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कैसा है उद्धव ठाकरे का नया नवेला मंत्रिमंडल?

जिसे देवेंद्र फडणवीस ने 'खिचड़ी कैबिनेट' बताया है.

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28 नवंबर को उद्धव ठाकरे (सेंटर) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली. फोटो में दिख रहे हैं बालासाहेब थोराट (लेफ्ट) और छगन भुजबल (राइट). फोटो- Indiatoday.in
उद्धव ठाकरे. शिवसेना प्रमुख और अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री. शिवसेना का वो तीसरा शख्स, जिसने राज्य की सत्ता संभाली. उनके पहले मनोहर जोशी और नारायण राणे सीएम रहे. 28 नवंबर को शपथ ली. मंत्रिमंडल भी बनाया. रखे टोटल छः लोग. इस आर्टिकल में हम मंत्रिमंडल के सदस्यों के बारे में जानेंगे. उद्धव ठाकरे के बारे में हम पहले ही बता चुके हैं. यहां पढ़िये
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तो कौन-कौन हैं वो चेहरे जो, देवेन्द्र फडणवीस के शब्दों में कहें तो, महाराष्ट्र की 'खिचड़ी' सरकार चलाने जा रहे हैं. लेकिन एक बात साफ़ है. कि अभी इन मंत्रियों को कोई पोर्टफोलियो नहीं दिया गया है. मतलब? मतलब अभी इनके पास कोई मंत्रालय नहीं है.
जयंत पाटिल, एनसीपी
कांग्रेस-एनसीपी की गठबंधन वाली सरकारों में वित्त मंत्री रहे. 1999 से 2008 तक. 9 बार लगातार बजट पेश करने का रिकॉर्ड. महाराष्ट्र के बड़े नेता और सामजिक कार्यकर्ता राजारामबाबू पाटिल के बेटे. विदेश में पढ़ाई करते थे. 1984 में पिता की मृत्यु हुई. तो मुंबई आए. फिर नहीं गए. 6 साल तक सांगली में काम किया. उसके बाद इस्लामपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. NCP के महाराष्ट्र प्रमुख. मुंबई के 26/11 हमलों के बाद जब आरआर पाटिल ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री का पद छोड़ा, तब ये जिम्मेदारी जयंत पाटिल को सौंपी गई थी. कहा जाता है कि जयंत पाटिल ने महाराष्ट्र पुलिस को और आधुनिक बनाने का काम किया. एकदम आर्मी वाली ट्रेनिंग और आधुनिक हथियारों से लैस फ़ोर्स वन का गठन किया.
Jayant Patil अजित पवार के बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद एनसीपी ने जयंत पाटिल को पार्टी विधायक दल का नेता बनाया था.

