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बॉयफ्रेंड बनारस ले गया, ज़बरदस्ती करने लगा, जब लड़की नहीं मानी तो बुरी तरह पीट दिया

ऐसे रिश्तों में लड़कियां रहती ही क्यों हैं?

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यह लेख डेली ओ से लिया गया है जिसे रूचि कोकचा ने लिखा है.   दी लल्लनटॉप के लिए हिंदी में यहां प्रस्तुत कर रही हैं शिप्रा किरण.


वह 2 मई की तारीख थी, रात के तीन बजे थे. अचानक फोन की घंटी बजी. मेरी बहुत अच्छी सहेली सुमन (बदला हुआ नाम) का फोन था. वो अपने बॉयफ्रेंड आकाश (बदला हुआ नाम) के साथ शहर से बाहर घूमने गई थी.

फोन के दूसरी तरफ से उसके रोने की आवाज सुनाई दी. मैं नींद में थी और उसके रोने की आवाज़ सुन एकदम से डर गई थी. वो फफक-फफक कर रो रही थी और कुछ बताना भी चाह रही थी. मैंने किसी तरह उसे शांत कराया. उससे पूरी बात बताने के लिए कहा.

'उसने मुझे मारा है. बहुत बुरी तरह मारा है.' सुनकर मुझे धक्का लगा.

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मैंने उसे डिटेल में सब बताने कहा. उसने बताया कि वो दोनों घूमने वाराणसी गए थे. वहां वे किसी होटल में रुके. वो होटल सुमन को बड़ा रहस्यमयी सा लग रहा था. उसने आकाश से कहा कि यहां रुकना उसे ठीक नहीं लग रहा लेकिन आकाश ने कहा कि कम बजट में ठहरने के लिए ये होटल ही ठीक है. वो भी तैयार हो गई. उन्होंने वहीं रात बिताई.

सुमन ने बताया कि रात का खाना खाने के बाद आकाश ने उसे टहलने चलने कहा. लेकिन उसने थकान की वजह से बाहर जाने से मना कर दिया. आकाश थोड़ी देर में लौटने को कहकर बाहर चला गया. दो घंटे बाद जब आकाश वापस आया वो अपने होश में नहीं था. उसने शराब तो पी ही रखी थी उसपर से ड्रग्स भी ले रखा था.

वो अब बहकने लगा था. लेकिन सुमन इसके लिए तैयार नहीं थी. उसे व्हिस्की की महक बर्दाश्त नहीं होती थी. उसने आकाश से कहा कि वो पहले फ्रेश हो ले. आकाश फ्रेश होने बाथरूम गया. उसने ब्रश किया और नहाया भी. सुमन को लगा कि नहाकर वो थोड़ा शांत होगा. लेकिन ऐसा हुआ नही. वो सुमन के पास आया और उसे जबरदस्ती चूमने की कोशिश करने लगा. अब भी उसके मुंह से व्हिस्की की दुर्गन्ध आ रही थी. लेकिन इस बार सुमन उसे मना नहीं कर पाई. उनके बीच सेक्स हुआ. और सुमन को राहत मिली कि अब वो नहीं बहकेगा. उसे आकाश का नशा करना बिल्कुल पसंद नहीं था. नशे में आकाश एकदम से बदल जाता. लगता जैसे कि वो आकाश नहीं कोई और ही है.

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एक बार सेक्स करने के एक घंटे बाद फिर से वो सुमन से जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा था. सुमन ने फिर उसे कहा कि उसे व्हिस्की की बदबू बर्दाश्त नहीं होती. लेकिन फिर भी जब आकाश नहीं माना तो सुमन ने अपने से परे धकेल दिया. इतने पर आकाश गुस्से से बेकाबू हो गया. उसने सुमन को गालियां देनी शुरू कर दीं. सुमन ने जब उसे समझाने की कोशिश कि तो वह अपना आपा खो बैठा और सुमन को बुरी तरह पीटने लगा.

