सा भी नहीं बनना चाहूंगा.जेफ़ बेज़ोस ने ये ब्लॉग क्यों लिखा था? दरअसल, डेविड पेकर ने जेफ़ बेज़ोस को एक मेल भेजा था. इस मेल में धमकी दी गई थी कि अगर वॉशिंगटन पोस्ट नेशनल इंक्वायरर और सऊदी के बीच संबंधों की जांच बंद नहीं करता है, तो वे जेफ़ बेज़ोस और सांचेज की पर्सनल बातचीत पब्लिश कर देंगे.
मैं इसके ख़िलाफ़ लड़ूंगा. देखते हैं, क्या होता है.
और फिर चली लंबी जांच
जेफ़ बेज़ोस के पर्सनल मैसेज लीक कैसे हुए? इसकी जांच की जिम्मेदारी मिली बेजोस के सिक्योरिटी कंसल्टेंट डि बेकर को. इस घटना के तार सऊदी से जुड़ने में देर नहीं लगी. मार्च, 2019 में बेकर ने अपनी जांच के बाद बताया था कि सऊदी अरब वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टिंग को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. कहा गया कि बेज़ोस को इसलिए टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि इस अखबार पर मालिकाना हक उनका है.

वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी का मर्डर इस्तांबुल स्थित सऊदी दूतावास में कर दिया गया था. आरोप सऊदी के क्राउन प्रिंस पर लगा था.
फरवरी, 2019 में डि बेकर ने FTI कंसल्टिंग को हायर किया. FTI कंसल्टिंग ने जेफ़ बेज़ोस के iPhone X की जांच की. पता चला कि सऊदी प्रिंस का वॉट्सऐप वीडियो डाउनलोड होने के बाद से ही जेफ़ के फोन का बिहेवियर बदल गया था.
इस जांच से जो कुछ निकला, वो उन्होंने UN की उस एजेंसी से साझा किया, जो सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी के मर्डर की जांच कर रही थी. अब UN की पूरी रिपोर्ट बाहर आई है. रिपोर्ट आने के बाद बवाल मच गया है.
Peagus Spyware का प्रयोग
UN की रिपोर्ट में ये बात भी दर्ज है कि हैकिंग के लिए Peagus नाम के वायरस का इस्तेमाल किया गया था. ये वायरस इजरायल की कंपनी NSO ग्रुप ने तैयार किया था. इस वायरस का इस्तेमाल 2019 में भी किया गया था. जब 20 देशों के लगभग 1400 डिवाइस में ये वायरस भेजा गया था. इनमें भारत के कई बुद्धिजीवी, वकील, दलित कार्यकर्ता और पत्रकार भी शामिल थे.
वीडियो: अमेज़ॉन के मालिक जेफ़ बेजोस ने 7 अरब रुपये दान किए लेकिन सोशल मीडिया गुस्से से भर गया