छगन भुजबल, एनसीपी
एनसीपी के वरिष्ठ नेता. महाराष्ट्र की ओबीसी पॉलिटिक्स में भी बड़ा नाम हैं. कहा जाता है कि बतौर युवा, बाल ठाकरे के प्रभाव में थे. मां के साथ सब्जी और फल बेचते थे. इंजीनियर की पढ़ाई शुरू की. लेकिन बीच में ही छोड़ दी. शामिल हो गए शिवसेना में. 1985 में मुंबई के मेयर बने. 1989 में राम मंदिर आंदोलन परवान पर था. भाजपा और शिवसेना साथ आए. 1990 में विधानसभा चुनाव हुए. शिवसेना के हाथ लगे बम्पर 52 विधायक. बाल ठाकरे ने नेता विपक्ष बना दिया मनोहर जोशी को. जबकि भुजबल ये कुर्सी चाहते थे. मूड खराब. और कहा जाता है कि इसी वजह से शिवसेना छोड़ दिया. बाल ठाकरे नाराज़ हुए. उन्होंने भुजबल "लखोबा लोखंडे" नाम दिया. मतलब? ये एक मशहूर मराठी नाटक के बदनाम पात्र का नाम है, जो कई शादियां करता है. शिवसैनिकों से रार भी हुई. लेकिन तब तक शरद पवार उन्हें कांग्रेस में लेकर आ चुके थे. कांग्रेस टूटी तो पवार के साथ NCP में आ गए. 2008 में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बने. 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में दो साल के लिए जेल गए. पिछले साल ही जमानत पर बाहर आए हैं.
एकनाथ शिंदे, शिवसेना
ठाणे की कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से विधायक और विधायक दल के नेता. मतलब पार्टी में भारी नाम. कहा जाता है कि पहले मुंबई में ऑटो चलाते थे. बाल ठाकरे से तो प्रभावित थे ही, ठाणे के भाजपा अध्यक्ष आनंद दिघे से भी बहुत प्रभावित थे. शिवसेना के काम करने की स्टाइल इन्हें भा गई. 1980 में पार्टी से जुड़ गए. किसान नगर के शाखा प्रमुख बन गए. 1985 में हुआ महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर विवाद. इसमें मुखर हुए. जेल चले गए. टिकट मिला 1997 में ठाणे महानगर पालिका चुनाव का. भारी जीत. 2001 में लीडर ऑफ़ दी हाउस बने. 2004 तक इसी पोस्ट पर रहे. 2004 में ही विधानसभा चुनाव लड़े. ठाणे सीट से, जीत भी मिल गई. अगले साल शिवसेना के ठाणे प्रमुख बने. इसके बाद के लगातार तीन चुनावों (2009, 2014, 2019) में यहीं सेजीत दर्ज की.
सुभाष देसाई, शिवसेना
पार्टी के थिंकटैंक. करियर की शुरुआत पत्रकारिता से. बाल ठाकरे के दोस्त बताये जाते हैं. कहा जाता है कि बाल ठाकरे के कहने पर पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आए. 1990 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा. गोरेगांव विधानसभा सीट से. जीत मिल गयी. संगठन के स्तर के नेता बताये जाते हैं. मतलब? पार्टी क्या करेगी? रणनीति क्या होगी? इस सब पर ज्यादा ध्यान. 2004 में फिर से इसी सीट से चुनाव लड़ा. चुने गए. 2009 में भी. 2009-14 तक शिवसेना के विधायक दल के नेता. 2014 में राज्य में भाजपा-शिवसेना की सरकार बनी. उद्योग मंत्री बन गए. 2015 में पहली बार विधानपरिषद् भेजे गए. 2016 में दूसरी बार. और इस बार कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी की सरकार में मंत्री.
Subhash Desai फडणवीस सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं सुभाष देसाई. फोटो- Indiatoday.in

बालासाहेब थोराट, कांग्रेस
8 बार के विधायक. महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे सीनियर. को-ऑपरेटिव सेक्टर में काम का लंबा अनुभव. पिता भाऊसाहेब थोराट स्वतंत्रता सेनानी रहे. 1978 में बालासाहेब कांग्रेस विधायक बने. 1985 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते भी. अहमदनगर की संगमनेर सीट से. बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए. उसके बाद से लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं. 1999 में राज्यमंत्री बने. 2004 में प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाए गए. 2014 तक महाराष्ट्र सरकार में कृषि, राजस्व, स्कूली शिक्षा जैसे मंत्रालय संभाल चुके हैं. जुलाई, 2019 में महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए थे.
नितिन राउत, कांग्रेस
नागपुर नॉर्थ सीट से विधायक. ये सीट एससी कैंडिडेट के लिए आरक्षित है. 1999 में पहली बार विधायक बने. उसके बाद 2004 और 2009 में भी जीत हासिल की. 2014 में बीजेपी के मिलिंद माने से हारे. 2019 में वापस अपनी सीट हासिल कर ली. 2001 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के सदस्य बने. फिलहाल कांग्रेस के एससी मोर्चे के अध्यक्ष हैं.


वीडियो- उद्धव ठाकरे: जिसके बारे में दुनिया कहती थी कि शिवसेना को डुबो देगा,वो CM बन गया है