सुमन की पूरी कहानी सुनकर मैं सन्नाटे में थी. मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं उससे क्या कहूं.

मैंने उसे कहा 'तुम्हें पुलिस में इसकी शिकायत करनी चाहिए.'

उसने रोते हुए कहा- 'मैं पुलिस के पास जाना नहीं चाहती. मेरे माता-पिता को पता चल जाएगा. फिर वो जबरदस्ती मेरी शादी कर देंगे. मेरी पूरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी.'

'तो कम से कम उसे छोड़ कर चली जाओ. ये पहली बार नहीं हुआ है. है ना? जब पहली बार उसने तुम्हें मारा था तभी तुम्हें उससे सारे रिश्ते तोड़ लेने चाहिए थे. ये सब सहकर तुमने उसे बढ़ावा दिया है.'  - गुस्से के मारे मेरी आवाज़ कांपने लगी थी.

मैं सुबह तक उससे बातें करती रही. जब तक कि उसने दिल्ली के लिए बस नहीं ले ली. अब वो लगभग खतरे से बाहर थी लेकिन मैं अब भी बेचैन थी और डरी हुई थी.

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मैं यही सोच रही थी लोग इस तरह के रिश्तों में रहते ही क्यों हैं? क्यों नहीं निकल पाते ऐसे रिश्तों से? बहुत लोग इसके जवाब में प्यार की दुहाई देते हैं. लेकिन दो लोगों के बीच चाहे कितना ही प्यार क्यों न हो क्या इस तरह के शोषण को जायज ठहराया जा सकता है? ये कैसा प्यार है जो गाली-गलौज और मार-पिटाई पर टिका है. ये चाहे कुछ भी हो प्यार तो बिल्कुल  नहीं हो सकता. प्यार का मतलब है - एक-दूसरे की इज़्ज़त करना, सम्मान देना. अगर संबंधों में कोई भी इस तरह की हरकत करता है इसका सीधा सा मतलब है कि उस के दिल में अपने साथी के लिए न कोई इज़्ज़त है, न ही प्यार. ऐसी हरकतों के लिए उन्हें माफ़ भी नहीं करना चाहिए क्योंकि फिर ये उनके लिए आम बात हो जाती है. इसका सबसे अच्छा तरीका है कि पुलिस में इसकी शिकायत की जाए. अगर किसी वजह से शिकायत दर्ज न करा पाएं तो रिश्ता तोड़ना ही सबसे सही उपाय है.

कोई भी रिश्ता आत्मसम्मान से बड़ा नही होता. ऐसे रिश्ते में इंसान घुट-घुट कर मरता रहता है.

सुमन के लौटने बाद अगले दिन मैं उससे मिलने गई. उसके पूरे शरीर पर चोट के नील निशान थे. मुझे देखकर उसकी आंखें भर आई थीं.

मैंने उससे कहा- 'अब तुम उसके पास कभी नहीं जाओगी.'

मैं उसे देखते हुए यही सोच रही थी कि उसके शरीर के ज़ख्म तो भर जाएंगे पर उसके दिलोदिमाग पर बने ज़ख्म क्या कभी भी भर पाएंगे?

सुमन से मिलकर लौटते वक़्त मैं सोच रही थी कि जो लोग दूसरों को इस तरह की चोट देते हैं क्या उन्हें बिलकुल एहसास नहीं होता कि वो क्या कर रहे हैं? काश कि वो उस दर्द को महसूस कर पाते जो वो दूसरों को दिया करते हैं.

कई बार हमें खुद अपने साथ हो रही ज़्यादती का एहसास नहीं होता. जब तक कि कोई और हमें इस बारे में आगाह नहीं करता. इसलिए अगर आपके आसपास कोई भी इस तरह के रिश्ते में है तो उसे निजी मामला कहकर अनदेखा न करें. बल्कि उस गलत रिश्ते से बाहर आने में उसकी मदद करें. आपकी थोड़ी सी किसी की ज़िंदगी बर्बाद होने से बच सकती है.


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